अदालत ने कहा कि गुजरात सरकार को इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र के ढांचे का विकास करना चाहिए कि महामारी की तीसरी या चौथी लहर आ सकती है, क्योंकि लोग मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और स्वच्छता जैसे नियमों का पालन नहीं करने जा रहे. अदालत ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए अस्पतालों को संबंधित इंजेक्शन के वितरण को लेकर राज्य सरकार की अधिसूचना अस्पष्ट और दोषपूर्ण बताया है.
कोविड-19 से जूझ रहे मरीज़ों में पाए जा रहे ब्लैक फंगस संक्रमण अथवा म्यूकरमाइकोसिस के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने को कहा है.
गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर गुजरात की मांग क्यों नहीं पूरी की जा रही है. हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले एक महीने से राज्य को प्रतिदिन करीब 16,000 शीशियों की आपूर्ति जारी रखी है, जबकि मांग प्रतिदिन लगभग 25,000 शीशियों की थी.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि राज्य में फंगल इंफेक्शन यानी म्यूकोरमाइकोसिस के 200 मरीज़ों का इलाज चल रहा है, जिनमें से आठ की आंख की रोशनी चली गई है, जबकि गुजरात में ऐसे मरीज़ों की संख्या 100 से अधिक है और सात मरीज़ों की आंख की रोशनी जा चुकी है.
बीते चार दिनों में लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के 40 डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. इनमें से अधिकतर को कोरोना वैक्सीन लगी थी. एम्स और सर गंगाराम अस्पताल के पॉज़िटिव पाए गए चिकित्सकों में से भी कई कोरोना वैक्सीन लेने के बाद संक्रमित हुए हैं.
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया है कि कोविड-19 से उबर रहे कई लोगों में ऐसा दुर्लभ और जानलेवा फंगल इंफेक्शन पाया जा रहा है, जिससे लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है. बीते 15 दिन में ऐसे 12 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ कहा अगर बिल का भुगतान नहीं हुआ तो रोगी को छुट्टी दे दी जाए. बंदी बनाकर रखना निंदनीय है.