चित्रकथा: जहां मुंबई के सुविधा-संपन्न नागरिकों को पानी रियायती दरों पर मिलता है वही, झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों को आज भी पानी के लिए दरबदर भटकना पड़ता है.
दिल्ली भाजपा ने राजधानी में झुग्गीवासियों तक पहुंच बनाने ले लिए झुग्गी सम्मान यात्रा शुरू की है, जिसके प्रचार के पोस्टर और होर्डिंग्स में झुग्गीवासियों को दिखाया गया था, जिनमें तमिल लेखक पेरुमल मुरुगन की तस्वीर भी शामिल है. भाजपा ने इसे अनजाने में हुई ग़लती बताया है.
दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने पुनर्वास की याचिका दायर की थी. इस पर केंद्र के यह कहने कि अंतिम निर्णय लेने तक झुग्गियां नहीं हटेंगी, कोर्ट ने कहा कि बस्तियों के ख़िलाफ़ चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
बीते 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेलवे पटरी के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का आदेश दिया है. 50 से अधिक ग़ैर-सरकारी संगठनों ने एक बयान जारी कर कहा कि इस क़दम का ढाई लाख लोगों के जीवन, आजीविका, गरिमा और अधिकारों पर विनाशकारी परिणाम पड़ेगा.
बीते 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेलवे ट्रैक के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का आदेश दिया है. अदालत के इस आदेश में कई ज़रूरी पहलुओं पर उचित ध्यान नहीं दिया गया है, इनमें सबसे महत्वपूर्ण आवास के अधिकार को नज़रअंदाज़ करना है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने का ये काम तीन महीने के भीतर पूरा कर लिया जाना चाहिए. साथ ही ये निर्देश भी दिया कि झुग्गियां हटाने को लेकर कोई भी अदालत स्टे नहीं लगाएगी.
अब जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं, तब ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि भूख और रोजी-रोटी की समस्या ख़त्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है.
बीते दो महीनों में दिल्ली में हज़ारों लोगों के बीच खाना और राशन पहुंचाते हुए देखा कि हम भूख के अभूतपूर्व संकट से गुजर रहे हैं. सैकड़ों लोग बेबसी और अनिश्चितता के अंधेरे में जी रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि अगला निवाला उन्हें कब और किसके रहमोकरम पर मिलने वाला है.
पूर्वी दिल्ली के शाहदरा पुल के नीचे बसे राजस्थान के गाड़िया लोहार समुदाय की लगभग 100 झुग्गियों को एमसीडी ने बिना सूचना दिए तोड़ डाला.