धार्मिक नेता कालीचरण महाराज पर महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में दो मामले दर्ज किए गए हैं. पुणे पुलिस ने एक कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में कालीचरण, दक्षिणपंथी नेता मिलिंद एकबोटे और चार अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है. एकबोटे भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी हैं.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम में महात्मा गांधी पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए हिंदू धार्मिक नेता कालीचरण महाराज के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. केस दर्ज होने के बाद उन्होंने कहा है कि वह गांधी को राष्ट्रपिता नहीं मानते हैं और सच बोलने की सज़ा मौत है तो वह उन्हें मंजूर है.
छत्तीसगढ़ शासन ने रायपुर ज़िले के सहायक खाद्य अधिकारी संजय दुबे को निलंबित कर दिया गया है. इससे पहले रायपुर में दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम में महात्मा गांधी पर हिंदू धार्मिक नेता कालीचरण महाराज ने कथित अपमानजनक टिप्पणी की थी. रायपुर में केस दर्ज होने के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने कालीचरण के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
बलरामपुर ज़िले का मामला. पुलिस ने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल हुए दो वीडियो में से एक में दलित बिरादरी के ग्राम रोज़गार सेवक पवन कुमार को ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि अजय कुमार उपाध्याय जातिसूचक अपशब्द कहते हुए मारने के लिए दौड़ते दिख रहे हैं. दूसरे वीडियो में पवन के चेहरे और आंख पर गंभीर चोट के निशान हैं और वे आपबीती सुनाते हुए इंसाफ़ मांग रहे हैं.
परिसीमन आयोग ने 16 सीट अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षित करते हुए जम्मू क्षेत्र में छह और कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी का मानना है कि परिसीमन की क़वायद का मूल आधार ही अवैध है.
केरल हाईकोर्ट ने एक पूर्व न्यायिक अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की. इस पूर्व न्यायिक अधिकारी ने प्राचीन वस्तुओं के एक स्वयंभू विक्रेता के ख़िलाफ़ जांच के सिलसिले में न्यायालय के आदेशों के बारे में अमर्यादित और कटु टिप्पणी की थी.
विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मक़सद से गठित परिसीमन आयोग के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए पीडीपी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने कहा कि आयोग ने उसकी सिफ़ारिशों में आंकड़ों के बजाय भाजपा के राजनीतिक एजेंडा को तरजीह दी है.
वीडियो: देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की मौत के मामले में जांच शुरू हो गई है. देश भर में एक तरफ़ जहां उनको श्रद्धांजलि दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर उनकी आलोचना करने वालों पर मुक़दमे भी दायर किए जा रहे हैं.
बीते आठ दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर के पास हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के 11 अन्य कर्मचारियों की मौत पर आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर देश भर में कम से कम आठ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, और जम्मू कश्मीर बैंक ने एक महिला कर्मचारी को निलंबित कर दिया है.
ट्विटर के सह-संस्थापक जैक डोर्सी की जगह 37 वर्षीय पराग अग्रवाल के सीईओ बनने के एक दिन बाद कंपनी ने कहा कि 'मीडिया और सूचना के दुरुपयोग को लेकर बढ़ती चिंताओं' को ध्यान में रखते हुए ये क़दम उठाया गया है.
बीते शुक्रवार को आयोजित होने वाले इस वेबिनार में 2019 के बाद कश्मीर में प्रतिरोध व असंतोष की नई चुनौतियों पर चर्चा होनी थी. जेएनयू के वीसी जगदीश कुमार ने कहा कि यह उकसाने वाला विषय है और फैकल्टी सदस्यों ने आयोजन की योजना बनाने से पहले प्रशासन की अनुमति नहीं ली थी. आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस वेबिनार के पोस्टर जलाकर कार्रवाई की मांग की थी.
फैब इंडिया के एक हालिया विज्ञापन पर आपत्ति के बाद कंपनी का उसे हटाने का फ़ैसला उसी बीमारी को उजागर करता है, जिसका भारत को डटकर सामना करने की ज़रूरत है.
मिश्रित संस्कृति, भाषा की यात्रा आदि की शिक्षा का अब कोई लाभ नहीं है. उर्दू या मुसलमानों के ख़िलाफ़ प्रचार किसी अज्ञानवश नहीं किया जा रहा. यह उनके रोज़ाना अपमान का ही एक हिस्सा है. टाटा के बाद फैब इंडिया ने भी इसी अपमान को शह दी है.
पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह पर पिछले साल इंस्टाग्राम चैट के दौरान एक अन्य क्रिकेटर के ख़िलाफ़ जातिवादी टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था. एक वकील ने पिछले साल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि युवराज सिंह की टिप्पणी से दलित समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है.
जम्मू कश्मीर सरकार ने इन लोगों पर आतंकवादियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया है. उपराज्यपाल द्वारा इनकी बर्ख़ास्तगी संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(सी) के तहत की गई है. संविधान के इस प्रावधान के अनुसार सरकार को बिना जांच के ही संबंधित अधिकारी को बर्ख़ास्त करने का अधिकार मिला हुआ है.