कांवड़ मार्ग नेमप्लेट: एनडीए के सहयोगी जयंत चौधरी ने योगी सरकार के आदेश की आलोचना की

एनडीए सरकार में भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानदारों के नाम लिखने के आदेश को अव्यवहारिक बताया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाई है.

एनसीईआरटी ने छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब से जाति और वर्ण व्यवस्था का उल्लेख हटाया

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी)ने छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब 'एक्सप्लोरिंग सोसाइटी इंडिया एंड बियॉन्ड' में जाति व्यवस्था का उल्लेख किए बिना वेदों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जबकि पुरानी किताब में उल्लेख था कि महिलाओं और शूद्रों को वेदों का अध्ययन करने की अनुमति नहीं थी.

अंबानी की शादी, मंहगा मोबाइल रिचार्ज और ग्रामीण महिलाओं पर पड़ा दुष्प्रभाव

अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी के महाउत्सव के बीच अंबानी समूह के स्वामित्व वाले रिलायंस जियो ने अपने मोबाइल रिचार्ज के दाम काफ़ी ज्यादा बढ़ा दिए. कीमतों में हुई इस आकस्मिक बढ़ोतरी ने सबसे ज्यादा ग्रामीण महिलाओं के जीवन को प्रभावित किया है.

एनडीए के सहयोगी दलों ने कांवड़ मार्ग के खाद्य विक्रेताओं के लिए जारी निर्देशों का विरोध जताया

भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग के खाद्य पदार्थ विक्रेताओं को दुकानों पर अपने नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है. भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगी दलों ने अपनी आपत्ति जताते हुए इसे 'भेदभावपूर्ण' बताया है.

प्रोफेसर तुलसीराम: अपने समय के कबीर

प्रोफेसर तुलसीराम जाति व्यवस्था को परमाणु बम से भी ज़्यादा घातक मानते और कहते थे कि आप किसी शहर पर परमाणु बम गिरा दें तो वह उसकी एक-दो पीढ़ियों को ही नष्ट कर पाएगा. पर हमारे समाज पर थोपी गई जाति व्यवस्था पीढ़ी दर पीढ़ी संभावनाओं का संहार करती आ रही है.

दुचित्तेपन से मुक्ति

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: दुचित्तेपन से मुक्त होने का आशय यह नहीं है कि हम ख़ुद को संसार में विकसित चिंतन-सृजन आदि से विमुख कर लें और आधुनिकता संपन्न मानकर किसी छद्म आत्मगौरव में इठलाने लगें. दुचित्तेपन से मुक्ति एक दुधारी आलोचना दृष्टि से ही मिल सकती है.

यूपी: यौन उत्पीड़न पर पुलिस के कथित तौर पर कार्रवाई न करने पर छात्रा ने आत्महत्या की

घटना चित्रकूट ज़िले की है, जहां दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ने 23 जून को ख़ुदकुशी कर ली थी. परिजनों का आरोप है कि दो लोगों के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न की उनकी शिकायत पर पुलिस की निष्क्रियता से निराश होकर उन्होेंने यह कदम उठाया.

पूर्वोत्तर राज्यों ने आयुष्मान केंद्र का नाम बदलकर आरोग्य मंदिर करने को लेकर आपत्ति जताई

पिछले साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों का नाम बदलकर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' किया था. मिज़ोरम और नगालैंड ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी और चर्च व नागरिक समाज की ओर से विरोध हो सकता है.

राजनीति में नीति की शून्यता हमें बेचैन नहीं करती

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हमारे सामाजिक आचरण की सारी मर्यादाएं तज दी गई हैं. देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था संसद में ख़रीद-फ़रोख़्त का काम हो सकता है तो हम इसे राजनीतिक लेन-देन समझते हैं जो होता ही रहता है. हम ऐसा लोकतंत्र बनते जा रहे हैं जिसमें मर्यादा और नैतिक कर्म की जगह घट रही है.

हिंदी साहित्य हिंदी समाज का राजनीतिक प्रतिपक्ष बन गया है: अशोक वाजपेयी

परंपरा पर जो दबाव हिंदी अंचल पर पड़े हैं, वे केरल या महाराष्ट्र में नहीं थे. वहां परंपरा अधिक सजीव रही है, सुरक्षित रही है और उसे आत्म विस्तार, आत्माविष्कार  का अवसर मिलता रहा. यहां बार-बार आक्रमण होते रहे हैं. इसलिए यहां की संस्कृति अस्थिर है. इसके जो दुष्परिणाम हैं, उनमें से एक है हिंदुत्व.

कर्नाटक: हाईकोर्ट ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व सीएम येदियुरप्पा की गिरफ़्तारी पर रोक लगाई

करीब तीन महीने पहले एक महिला ने बीएस येदियुरप्पा पर उनकी 17 वर्षीय बेटी का यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस मामले में बेंगलुरु की एक अदालत द्वारा ग़ैर-ज़मानती अरेस्ट वॉरंट जारी किया था, पूर्व सीएम ने हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत की मांग की थी.

तानाशाही जनतंत्र के भीतर, उसी के सहारे पैदा होती है

जैसे सभ्यता का दूसरा पहलू बर्बरता का है, वैसे ही जनतंत्र का दूसरा पहलू तानाशाही है. जनतंत्र की तानाशाही इसलिए भी ख़तरनाक है कि उसे खुद जनता लाती है. वह लोकप्रिय मत के सहारे सत्ता हासिल करती है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की 32वीं क़िस्त.

अधूरेपन का एहसास जनतांत्रिकता की बुनियाद है

जनतंत्र तरलता और निरंतर गतिशीलता से परिभाषित होता है. न तो व्यक्ति कभी अंतिम रूप से पूर्ण होता है, न कोई समाज. लेकिन अपूर्णता का अर्थ यह नहीं कि आप अपने साथ कुछ करते ही नहीं, ख़ुद को पूर्णतर करने का प्रयास लगातार चलता है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की 31वीं क़िस्त.

क्या हैं विफलता के कर्तव्य?

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विफल होने के बाद क्या करें या न करें यह बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि आपका क्या-कुछ दांव पर लगा है.

धन के वर्चस्व ने बहुत चतुराई से साधारण जन को लोकतंत्र में निरुपाय कर दिया है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: भारत के साधारण वर्ग के नागरिक संवैधानिक अधिकार और पात्रता रखते हुए चुनाव नहीं लड़ सकते. हमने जो व्यवस्था बना ली है वह भारत की साधारणता को लोकतंत्र में कोई निर्णायक भूमिका निभाने से रोक रही है.

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