वीडियो: भारत में कोरोनावायरस संक्रमण को सांप्रदायिक रंग दिए जाने के बाद खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा सोशल मीडिया पर इसी तरह के पोस्ट लिखने पर इन देशों के पत्रकारों, वकीलों और शाही परिवार के लोगों ने विरोध जताया है. इस बारे में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से गल्फ़ न्यूज़ के संपादक बॉबी नक़वी की बातचीत.
19 अप्रैल को गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के भीतर मजदूरों के आवागमन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं. हालांकि इनके व्यावहारिक रूप से लागू होने पर कई सवाल हैं.
बीते दस दिनों में पूर्वी उत्तर प्रदेश के रहने वाले दो मज़दूरों ने बीमारी के चलते मुंबई और दिल्ली में दम तोड़ दिया, पर लॉकडाउन और ख़राब आर्थिक स्थिति के चलते परिजन उनका शव लाने नहीं जा सके. आजीविका के लिए परिवार से हज़ारों मील दूर रह रहे इन लोगों को अंतिम समय में भी अपनों का साथ नसीब नहीं हुआ.
भाजपा नेता और केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि किसी एक संस्था या किसी व्यक्ति के गुनाह के लिए पूरे समुदाय को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. उस संस्था ने जो भी आपराधिक लापरवाही या अपराध, उसकी ज़्यादातर मुसलमानों ने निंदा की और कार्रवाई करने की मांग की है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि कुलपति योगेश त्यागी ने यूनिवर्सिटी के स्टाफ द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के लिए दिए गए करीब चार करोड़ रुपये बिना किसी की सलाह के पीएम केयर्स फंड में ट्रांसफर किए हैं.
घटना हज़ारीबाग ज़िले में हुई, जहां रामगढ़ के पतरातू के रहने वाले 25 साल के जाबिर अंसारी को चोरी के इल्ज़ाम में उग्र भीड़ ने बेरहमी से पीटा. पीड़ित के परिजनों ने उनकी मुस्लिम पहचान के चलते पीटे जाने का आरोप लगाया है.
इस लॉकडाउन को इतने भर के लिए दर्ज नहीं किया जा सकता कि लोगों ने किचन में क्या नया बनाना सीखा, कौन-सी नई फिल्म-वेब सीरीज़ देखीं या कितनी किताबें पढ़ीं. यह दौर भारतीय समाज के कई छिलके उतारकर दिखा रहा है, ज़रूरत है कि आपकी नज़र कहां है?
सब जानते हैं कि कोविड-19 एक घातक वायरस की वजह से फैला है, लेकिन भारत में इसे सांप्रदायिक जामा पहना दिया गया है. आने वाले समय में यह याद रखा जाएगा कि जब पूरे देश में लॉकडाउन हुआ था, तब भी मुसलमान सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो रहे थे.
कोरोना वायरस के मद्देनज़र हुए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान राजस्थान में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. राज्य सरकार ने सहायता मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं, लेकिन अब भी सभी विस्थापितों तक मदद नहीं पहुंची है.
तबलीग़ी जमात की आलोचना सही है, लेकिन ज़रूरी है कि उनके इतिहास को पढ़ा जाए और सोच समझकर उनके बारे में कोई राय बनाई जाए.
स्पेन में प्रति 1,000 व्यक्तियों के लिए 3 अस्पताल बेड और 4.1 डॉक्टर हैं. भारत में यह आंकड़ा प्रति 1,000 व्यक्तियों के लिए 0.7 अस्पताल बेड और 0.8 डॉक्टर का है. बावजूद इसके स्पेन को कोरोना महामारी के चलते सभी निजी अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण करना पड़ा. भारत सरकार इस संकट का जवाब कैसे देगी, यह देखने वाली बात है.
देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की अंतिम क्रिया को लेकर सरकार द्वारा स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, इनके बावजूद कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां संक्रमण के डर से मृतकों को दफ़नाने या जलाने विरोध किया गया या फिर मृतक के परिजनों के इनकार के बाद प्रशासन ने यह ज़िम्मेदारी उठाई.
यह समय सरकारों के लिए असाधारण काम करने का है, नागरिकों पर ही ज़िम्मेदारी डाल देने और नियोजकों की सदाशयता के भरोसे रहने का नहीं.
कोरोना संक्रमण की भयावहता के चलते इसकी वैक्सीन के मानव परीक्षणों के लिए एक अमेरिकी महिला के सामने आने के बाद कई वालंटियर्स सामने आए हैं. यह उस समय के बिल्कुल उलट है जब जीवविज्ञानी वाल्देमार हाफकिन को प्लेग के टीके का सबसे पहला प्रयोग स्वयं पर करना पड़ा था क्योंकि कोई और इसके लिए तैयार ही नहीं था.
घटना बिहार के मधुबनी ज़िले के अरेर की है. सोशल मीडिया पर वैवाहिक समारोह का वीडियो वायरल होने के बाद गांव की पंचायत समिति के एक सदस्य की शिकायत पर गांव के मुखिया सहित अन्य लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है.