सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा और लोगों को पीट-पीट कर मारने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए दिए गए निर्देशों पर अमल नहीं करने के आरोपों पर केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा है.
बीते 23 जुलाई को फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन के अलावा विभिन्न क्षेत्रों की 49 हस्तियों ने देश में धार्मिक पहचान के कारण घृणा अपराधों और मॉब लिंचिंग के बढ़ते मामलों पर चिंता प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.
मामला झारखंड के गुमला जिले का है. पुलिस ने कहा कि अंधविश्वास के कारण चारों की हत्या हुई है.
बूढ़ी औरत को जब यह बताया गया कि उसके पोते सलीम की ‘लिंचिंग’ हो गई है तो उसकी समझ में कुछ न आया. उसे अंदाज़ा था कि अंग्रेज़ी के शब्द अच्छे होते हैं और उसके पोते के बारे में यह कोई अच्छी ख़बर है.
असम में मिया कविता पर बना एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जाने के बाद इस कविता के रचनाकार हाफ़िज़ अहमद समेत 10 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया. आरोप है कि इन कविता में एनआरसी और असमिया लोगों के प्रति पूर्वाग्रह झलकता है.
बरेली की बिथरी चैनपुर सीट से विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने कहा कि मीडिया में जो मेरे खिलाफ चल रहा है, वो सब गलत है. मेरी बेटी बालिग है, उसको निर्णय लेने का अधिकार है. मेरे परिवार का कोई सदस्य या मेरे से जुड़े किसी भी व्यक्ति द्वारा फोन नहीं किया गया और न ही उसे धमकी दी जा रही है.
उर्दू साहित्य में महिलाओं की आत्मकथाओं के बारे में बता रही हैं यासमीन रशीदी.
शिवकुटी लाल वर्मा ने अपनी कविता में वह सब महसूस किया, जिसे देश की दलित, पीड़ित व शोषित जनता आज तक महसूस करती आई है. उन्होंने न केवल इसे महसूस किया बल्कि इसे लेकर लगातार सवाल भी किए.
वाराणसी के समाजसेवी शिवप्रसाद गुप्त को आज उनके शहर के बाहर कोई जयंती या पुण्यतिथि पर भी याद नहीं करता, लेकिन कभी देश की आज़ादी की लड़ाई के साथ समाज के उत्थान में उनके योगदान के चलते महात्मा गांधी उन्हें राष्ट्ररत्न कहा करते थे.
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने बीते 21 जून को जारी किए गए रिपोर्ट में कहा था कि भारत में 2018 में गायों के व्यापार या गोवध की अफवाह पर अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर, मुसलमानों के खिलाफ चरमंपथी हिंदू समूहों ने हिंसा की है.
बीते 21 जून को अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में गायों के व्यापार या गोवध की अफवाह पर अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर, मुसलमानों के खिलाफ चरमंपथी हिंदू समूहों ने हिंसा की है.
क़ानून का राज होने के बाद भी भीड़ का राज क़ायम है. इस भीड़ को धर्म, जाति और परंपरा के नाम पर छूट मिली है. किसी औरत को डायन बताकर मार देती है, जाति तोड़कर शादी करने वालों की हत्या कर देती है. इसी कड़ी में अब यह शामिल हो गया है कि अपराध करने वाला या झगड़े की ज़द में आ जाने वाले मुसलमान को जय श्री राम के नाम पर मार दिया जाएगा.
भारत ने अमेरिका की इस रिपोर्ट को खारिज किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि एक विदेशी संस्था द्वारा हमारे नागरिकों के संविधान संरक्षित अधिकारों की स्थिति पर टिप्पणी करने का कोई औचित्य नहीं है.
हिरासत में हिंसा और मौत के मामलों में गुजरात सरकार का अपनी पुलिस के साथ खड़े रहने का एक अनकहा-सा रिवाज़ रहा है, लेकिन संजीव भट्ट के मामले में ऐसा नहीं दिखता.
गिरीश कर्नाड हमारे बीच से उतनी ही शांतिपूर्ण गरिमा और ईमानदारी के साथ विदा हो गए, जिस तरह से उन्होंने अपना जीवन जिया.