सोहराबुद्दीन शेख़ को वर्ष 2005 में कथित तौर पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारा गया था. वर्ष 2018 में एक विशेष अदालत ने गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोगों को इस मामले में बरी कर दिया था.
सोहराबुद्दीन शेख़ फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले में बीते साल 21 दिसंबर को सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था. आरोपियों में अधिकतर गुजरात और राजस्थान के जूनियर स्तर के पुलिस अधिकारी शामिल थे.
सोहराबुद्दीन हत्या मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि इस मामले का मुख्य आधार चश्मदीद गवाह थे, जो अपने बयान से मुकर गए. नवंबर 2017 से शुरू हुई सुनवाई में 210 गवाहों की जांच की गई, जिनमें से 92 अपने बयान से पलट गए.
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में एक वकील सतीश ऊके द्वारा सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया की मौत की जांच के संबंध में याचिका दर्ज करवाई गई है.
क्या अमित शाह कभी सोचते होंगे कि हरेन पांड्या की हत्या और सोहराबुद्दीन-कौसर बी-तुलसीराम एनकाउंटर की ख़बर ज़िंदा कैसे हो जाती है? अमित शाह जब प्रेस के सामने आते होंगे तो इस ख़बर से कौन भागता होगा? अमित शाह या प्रेस?
नागपुर के एक वकील सतीश ऊके ने सीबीआई जज बीएच लोया की मौत को संदिग्ध बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर कर कहा है कि जज लोया को ज़हर दिया गया था और इससे संबंधित सभी दस्तावेज मिटा दिए गए हैं.
तुलसीराम प्रजापति फर्जी एनकाउंटर केस के मुख्य जांच अधिकारी संदीप तमगड़े ने सीबीआई कोर्ट को बताया कि अमित शाह और डीजी वंजारा, दिनेश एमएन और राजकुमार पांडियन जैसे आईपीएस अधिकारी इस मामले के मुख्य साजिशकर्ता थे.
सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में पूर्व मुख्य जांच अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने बताया कि अमित शाह को इस मामले में 70 लाख का भुगतान किया गया था. पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, पूर्व एसपी (उदयपुर) दिनेश एमएन, पूर्व एसपी (अहमदाबाद) राजकुमार पांडियन और पूर्व डीसीपी (अहमदाबाद) अभय चूड़ास्मा को भी फायदा हुआ था.
सोहराबुद्दीन शेख़ के भाई रुबाबुद्दीन ने अदालत को बताया कि तुलसीराम प्रजापति ने उसे बताया था कि उसके भाई को फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मारा गया है. सोहराबुद्दीन के साथी प्रजापति की भी 2006 में एक कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मौत हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जज लोया की 'संदिग्ध' मौत पर स्वतंत्र जांच की याचिका ख़ारिज करने के बाद परिवार ने कहा अब किसी पर विश्वास नहीं.
मामले में अब तक पेश हुए 53 गवाहों में से 35 अपने बयान से पलट चुके हैं.
तीन हफ़्तों से मामले की सुनवाई कर रहीं जज रेवती मोहिते डेरे ने सीबीआई के कामकाज पर भी नाराज़गी व्यक्त की थी. अब मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट की एकल पीठ करेगी.
हाई-प्रोफाइल आरोपियों की रिहाई, ज़मानत और गवाहों पर दबाव होने जैसे कई सवाल उठाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय एम थिप्से ने इस मामले को न्यायतंत्र की असफलता कहा है.
मामले में अब तक 30 गवाह बयान से मुकरे. नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि गवाहों को सुरक्षा देना सीबीआई का दायित्व. मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती.
नवंबर से शुरू हुई सुनवाई में अब तक अभियोजन के 40 गवाहों में से 27 गवाह बयान से मुकर चुके हैं.