पूरे भारत से आई ख़बरें बता रही हैं कि 2014 और 2019 का 'मोदी मैजिक' इस बार ग़ायब है क्योंकि चुनाव लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र और राज्य स्तर पर लड़े गए हैं, जहां बेरोजगारी, महंगाई और ग्रामीण संकट पूरे भारत में आम विषय हैं.
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में केरल में होने जा रहा मुक़ाबला न केवल भाजपा, बल्कि विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है. भाजपा ने आज तक राज्य में कोई संसदीय सीट नहीं जीती है, वहीं केंद्र में भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को 'इंडिया' गठबंधन के बैनर तले चुनौती देने की बात करने वाले विपक्षी दल केरल में एलडीएफ और यूडीएफ में बंटकर एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
कर्नाटक के भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील कर कहा था कि वे दक्षिण भारत को अलग देश बनाने की बात कहने वाले कांग्रेस सांसद डीके सुरेश और विधायक विनय कुलकर्णी को गोली मारने के लिए एक क़ानून लाएं. केस दर्ज होने पर उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रवाद और हिंदुत्व से जुड़े सिद्धांतों पर अपने ख़िलाफ़ ऐसी 100 एफ़आईआर से भी नहीं डरते हैं.
बीते दिनों आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों और उनके प्रतिनिधि चुनने की प्राथमिकताओं पर लंबी बहस चली, तमाम सवाल उठाए गए. क्या वजह है कि इन क्षेत्रों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मिजाज़ में इतना अंतर है?
भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि 1921 का मालाबार विद्रोह हिंदू समाज के ख़िलाफ़ था और केवल असहिष्णुता के चलते किया गया था.
इतिहासकार विजया रामास्वामी का बीते दिनों निधन हो गया. उनके विपुल लेखन को एक सूत्र जो जोड़ता है, वह है इतिहास में महिलाओं की उपस्थिति दर्ज करने का प्रयास. दक्षिण भारत की महिला संतों पर उन्होंने जो लिखा है, वह विचारोत्तेजक होने के साथ ही जेंडर संबंधी इतिहास, धर्म, समाज, संस्कृति और पितृसत्ता की जटिल संरचना की समझ को समृद्ध करता है.
जन गण मन की बात की 292वीं कड़ी में भाजपा की भय की राजनीति और केंद्र सरकार के दक्षिण भारत के प्रति सौतेले व्यवहार पर चर्चा कर रहे हैं.