आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में जनता द्वारा पिछले कई सप्ताह से राष्ट्रपति और सरकार के इस्तीफ़े की मांग के बीच एक बार फ़िर आपातकाल लागू करने का फैसला लिया गया है. हालांकि, इस्तीफे के बढ़ते दबाव के बावजूद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है.
श्रीलंका सरकार आर्थिक सहायता के लिए 11 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बातचीत करने वाली है. वहीं, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सरकार के बचाव में कहा है कि विदेशी मुद्रा संकट उनका खड़ा किया हुआ नहीं है और आर्थिक मंदी का कारण महामारी है जिसने पर्यटन को प्रभावित किया.
मंगलवार की रात जारी अधिसूचना में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने कहा कि उन्होंने आपातकालीन नियम अध्यादेश को वापस ले लिया है, जिसके तहत सुरक्षा बलों को देश में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए थे. हालांकि, जनता के विरोध और सरकार के अल्पमत में होने के बावजूद राष्ट्रपति राजपक्षे ने इस्तीफ़ा देने से इनकार कर दिया है.
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार देर रात तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने में मदद करने के लिए राष्ट्रपति राजपक्षे ने संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों को मंत्री पद स्वीकार करने के लिए कहा है, लेकिन विपक्ष ने इस पूरी कवायद को नाटक करार दिया है.
श्रीलंकाई पुलिस ने कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर देश के पश्चिमी प्रांत में 664 लोगों को गिरफ़्तार किया है. वहीं, सरकार ने सोशल मीडिया तक जनता की पहुंच को समाप्त करने के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक लगाने का आदेश दिया है और लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर भी रोक लगा दी है. दूसरी ओर, विपक्षी सांसदों ने भी आपातकाल लगाने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और विरोध मार्च निकाला.
श्रीलंका वर्तमान में ऐतिहासिक आर्थिक संकट से जूझ रहा है और ईंधन, रसोई गैस तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं. इसके ख़िलाफ़ देश में प्रदर्शन जारी हैं. आपातकाल की घोषणा उस समय की गई है, जब अदालत ने राष्ट्रपति आवास के सामने प्रदर्शन के लिए गिरफ़्तार प्रदर्शनकारियों के एक समूह को ज़मानत दे दी है.
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन जैसे आवश्यक सामान की कमी हो गई है. देश में दिन में 13 घंटे तक बिजली गुल रहती है. इसके विरोध में बीते गुरुवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के बाहर सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए और उनके इस्तीफ़े की मांग की थी. बाद में यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था.
श्रीलंका ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इन प्रतिबंधों की योजना की घोषणा की है. इससे पहले पिछले हफ़्ते स्विट्जरलैंड ने सार्वजनिक जगहों पर पूरी तरह से चेहरा ढंकने या बुर्का पहनने पर पाबंदी लगाने के लिए मतदान किया था. 51.2 फीसदी मतदाताओं ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था.
बीते शनिवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा था कि अमित शाह ने भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए पार्टी के नेताओं से कहा था कि भाजपा अन्य क्षेत्रीय देशों में ‘आत्मनिर्भर दक्षिण एशिया’ पहल के तहत शासन स्थापित करेगी और अब श्रीलंका और नेपाल में भी विस्तार करना है.
श्रीलंका के साप्ताहिक अखबार द संडे टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंकाई सरकार द्वारा भारत और जापान के साथ 2019 में हुए पूर्वी कंटेनर टर्मिनल विकास से संबंधित समझौते को रद्द करने के कुछ दिन पहले चीनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने पर भारत ने श्रीलंका सरकार के समक्ष विरोध दर्ज कराया था.
इस्तीफ़ा देने वाले शीर्ष मंत्रियों में से कुछ पर आईएसआईएस से जुड़े नेशनल तौहीद जमात से संबंध रखने के आरोप लगे हैं. इस इस्लामिक चरमपंथी समूह द्वारा ईस्टर पर किए गए घातक आत्मघाती हमलों में 258 लोगों की जान चली गई थी.
केरल के कोझिकोड की मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी ने सर्कुलर जारी कर कहा कि महिलाओं का अपने चेहरे को ढकना इस्लामिक नहीं है. इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. इस आदेश का कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है.
श्रीलंका के विपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे ने कहा कि उनके कामकाजी संबंध जिस प्रकार भारत की पूर्ववर्ती यूपीए सरकार से रहे थे, वैसे संंबंध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के साथ नहीं हैं.
बीते छह मार्च को कैंडी और अम्पारा जिलों में हुए बौधों और मुस्लिमों के बीच हुई हिंसा के बाद 10 दिनों के लिए श्रीलंका में आपातकाल घोषित कर दिया था.
टी20 सीरीज़ के लिए श्रीलंका के दौरे पर है भारतीय क्रिकेट टीम.