कर्नाटक के हावेरी ज़िले में बीते मंगलवार को कुछ हिंदू संगठनों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के ख़िलाफ़ लड़ने वाले 19वीं सदी के सैन्य नेता संगोली रायन्ना की मूर्ति के साथ एक बाइक रैली निकाली थी. जब यह रैली एक मुस्लिम इलाके से गुज़री, तो कुछ बदमाशों ने मुस्लिम समुदाय के घरों और एक मस्जिद पर पथराव किया.
कश्मीर में सीआईडी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि पासपोर्ट और सरकारी नौकरी आदि हेतु सत्यापन के दौरान व्यक्ति की क़ानून-व्यवस्था उल्लंघन, पत्थरबाज़ी के मामलों और राज्य में सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ अन्य आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता की विशेष तौर पर जांच हो. जम्मू क्षेत्र के लिए ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.
जम्मू कश्मीर में साल 2018 में पत्थर फेंकने की 1458 और 2017 में 1412 घटनाएं दर्ज की गईं. पिछले साल पांच अगस्त को विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद से यहां 1193 घटनाएं दर्ज की गई हैं. अगस्त 2019 में राज्य में पत्थरबाज़ी की कुल 658 घटनाएं सामने आईं, जबकि उससे पहले जुलाई में सिर्फ़ 26 घटनाएं हुई थीं.
श्रीनगर के नौहट्टा में शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष के दौरान दो युवक कथित रूप से सीआरपीएफ की गाड़ी की चपेट में आए गए थे. अज्ञात पत्थरबाज़ों और सीआरपीएफ के चालक के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है.
कश्मीर में पिछले साल नौ अप्रैल को सेना ने फ़ारूक़ को पत्थरबाज़ बताते हुए जीप की बोनट से बांधकर कई गांवों में घुमाया था. घटना के एक साल बाद भी फ़ारूक़ अवसाद में हैं.
9 अप्रैल 2017 को सेना द्वारा जीप पर बांधकर घुमाए गए फ़ारूक़ अहमद डार साल भर बाद भी अपनी सामान्य ज़िंदगी में लौटने के लिए जूझ रहे हैं.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया था कि कश्मीर में पत्थरबाज़ी की घटनाओं में कमी आई है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में हथियार उठाने वाले कश्मीरी नौजवानों की तादाद पिछले आठ साल में सबसे ज़्यादा हो गई है.
मुख्यमंत्री ने चरमपंथ से निपटने के लिए नरम रवैया अपनाने की वक़ालत करते हुए करीब चार हज़ार युवाओं के ख़िलाफ़ दर्ज पत्थरबाज़ी के मुक़दमे वापस लेने का आदेश दिया है.
जम्मू कश्मीर मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को दिया निर्देश.
किसी भी पेशेवर सेना के लिए उसकी प्रतिष्ठा सबसे ज़रूरी होती है पर ऐसा लगता है कि भारतीय सुरक्षा के शीर्ष पद पर बैठे लोग चाहे वे मंत्रालय में हों या सेना में, ये बात भूल गए हैं.
मेजर गोगोई को पुरस्कृत कर सेना ने एक झटके में कश्मीर घाटी के सभी वासियों को संदेश दे डाला है कि सेना तुम्हारी दोस्त नहीं है.
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंडिया के अनुसार, अधिकारी को पुरस्कृत करने का मतलब है कि सेना निर्दयी, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार के उस कृत्य को सही ठहराना चाहती है.
पिछले महीने बड़गाम में उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना ने अपनी जीप के आगे एक शख़्स को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.
कश्मीर में साल 1990 से लेकर 9 अप्रैल 2017 तक की अवधि में मौत के शिकार हुए लोगों में स्थानीय नागरिक, सुरक्षा बल के जवान और आतंकवादी शामिल हैं.
संघ प्रांत कार्यवाह पुरुषोत्तम दधीचि ने बताया कि राज्य में संघ का तेजी से विस्तार हो रहा है. हमारी राष्ट्रवादी विचारधारा यहां की जनता को आकर्षित कर रही है.