बीते बुधवार को बलिया ज़िला प्रशासन को इसी दिन होने वाली 12वीं की अंग्रेज़ी विषय की बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक होने की सूचना मिलने के बाद 24 ज़िलों में इम्तिहान रद्द कर दिया गया था. मामले में ज़िला विद्यालय निरीक्षक समेत 22 लोगों को गिरफ़्तारी हुई है. इनमें तीन पत्रकार भी शामिल हैं, जिन्होंने लीक हुए प्रश्न पत्र संबंधी ख़बर लिखी थी.
बताया गया है कि बलिया के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को बुधवार सुबह इसी दिन दूसरी पाली में होने वाले अंग्रेज़ी के पेपर के लीक होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद 24 ज़िलों में परीक्षा रद्द कर दी गई. मामले की जांच शुरू हो गई है और बलिया के ज़िला विद्यालय निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है.
छत्तीसगढ़ के लिए शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट-2021 के अनुसार 2020 में महामारी फैलने के बाद स्कूल बंद होने से बच्चों सीखने की क्षमता को बहुत गंभीर नुकसान हुआ है, जहां शुरुआती कक्षाओं में वर्णमाला के अक्षरों को भी पहचानने में असमर्थ छात्रों का प्रतिशत 2018 की तुलना में 2021 में दोगुना हो गया है.
चंपावत ज़िले के एक सरकारी स्कूल की दलित रसोइए द्वारा बनाए मध्याह्न भोजन को कथित उच्च जाति के छात्रों के खाने से इनकार के बाद उन्हें काम से हटा दिया गया था. मुख्य शिक्षा अधिकारी ने बताया कि उन्हें नियुक्ति में सही प्रक्रिया का पालन न होने के चलते हटाया गया था. अब उचित प्रक्रिया के बाद उन्हें बहाल कर दिया गया है.
चंपावत ज़िले के सुखीढांग के एक सरकारी स्कूल की दलित रसोइए द्वारा बनाए गए मध्याह्न भोजन को कथित उच्च जाति के छात्रों द्वारा खाने से इनकार के बाद महिला को काम से हटा दिया गया था. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने महिला को हटाने की वजह नियुक्ति में प्रक्रियागत चूक को बताया था.
घटना चंपावत ज़िले के सुखीढांग के एक सरकारी स्कूल की है, जहां 66 छात्रों में से 40 ने इस महीने की शुरुआत में नियुक्त एक दलित महिला द्वारा तैयार खाना खाने से मना कर दिया था. काम से हटाए जाने के बाद महिला ने उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराते हुए आपत्ति जताने वाले छात्रों के माता-पिता के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है.
जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने आरोप लगाया था कि पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए मौखिक परीक्षा में शामिल हुए कई उम्मीदवारों को संवैधानिक रूप से अनिवार्य आरक्षण नीति का उल्लंघन करते हुए कम अंक दिए गए, ख़ासतौर पर उन विद्यार्थियों को जो हाशिये पर रहने वाले वर्गों से आते हैं.
यूनेस्को और यूनिसेफ के सहयोग से विश्व बैंक द्वारा तैयार एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पढ़ाई में कमज़ोर बच्चों का हिस्सा 53 प्रतिशत था, जो कोविड-19 महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद होने के चलते 70 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.
'फ्री टू थिंक 2021' रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय अधिकारियों ने आतंकवाद विरोधी क़ानूनों के तहत शिक्षाविदों और छात्रों को ग़लत तरीके से हिरासत में लिया और उन पर मुक़दमा चलाया गया.
वीडियो: भारत भर में छात्र विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के रिज़ल्ट और कई भर्ती परीक्षाओं की तारीखों के ऐलान करने का इंतज़ार कर रहे हैं. इसके ख़िलाफ़ तमाम युवाओं ने एक ऑनलाइन विरोध अभियान शुरू किया है. द वायर ने ऐसे कुछ युवाओं से बातचीत की.
कर्नाटक में धारवाड़ के एसडीएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पाए गए अधिकतर संक्रमितों में लक्षण नहीं दिखे हैं, जबकि कुछ को हल्के लक्षण दिखाई दिए हैं. उन्हें क्वारंटीन में रखा गया है. ज़िला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर मेडिकल कॉलेज के 500 मीटर के दायरे में स्कूलों और कॉलेजों के लिए अवकाश घोषित कर दिया है. वहीं ओपीडी सेवाएं भी तीन दिनों के लिए बंद कर दी गई हैं.
कर्नाटक के धारवाड़ में एसडीएम चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय एवं अस्पताल में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे कम से कम 178 छात्रों के कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने के बाद दो छात्रावासों को सील कर दिया गया है. वहीं, बंगलुरु के एक अंतर्राष्ट्रीय बोर्डिंग स्कूल के 33 छात्र और एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
पश्चिम बंगाल के प्राथमिक स्कूलों के अध्यापकों के एक समूह 'शिक्षा आलोचना' द्वारा महामारी के दौरान पढ़ाई को लेकर जारी की गई रिपोर्ट बताती है कि स्कूल परिसर के बाहर अपना काम जारी रखना कितना चुनौतीपूर्ण था लेकिन अध्यापकों ने उसे किया. यह रिपोर्ट पढ़ी जानी चाहिए, अध्यापकों की वकालत के लिए नहीं, यह समझने के लिए कि प्राथमिक शिक्षा कितना जटिल मसला है और उसके कितने पक्ष हैं.
वर्तमान में जिस तरह से धार्मिक शिक्षा के लिए रास्ता सुगम किया जा रहा है, ऐसे में यह भी याद रखना चाहिए कि जैसे-जैसे यह शिक्षा आम होती जाएगी, वह वैज्ञानिक चिंतन के विकास को बाधित करेगी. नागरिकों को यह बताना ज़रूरी है कि धार्मिक चेतना और वैज्ञानिक चेतना समानांतर धाराएं हैं और आपस में नहीं मिलतीं.
उत्तर प्रदेश में बढ़ रही बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ बीते 24 सितंबर को विभिन्न छात्रों और युवा संगठनों ने राज्यव्यापी आंदोलन किया. प्रदर्शनकारियों ने ऐलान किया कि वे अगले साल राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले ‘छात्र युवा रोज़गार अधिकार मोर्चा’ के तहत राज्य में बेरोज़गारी और निजीकरण के ख़िलाफ़ आंदोलन को और तेज़ करेंगे.