सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण मौजूदा इमारत के नज़दीक ही किया जाएगा. इसके 21 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है. इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरणविदों द्वारा लगातार चिंता व्यक्त की गई है.
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए बेटी को यह साबित करना होगा कि कि वह ख़ुद का ख़र्च चलाने में असमर्थ है.
सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि पांच मार्च 2020 और 10 सितंबर 2020 के आदेश के अनुपालन में उच्च न्यायालयों को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक सांसदों/विधायकों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत 175 मामले और धनशोधन निषेध क़ानून के तहत 14 मामले लंबित हैं.
सुदर्शन न्यूज़ के बिंदास बोल कार्यक्रम के 'नौकरशाही जिहाद' एपिसोड के प्रसारण को रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत होने के नाते यह कहने की इजाज़त नहीं दे सकते कि मुस्लिम सिविल सेवाओं में घुसपैठ कर रहे हैं. और यह नहीं कहा जा सकता कि पत्रकार को ऐसा करने की पूरी आज़ादी है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक कार्यक्रम में कहा कि बोलने की आज़ादी को कुचलने के लिए सरकार फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने के आरोप का तरीका भी अपना रही है. कोरोना के मामलों और इससे संबंधित अव्यवस्थाओं की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर फेक न्यूज़ देने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने पुनर्वास की याचिका दायर की थी. इस पर केंद्र के यह कहने कि अंतिम निर्णय लेने तक झुग्गियां नहीं हटेंगी, कोर्ट ने कहा कि बस्तियों के ख़िलाफ़ चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को न्यायपालिका एवं जजों को लेकर अपने दो ट्वीट के चलते अदालत की अवमानना का दोषी क़रार दिया गया था और एक रुपये जुर्माने की सज़ा दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को न्यायपालिका एवं जजों को लेकर अपने दो ट्वीट के चलते अदालत की अवमानना का दोषी क़रार दिया गया था और 31 अगस्त को एक रुपये जुर्माने की सज़ा दी गई थी.
बीते 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेलवे पटरी के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का आदेश दिया है. 50 से अधिक ग़ैर-सरकारी संगठनों ने एक बयान जारी कर कहा कि इस क़दम का ढाई लाख लोगों के जीवन, आजीविका, गरिमा और अधिकारों पर विनाशकारी परिणाम पड़ेगा.
बीते 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेलवे ट्रैक के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का आदेश दिया है. अदालत के इस आदेश में कई ज़रूरी पहलुओं पर उचित ध्यान नहीं दिया गया है, इनमें सबसे महत्वपूर्ण आवास के अधिकार को नज़रअंदाज़ करना है.
एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के एक साल बाद भी इसमें शामिल नहीं हुए लोगों को आगे की कार्रवाई के लिए ज़रूरी रिजेक्शन स्लिप का इंतज़ार है. प्रक्रिया में हुई देरी के लिए तकनीकी गड़बड़ियों से लेकर कोरोना जैसे कई कारण दिए जा रहे हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो वजह केवल यही नहीं है.
काशी-मथुरा के मंदिरों को ‘मुक्त’ कराने की दक्षिणपंथी समूहों की मांग पर संघ ने कहा- हम ज़ोर नहीं देंगे
हिंदू संतों के एक संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस हफ़्ते की शुरुआत में कहा कि वे राम जन्मभूमि आंदोलन की तर्ज पर वाराणसी और मथुरा के ‘हिंदू मंदिरों को मुक्त' कराने के लिए अभियान शुरू करेंगे. इसके बाद आरएसएस ने कहा कि इसके लिए ज़ोर नहीं देगा.
डॉ. पायल तड़वी की आत्महत्या मामले में आरोपी तीन डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी पढ़ाई पूरी करने की अनुमति मांगते हुए याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था. राज्य सरकार ने कहा है कि सुनवाई ख़त्म होने तक उन्हें इसकी इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए.
भारत के राजनीतिक तौर पर सर्वाधिक संवेदनशील मामलों को अनिवार्य रूप से जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ को ही भेजा जाता था और देश के सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम जज इसकी वजह जानने के लिए इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए थे.
मराठा समुदाय को शिक्षा और रोज़गार में आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र के क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया. हालांकि जिन लोगों को इसका लाभ मिल गया है उनकी स्थिति में कोई बदलाव नही होगा. अब इस मामले की सुनवाई बड़ी पीठ करेगी.