कोविड वायरस: भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीयकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

याचिका में कहा गया है कि भारत में कम बजट के आवंटन की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य का क्षेत्र हमेशा ही खस्ताहाल रहा है. याचिका में दावा किया गया है कि दुनिया भर में इस महामारी पर अंकुश लगने तक स्वास्थ सुविधाओं का राष्ट्रीयकरण किया जा चुका है.

कोरोना से जूझ रहे स्वास्थ्यकर्मी योद्धा, सरकार इन्हें सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित पीड़ितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को केंद्र और राज्य सरकारें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराएं.

सरकारी लैब हो या प्राइवेट, कोरोना टेस्ट फ्री में हो: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें ये कहा गया था कि प्राइवेट लैब्स कोरोना जांच के लिए 4500 रुपये तक वसूल सकते हैं.

हिरासत केंद्रों से लोगों की रिहाई की मांग, केंद्र और असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

कोरोना वायरस के मद्देनज़र असम के एक गैर सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि ऐसी ही राहत उन लोगों को भी दिए जाने की आवश्यकता है, जिन्हें फॉरेन ट्र‌िब्यूनल द्वारा विदेशी नागरिक घोषित किए जाने के बाद हिरासत में रखा गया है.

भारत में 40 करोड़ मजदूर गरीबी में फंस सकते हैं: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन

संगठन के मुताबिक भारत में लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल से ज़्यादा उम्र के क़ैदियों की रिहाई पर आदेश देने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कहा गया है कि वृद्ध क़ैदी और पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति कोरोना वायरस के संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं.

कोरोना संकट: शहरी बेरोज़गारी 22 फीसदी बढ़ी, देश में ग़रीबों की संख्या बढ़ने के आसार

भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत में साल 2006 से 2016 के बीच 27.1 करोड़ लोग ग़रीबी से बाहर आए हैं, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते कई लोगों की ज़िंदगी अधर में है. इसके चलते हज़ारों लोग बेरोज़गार हुए है और अपने गांव-क़स्बों की ओर लौटने को मजबूर हैं.

प्रवासी मजदूरों की हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते

एक जनहित याचिका में शहरों से पलायन न करने वाले कामगारों को पारिश्रमिक दिए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे बताया गया है कि ऐसे कामगारों को आश्रय गृहों में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और ऐसी स्थिति में उन्हें पैसे की क्या जरूरत है.

असम: डिटेंशन सेंटर में बंद 60 वर्षीय महिला की मौत, कुल मृतकों की संख्या 30 पहुंची

कोकराझार जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने महिला की पहचान राबेदा बेगम के रूप में की, जो कि फरवरी 2018 से हिरासत में थीं.

कोविड-19: एमनेस्टी इंडिया की असम सरकार से अपील, डिटेंशन सेंटर के बंदियों को रिहा करें

कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकार ने 700 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है. इस कदम का स्वागत करते हुए एमेनस्टी इंडिया ने कहा है कि मुख्यमंत्री को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हिरासत केंद्रों में विदेशी घोषित किए गए और संदिग्ध नागरिकों को भी तत्काल रिहा किया जाए.

मनरेगा मज़दूरों को लॉकडाउन के दौरान पूरा पारिश्रमिक भुगतान के लिए न्यायालय में जनहित याचिका

मज़दूर किसान शक्ति संगठन द्वारा उच्चतम न्यायालय में दाख़िल याचिका में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को दिए गए उस निर्देश की आलोचना की गई है, जिसमें कहा गया है कि​ लॉकडाउन के दौरान जहां भी संभव हो, मनरेगा मज़दूरों को काम की अनुमति होगी.

मध्य प्रदेश: शिवराज सिंह चौहान के लिए वापसी के बाद की राह आसान नहीं है

मध्य प्रदेश में भाजपा की सत्ता वापसी तो हो गई है, लेकिन शिवराज सिंह चौहान के लिए यह कार्यकाल उनके पिछले कार्यकालों की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण रहेगा. विश्लेषकों के अनुसार, उन्हें पार्टी में आए बाग़ी विधायकों को साधने से लेकर उन मुद्दों से भी निपटना है, जिन पर वे कांग्रेस को घेरते आए हैं.

कोरोना के चलते छत्तीसगढ़ की जेलों से छोड़े गए 584 क़ैदी

अधिकारियों ने बताया कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जेलों में क़ैदियों की संख्या कम करने का निर्णय लिया गया था, जिससे यहां कोरोना वायरस का ख़तरा कम किया जा सके. क़ैदियों को कुछ शर्तों के अधीन अंतरिम ज़मानत, पैरोल और सज़ा पूरी होने पर छोड़ा गया है.

लॉकडाउन : कामगारों के पारिश्रमिक के भुगतान से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक जनहित याचिका में कहा गया है कि देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से रोज़गार गंवाने वाले लाखों कामगारों के लिए जीने के अधिकार लागू कराने की आवश्यकता है. सरकार के 25 मार्च से 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद ये कामगार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

कोई भी लोकतंत्र मीडिया का मुंह बंद करके वैश्विक महामारी से नहीं लड़ रहा है: एडिटर्स गिल्ड

इस हफ़्ते की शुरुआत में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मीडिया कोरोना वायरस संबंधी कोई भी जानकारी छापने या दिखाने से पहले सरकार से इसकी पुष्टि कराए. इसके बाद अदालत ने मीडिया को निर्देश दिया कि वे ख़बरें चलाने से पहले उस घटना पर आधिकारिक बयान लें.

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