एल्गार परिषद मामले में लंबे समय से जेल में बंद सात कार्यकर्ताओं- सुरेंद्र गाडलिंग, हेनी बाबू, रोना विल्सन, सागर गोरखे और रमेश गाइचोर, सुधीर धवले और महेश राउत ने 18 अक्टूबर से अनशन शुरू किया है. बताया गया है कि मामले में पिछली तीन सुनवाई के दौरान उन्हें अदालत में पेश नहीं किया गया.
मुंबई: तलोजा जेल में खाने को लेकर कथित भ्रष्टाचार, आम बंदियों का राशन वीआईपी क़ैदियों को देने का आरोप
महाराष्ट्र पुलिस और अदालत को दी गई एक विस्तृत शिकायत में एल्गार परिषद मामले में कथित भूमिका के लिए गिरफ़्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग और सागर गोरखे ने तलोजा जेल में आम और विशेष क़ैदियों के बीच भेदभाव का आरोप लगाया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को गुरुवार को नागपुर केंद्रीय कारागार से रिहा कर दिया गया. साल 2014 से क़ैद में रहे साईबाबा ने सरकार से मुआवज़े की मांग के बारे में पूछने पर कहा कि उन्होंने इस बारे में विचार नहीं किया है.
तेलंगाना पुलिस ने अगस्त 2022 में प्रो. हरगोपाल, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा समेत 152 लोगों पर ‘हथियार के बल पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार गिराने’ की साज़िश का आरोप लगाते हुए यूएपीए और अन्य संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया था. नामज़द लोगों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.
तेलंगाना पुलिस ने अगस्त 2022 में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर 'हथियारों के बल पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार गिराने' की साज़िश का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था, जिसमें यूएपीए सहित विभिन्न धाराओं में 152 लोगों को आरोपी बनाया गया. नामजद लोगों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.
प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सशस्त्र कैडरों ने 27 दिसंबर 2016 को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले के सूरजगढ़ खदान से लौह अयस्क ले जाने में शामिल कम से कम 39 वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी थी. सुरेंद्र गाडलिंग पर माओवादी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप है. वह एल्गार परिषद मामले में भी एक आरोपी हैं.
भीमा-कोरेगांव और एल्गार परिषद मामले में कुछ आरोपियों की पैरवी कर रहे वकील ने कहा है कि अदालत ने मई 2022 में आरोपियों को उनके ख़िलाफ़ जुटाए गए सबूतों की सभी क्लोन कॉपी प्रदान करने का निर्देश एनआईए को दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी केवल 40 फीसदी कॉपी ही साझा की गई हैं.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. मामले के एक आरोपी फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत के दौरान पिछले साल मुंबई के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी, जबकि तेलुगू कवि वरवरा राव चिकित्सकीय ज़मानत पर जेल से बाहर हैं. सुधा भारद्वाज को भी नियमित ज़मानत पर रिहा किया गया है. 13 अन्य आरोपी विभिन्न जेलों में बंद हैं.
प्रवर्तन निदेशालय ने एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की गतिविधियां संचालित करने के लिए धन जुटाने का आरोप लगाया है. मुंबई की एक विशेष अदालत ने ईडी को तलोजा जेल में बंद गाडलिंग का बयान 17 से 19 अगस्त तक दर्ज करने की अनुमति दे दी है.
प्रवर्तन निदेशालय ने एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की गतिविधियां संचालित करने के लिए धन जुटाने का आरोप लगाया है. इस संबंध में एक विशेष अदालत के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर गाडलिंग से पूछताछ की अनुमति मांगी गई है.
एल्गार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा और सागर गोरखे जेल में मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी. सुनवाई के दौरान जेल अधिकारियों ने बताया कि क़ैदियों द्वारा मच्छरदानी का उपयोग देना जोख़िम भरा है, क्योंकि इनका उपयोग कोई व्यक्ति स्वयं या दूसरों का गला घोंटने के लिए कर सकता है. इधर, अदालत ने मामले में शोमा सेन, सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग और महेश राउत की ज़मानत याचिका भी ख़ारिज कर दी है.
इस पत्र में कहा गया कि साइबर हमलों और भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में साक्ष्यों को प्लांट करने के संबंध में खुलासे को देखते हुए गिरफ़्तार किए गए इन कार्यकर्ताओं को कम से कम ज़मानत दी जानी चाहिए. एल्गार परिषद मामले में अब तक 16 कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. इनमें से एक फादर स्टेन स्वामी की कोरोना की वजह से हिरासत में ही मौत हो गई थी.
दिसंबर 2007 में उत्तराखंड पुलिस ने 'नक्सलवाद पर कड़ी चोट' का दावा करते हुए कार्यकर्ता प्रशांत राही को माओवादी बताते हुए गिरफ़्तार किया था. चौदह साल बाद इस दावे को साबित न कर पाने पर अदालत ने राही और तीन अन्य को बरी कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट समिति ने तीन जनवरी को एक नोटिस जारी करके लोगों से अपील की थी कि अगर उन्हें लगता है कि उनका फोन भी पेगासस हमले का शिकार हुआ था तो वे समिति से संपर्क कर सकते हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते एक दिसंबर को वकील एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को तकनीकी ख़ामी के आधार पर ज़मानत दे दी थी और आठ अन्य आरोपियों की इसी आधार पर ज़मानत की अर्जी खारिज़ कर दी थी. आरोपियों ने दावा किया है कि उन्हें ज़मानत से इनकार करने का आदेश ‘तथ्यात्मक त्रुटि’ पर आधारित है.