इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ अकाउंटेंट्स के सर्वे में 1200 लोगों को शामिल किया गया. भारतीय कारोबारियों ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन ने भारतीय व्यावसायिक समुदाय के लिए परेशानियां खड़ी की हैं.
1999 में एनडीए-1 ने 8% जीडीपी वृद्धि दर के साथ अपनी पारी की शुरुआत की थी, लेकिन बाद के तीन वित्तीय वर्षों के बीच जीडीपी वृद्धि दर में तेज़ गिरावट देखी गई. यही कहानी एनडीए-2 में भी दोहराई जा रही है.
निजी निवेश अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और सुधार का भी कोई संकेत नहीं दिख रहा है.
2017 को एक ऐसे साल के तौर पर याद किया जाएगा, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने ही हाथों भारी नुकसान पहुंचाया गया. इससे जीडीपी में तीव्र गिरावट आयी और पहले से ही नए रोज़गार निर्माण की ख़राब स्थिति और बदतर हुई.
31 सदस्यीय जीएसटी परिषद में एक भी महिला सदस्य न होने पर भी अदालत ने नाराज़गी जाहिर की.
साक्षात्कार: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से नरेंद्र मोदी सरकार, जीएसटी, रॉबर्ट वाड्रा, कार्ति चिदंबरम, विपक्ष, गुजरात चुनाव समेत विविध विषयों पर विस्तृत बातचीत.
केंद्र सरकार के 1.35 लाख करोड़ मूल्य के सरकारी बॉन्डों के रूप में बैंकों को अतिरिक्त पूंजी देने के फैसले का मतलब है कि करदाताओं के पैसों से बैंकों और बकायेदार कॉरपोरेट समूहों को उबारा जा रहा है.
गुजरात के द्वारका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास का सपना सवा सौ करोड़ भारतीयों का है और मैं इसमें रंग भर रहा हूं.
डूबती अर्थव्यवस्था को लेकर कई भाजपा नेता लगातार वित्त मंत्री पर हमला कर रहे हैं, लेकिन जिन आर्थिक फैसलों से यह स्थिति आई है, उन्हें लेने में प्रधानमंत्री की भूमिका पर एक चुप्पी छाई हुई है.
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहाकि वर्ष 2008 का वित्त आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है.
2019 के चुनावों से 18 महीने पहले, भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई दिखाई दे रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार 2022 तक पूरे किए जाने वाले नामुमकिन वादों की झड़ी लगाने का सिलसिला जारी है.
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार बता रहे हैं कि टैक्स वसूलने को लेकर सरकार और व्यापारियों के बीच एक तरह की जंग चल रही है. व्यापारी डर के मारे बोल नहीं पा रहे हैं. कैमरा आॅन होता है तो तारीफ करने लगते हैं.
नई कर व्यवस्था में सैनिटरी नैपकिन को 12 प्रतिशत कर दर के दायरे में रखा गया है.
सरकार ने चुपके से स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन से जुड़े नियमों में बदलाव किए, जिसका सीधा फ़ायदा अडानी समूह को पहुंचा.
जीएसटी को लागू किए जाने से पहले सरकार ने छोटे कारोबारियों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया. किसी को जीएसटी के जटिल प्रारूप के कारण छोटे व्यापारियों पर पड़नेवाले प्रभावों का आकलन करने की फुर्सत नहीं है, जिन पर वकील और सीए अभी से ही शिकारी बाज़ की तरह झपट पड़े हैं.