इस मामले में एफआईआर 3 जनवरी, 2019 को रामपुर के एक थाने में आकाश सक्सेना (जो अब भाजपा के विधायक हैं) द्वारा दर्ज कराई गई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि आज़म ख़ान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म को दो फ़र्ज़ी जन्म प्रमाण-पत्र - एक लखनऊ से और दूसरा रामपुर से - प्राप्त करने में मदद की थी.
समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से लोकसभा सांसद आज़म ख़ान पिछले दो सालों से जेल में हैं. उन पर दर्ज 87 मामलों में से 84 में उन्हें ज़मानत मिल चुकी है. शेष जिन तीन मामलों वे हिरासत में हैं, उनमें ज़मानती प्रक्रिया ऐसी अंतहीन बाधाओं का शिकार है जहां कभी सुनवाई का आवेदन रहस्यमय ढंग से ग़लत कोर्ट में पहुंच जाता है, तो कभी सुनवाई के रोज़ केस की फाइल ही खो जाती है.