मणिपुर: मीडिया में टिप्पणी करने से पहले शिक्षकों को प्रशासन से अनुमति लेने को कहा गया

विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति ऐसा बयान नहीं देगा, जो केंद्र/राज्य सरकार की किसी भी वर्तमान या हालिया नीति या कार्रवाई की आलोचना हो. आदेश का पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है.

क्या स्कूलों को दोबारा खोलने के लिए हमारी सरकारों के पास पर्याप्त योजनाएं हैं

स्कूली शिक्षा से जुड़े कुछ अधिकारियों का कहना है कि वे दाखिले की तैयारी कर रहे हैं, कुछ पाठ्यक्रम छोटा करने पर ध्यान दे रहे हैं, तो कुछ परीक्षाओं को लेकर चिंतित हैं. लेकिन कोई भी बच्चों और शिक्षकों की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक ज़रूरतों पर बात करता नहीं दिखता.

ओबीसी, एससी/एसटी के संपन्न लोग जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ नहीं लेने दे रहे: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वे समय-समय पर इसकी समीक्षा करें ताकि जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ मिले और संपन्न या सक्षम लोग इस पर अधिकार जमाए न बैठे रहें.

आंध्र प्रदेश: आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की नौकरी में 100 फीसदी आरक्षण का आदेश रद्द

साल 2000 में अविभाजित आंध्र प्रदेश ने आदिवासी इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों के 100 फीसदी पद अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द करते हुए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जिसे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश बराबर-बराबर भरेंगे.

बिहार के अनुदान आधारित शिक्षकों की समस्या पर ध्यान क्यों नहीं दे रही सरकार?

बिहार के अनुदान आधारित विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक लंबे समय से अनुदान के बदले सरकारी स्कूलों की तरह वेतनमान की मांग कर रहे हैं. इन शिक्षकों ने नई दिल्ली में धरना देकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से अपनी समस्याओं के समाधान की गुहार लगाई है.

‘सबका साथ-सबका विकास में समान वेतनमान क्यों शामिल नहीं’

अनुदान के बजाय वेतनमान और बकाया भुगतान की मांग को लेकर बीते पांच सितंबर से बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के शिक्षक दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठे हैं. शिक्षकों से विशाल जायसवाल की बातचीत.

शिक्षक दिवस और सम्मान का नाटक

शिक्षकों के साथ अपमानजनक व्यवहार कोई नई बात नहीं. पिछले चार सालों में केंद्र सरकार ने भारत के संघीय ढांचे को धता बताते हुए जिस तरह शिक्षक दिवस को हड़प लिया है ताकि उसके ज़रिए प्रधानमंत्री की छवि निखारी जा सके, उसे याद कर लेना काफ़ी है.

झारखंड में क्यों सड़कों पर ठोकरें खा रहे लाखों मानदेयकर्मी?

झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला बाल कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों में बड़ी तादाद में तैनात मानदेयकर्मियों को एक दिहाड़ी मज़दूर से भी कम वेतन मिलता है. लिहाज़ा प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है.

मध्य प्रदेश में विभिन्न मांगों को लेकर अस्थायी महिला शिक्षकों ने सिर मुंडवाया

चार अस्थायी महिला शिक्षकों के अलावा 100 से ज़्यादा अस्थायी ​शिक्षकों ने अपना सिर का मुंडन करवाकर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार की ​नीतियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.