गांबिया में 66 बच्चों की मौत के लिए भारतीय औषधीय जांच एजेंसियां ज़िम्मेदार क्यों हैं?

वीडियो: डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, गांबिया में 66 बच्चों की मौत संभवतः भारत की दवा कंपनी द्वारा बनाए हुए कफ सीरप के दूषित होने के चलते हुई. भारत ने इसकी जांच की बात कही है लेकिन ऐसे पर्याप्त सबूत मौजूद हैं जो बताते हैं कि औषधीय एजेंसियों ने कंपनी के बारे में कई पूर्व चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया था.

विवादित कफ सीरप देश में नहीं बेचे गए, केवल गांबिया भेजे गए: सरकार

गांबिया में 66 बच्चों की मौत के बाद जिन कफ सीरप को लेकर डब्ल्यूएचओ ने भारत को आगाह किया है, उनके बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वे उत्पाद गांबिया में बिक्री के लिए निर्यात के उद्देश्य से हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने तैयार किए थे. कंपनी के पास भारत में निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं है.

भारत निर्मित कफ सीरप पीने से गांबिया में 66 बच्चों की मौत, डब्ल्यूएचओ की चेतावनी के बाद जांच शुरू

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाई गईं खांसी की चार दवाओं में डायथिलिन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल नामक पदार्थ पाए हैं, जो मनुष्यों के लिए ज़हरीले माने जाते हैं. 

सलमान रुश्दी की हालत में सुधार, बर्बर हमले की विभिन्न वर्गों ने की निंदा

अंग्रेजी भाषा के प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर बीते 12 अगस्त को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एक कार्यक्रम के दौरान चाकू से हमला कर बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया गया था. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत विश्व भर के लेखक, कार्यकर्ता, उनके संगठनों और प्रकाशकों ने इस हमले को बर्बर बताते हुए इसकी निंदा की है.

महामारी घोषित करने के साल भर बाद भी कोरोना को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा डब्ल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते साल 11 मार्च को कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया था. इससे पहले संगठन ‘महामारी’ शब्द के इस्तेमाल से बचता रहा था. विशेषज्ञों के मुताबिक, जब तब संगठन ने इसे महामारी घोषित किया तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वायरस अंटार्कटिका को छोड़ दुनिया के सभी महाद्वीपों में पहुंच चुका था.

कोविड-19: दुनिया में ऑक्सीज़न सिलेंडर की कमी पर डब्ल्यूएचओ ने जताई चिंता

कोरोना वायरस के मरीज़ों को सांस लेने में तकलीफ़ का सामना करना पड़ता है और उन्हें ऑक्सीज़न सपोर्ट की ज़रूरत पड़ती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने कहा कि अनेक देशों के पास ऑक्सीज़न के लिए ज़रूरी उपकरणों का अभाव है और 80 फ़ीसदी से ज्यादा बाज़ार पर कुछ ही कंपनियों का क़ब्ज़ा है.