नेपाल में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को नई सरकार बनाने के लिए 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा के कम से कम 136 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है. दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा, दोनों ने ऐसे कुछ सांसदों का समर्थन होने का दावा किया था, जिनके नाम उन दोनों की सूची में शामिल थे.
72 वर्षीय राजकुमार केसवानी बीते दिनों कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद हुए फेफड़ों के संक्रमण के चलते भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां शुक्रवार को उनका देहांत हो गया. वे भोपाल गैस त्रासदी से पहले यूनियन कार्बाइड की सुरक्षा चूक पर ध्यान दिलाने की रिपोर्टिंग और उनके साप्ताहिक सिनेमा कॉलम के लिए जाने जाते थे.
एनआईए ने पिछले साल अक्टूबर में भीमा कोरेगांव हिंसा-एल्गार परिषद मामले में 84 वर्षीय स्टेन स्वामी को गिरफ़्तार किया था.स्वामी ने सरकारी अस्पताल में भर्ती होने की सलाह से इनकार करते हुए कहा कि वह भर्ती नहीं होना चाहते, उसकी जगह कष्ट सहना पसंद करेंगे और संभवत: स्थितियां जैसी हैं, वैसी रहीं तो जल्द ही मर जाएंगे. उन्होंने कहा कि जो दवाइयां वे दे रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा मजबूत मेरी गिरती हालत है.
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पत्र लिखकर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘इंडियन वैरिएंट’ शब्द को कोरोना वायरस के बी 1.617 वैरिएंट के साथ नहीं जोड़ा है. संगठन ने 11 मई को कहा था कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह ‘स्वरूप चिंताजनक’ है.
एयर इंडिया द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 11 अगस्त 2011 और 3 फरवरी 2021 के बीच पंजीकृत एयर इंडिया के एक निश्चित संख्या में यात्रियों की निजी जानकारी लीक हुई है, जिसमें उनके नाम, जन्म तिथि, संपर्क सूचना, पासपोर्ट जानकारी, टिकट जानकारी और क्रेडिट कार्ड डेटा शामिल है.
यदि चीन के सामने पूर्ण समर्पण को रोकना है, तो सबसे पहले भारत को एक मज़बूत औद्योगिक नीति लानी होगी.
देशभर में कोरोना संक्रमितों या इससे उबर चुके लोगों में ब्लैक फंगस संक्रमण देखा जा रहा है, पर मध्य प्रदेश में स्थिति बेहद ख़राब है. लगातार कई शहरों में बढ़ते मामलों और मौत की ख़बरों के बीच दवा और इंजेक्शन का अभाव तो बना ही है, वहीं सरकार को अब तक राज्य में आए ऐसे कुल मामलों की जानकारी तक नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश को सलाह के तौर पर लेना चाहिए और उसे लागू करने के लिए हरसंभव क़दम उठाने चाहिए. उत्तर प्रदेश के मेरठ जैसे शहर के एक मेडिकल कॉलेज में इलाज की बुरी स्थिति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि शहरों का यह हाल है तो छोटे शहरों और गांवों के संबंध में राज्य की संपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे ही कही जा सकती है.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी उन वीडियो के आधार पर की, जिसमें ये देखा जा सकता है कि चार धामों में से दो- बद्रीनाथ और केदानाथ में बड़ी संख्या में साधू/पुजारी कोरोना नियमों को उल्लंघन करते हुए घूम रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने राज्य के दूरदराज़ के इलाकों में रह रहे लोगों की चिकित्सकीय ज़रूरतों पर ध्यान नहीं देने के लिए केंद्र की खिंचाई करते हुए कहा कि वह पर्वतीय प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है.
फेसबुक की नवीनतम पारदर्शिता रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़ा इससे पहले जनवरी-जून 2020 की तुलना में 13.3 प्रतिशत ज़्यादा है. भारत में राज्यों एवं केंद्र सरकार द्वारा ऐसे अनुरोधों की संख्या 2013 से लगातार बढ़ रही है. जनवरी और जून 2013 के बीच सरकार ने लगभग 3,250 अनुरोध किए थे, जो 2020 की इसी अवधि में दस गुना बढ़कर 35,600 हो गया.
इस 11 दिन के ख़ूनी संघर्ष में ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, इज़रायल के अधिकांश हिस्सों में जीवन थम गया था और दोनों तरफ के 200 से अधिक लोगों की जानें गईं. 19 मई तक इस संघर्ष में 208 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें क़रीब 60 बच्चे शामिल हैं. वहीं इज़रायल में भी दो बच्चों सहित 12 लोगों की जान गई है.
क्या पैसे, शोहरत और सुरक्षा की परवाह किए बगैर चुपचाप समाज के सबसे वंचित तबके की मदद करने वाले डॉ. प्रदीप बिजलवान के अस्पताल और ऑक्सीजन की जद्दोजहद के बीच गुज़र जाने के कोई मायने हैं? क्या वे भी उस सरकारी रिकॉर्ड में मौत का महज़ एक आंकड़ा बनकर रह जाएंगे, जिसमें आज की तारीख़ में लगभग दो लाख मौतें दर्ज हैं?
बीते 17 मई को अरब सागर में चक्रवाती तूफान ताउते की चलते डूबे बार्ज ‘पी-305’ में 261 लोग मौजूद थे. इनमें से 186 लोगों को बचाया गया. अब तक 51 शव मिले हैं और 27 लोग लापता हैं. मुंबई पुलिस ने बताया कि बार्ज के चीफ इंजीनियर की शिकायत पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मामला सागर ज़िले के रहली क़स्बे का है, जहां कोरोना कर्फ्यू के दौरान सब्ज़ी लेने जा रही एक महिला के मास्क न पहनने पर कथित रूप से कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें सड़क पर पीटा और बाल पकड़कर घसीटा. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद एक महिला आरक्षक सहित दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है.
कोविड-19 से जूझ रहे मरीज़ों में पाए जा रहे ब्लैक फंगस संक्रमण अथवा म्यूकरमाइकोसिस के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने को कहा है.