घटना रविवार शाम को जोरहाट ज़िले में हुई. पुलिस ने बताया कि नौ युवक किसी जन्मदिन पार्टी से नशे में लौट रहे थे, जब एक की बाइक चाय बागानों से आ रही महिलाओं से टकराई और वे गंभीर रूप से घायल हो गईं. इसके बाद उनके साथी मज़दूरों ने दो युवकों को पकड़कर पीटा, जिनमें से एक की मौत हो गई.
लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुछ डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह का आदेश दिखाता है कि जिन डॉक्टरों को कोरोना वॉरियर्स कहा जा रहा है, उन पर प्रशासन वास्तव में विश्वास ही नहीं करता.
30 मई को हुई बारिश और आंधी-तूफान में लखनऊ सहित विभिन्न क्षेत्रों में घर ढहने की घटनाएं सामने आई हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को तत्काल प्रभाव से चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं.
पिछले सप्ताह लुधियाना के सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने ख़राब गुणवत्ता के मास्क को लेकर प्रदर्शन किया था और यहां के लेवल-2 आइसोलेशन सेंटर में कोरोना मरीजों को ख़राब खाना दिए जाने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे.
लैंसेट के अध्ययन के अनुसार कोविड का मातृत्व मृत्यु और बाल मृत्यु दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अनुसार भारत में छह महीनों में 3 लाख बच्चों की कुपोषण और बीमारियों से 14 हज़ार से अधिक महिलाओं की प्रसव पूर्व या इसके दौरान मृत्यु हो सकती है. हालांकि वित्तमंत्री द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर पैकेज में कुपोषण और मातृत्व हक़ के लिए एक रुपये का भी आवंटन नहीं किया गया है.
जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और वर्तमान में इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस के चेयरमैन प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन से उत्पन्न प्रवासी मजदूरों की समस्या सरकार की गलत नीतियों और असंतुलित विकास का नतीजा है.
रेलवे अधिकारियों को 68 साल की एक महिला अकेले मुंबई के बांद्रा टर्मिनस रेलवे स्टेशन के बाहर बैठी हुई मिली थीं. उन्होंने बताया कि चार महीने पहले बीमार बेटे की देखभाल के लिए दिल्ली से आई थीं और अब बेटे ने सामान समेत उन्हें घर से निकाल दिया है.
पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी से संबंधित कई जमानत याचिकाओं की सुनवाई करते हुए बरामद की गई शराब की राशि के बराबर पैसा पीएम केयर्स फंड में जमा कराने के बाद जमानत दिए जाने का आदेश दिया.
चार्ल्स डार्विन ने 1859 में प्राकृतिक चयन पर अपनी किताब दुनिया के सामने पेश की थी, लेकिन उनसे कुछ साल पहले ही स्कॉटलैंड के पैट्रिक मैथ्यू इस सिद्धांत तक पहुंच चुके थे. इस बात को ख़ुद डार्विन ने भी माना था, पर इतिहास मैथ्यू को इसका उचित श्रेय नहीं दे सका.
अतीत में हमने कोरोना से ज़्यादा संहारक महामारियां झेली हैं, वो भी तब, जब हमारे पास आज जैसा ज्ञान-विज्ञान नहीं था लेकिन कभी इतने भयाक्रांत नहीं हुए कि अपने मनुष्य होने पर ही संदेह होने लगे और संक्रमण से बचाव का डर उस हद तक पहुंच जाए, जहां से घर लौटते प्रवासी मज़दूर अवांछनीय नज़र आने लग जाएं!
मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले का है. लॉकडाउन से पहले एक रेस्टोरेंट में काम करने वाले 50 वर्षीय भानु प्रकाश गुप्ता की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है जिसमें उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया है. उनके परिवार में बूढ़ी मां, पत्नी, तीन बेटियां और एक बेटा हैं.
रेलवे सुरक्षा बल के आंकड़ों के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में करीब 80 लोगों की मौत 9 मई से 27 मई के बीच हुई है. इनमें चार वर्ष से लेकर 85 वर्ष तक के यात्री शामिल थे.
फैक्ट चेक: सुप्रीम कोर्ट में 28 मई को प्रवासी मज़दूरों के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए क़दमों का ब्योरा देते समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक पुरानी घटना का ज़िक्र करते हुए ऐसा इशारा किया था कि मज़दूरों की परेशानियों को दिखाते लोग गिद्धों की तरह हैं. पड़ताल बताती है कि यह घटना असल में हुई ही नहीं, यह एक झूठा वॉट्सऐप मैसेज है.
ग़ैर कंटेनमेंट ज़ोन में आठ जून से रेस्तरां, शॉपिंग मॉल और धार्मिक स्थान खुलेंगे. स्वास्थ्य मंत्रालय इसके लिए दिशानिर्देश जारी करेगा. सरकार ने लॉकडाउन 5.0 को ‘अनलॉक-1’ का नाम दिया है.
एक अन्य घटना में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले में दिल्ली से गांव लौटे एक प्रवासी मज़दूर की घर से कुछ दूरी पर मौत हो गई. गुजरात के राजकोट शहर में घर जाने के लिए बस का इंतज़ार कर रहे एक कृषि मज़दूर की मौत वाहन की चपेट में आ जाने से हो गई.