जम्मू कश्मीर के प्रशासन द्वारा जारी वर्तमान आदेश की तरह ही पिछले वर्ष भी यहां स्वतंत्रता दिवस पर लोगों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए कहा गया था, जिसके बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था.
बीते रविवार को दुबई में एशिया कप क्रिकेट मैच में भारत के जीतने के बाद बीसीसीआई के सचिव जय शाह का तिरंगा नहीं पकड़ने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इसे लेकर विपक्ष ने उन पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रोटोकॉल के तहत तटस्थ रहने का अर्थ किसी ध्वज का अनादर करना नहीं होता.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लिखे एक आलेख में कहा कि विभाजनकारी राजनीति तात्कालिक फ़ायदा भले पहुंचाए लेकिन यह देश की प्रगति में बाधा खड़ी करती है.
उत्तर प्रदेश के बहराइच, कुशीनगर और सहारनपुर ज़िलों का मामला. बहराइच में हुई घटना में तिरंगा हटाकर हरा झंडा लगाने का आरोप दो मुस्लिम युवकों पर लगा है. इसी तरह कुशीनगर में ग़ैर-राष्ट्रीय ध्वज लगाने के आरोपी मुस्लिम युवक को गिरफ़्तार करने के अलावा उनकी बुआ और चचरे भाई के ख़िलाफ़ भी केस दर्ज किया गया है. वहीं सहारनपुर में पांच छात्रों पर पाकिस्तान ज़िंदाबाद नारा लगाने का आरोप लगा है.
कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में सत्तारूढ़ भाजपा के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान पर सवाल उठाते हुए और हिंदुओं से भाजपा के इस अभियान का बहिष्कार करने की अपील करते हुए नज़र आ रहे हैं. पुलिस ने कहा कि वीडियो की छानबीन कर क़ानून की उपयुक्त धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी.
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि करोड़ों लोगों के पास अपने रोज़ाना के भोजन का प्रबंधन करना एक बड़ा सवाल है. ये लोग झंडे के लिए पैसे की व्यवस्था कैसे कर सकते हैं. उत्तराखंड भाजपा के प्रमुख महेंद्र भट्ट ने कहा था कि भारत उन लोगों पर भरोसा नहीं कर सकता, जो राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराते हैं.
सोशल मीडिया पर सामने आए करनाल ज़िले के एक वीडियो में कुछ राशनकार्ड धारक शिकायत करते दिख रहे थे कि उन्हें 20 रुपये में तिरंगा खरीदने को मजबूर किया जा रहा है. अब एक बयान में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया है कि कोई अगर राष्ट्रध्वज नहीं खरीदना चाहता है तब भी उसे किसी सेवा से वंचित नहीं किया जाएगा.
भारत की स्वतंत्रता के 75 साल का जश्न मनाने के लिए चल रहे 'आज़ादी के अमृत महोत्सव' के आधिकारिक पत्राचार में देश के वर्तमान और एकमात्र 'प्रिय नेता' का ही ज़िक्र और तस्वीरें दिखाई दे रहे हैं.
हरियाणा के करनाल ज़िले में ये मामला सामने आने के बाद राहुल गांधी ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें कुछ राशनकार्ड धारकों को यह शिकायत करते हुए देखा जा सकता है कि उन्हें 20 रुपये में तिरंगा खरीदने को मजबूर किया जा रहा है. भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा कि तिरंगे की कीमत ग़रीब का निवाला छीनकर वसूलना शर्मनाक है. वहीं केंद्र ने कहा है कि उसने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दो अगस्त को आज़ादी के 75वें वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में लोगों से अपने सोशल मीडिया अकाउंट की डिस्प्ले तस्वीर के रूप में तिरंगा लगाने का आह्वान किया था. आरएसएस और इसके प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अब तक अपने एकाउंट पर राष्ट्रीय ध्वज की तस्वीर नहीं लगाने पर कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया है.
इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी. स्वतंत्र भारत के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके तहत सरकार 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही है, जिसके मद्देनज़र लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए यह क़दम उठाया गया है.
तिरंगे में लिपटे एक पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यपाल के पार्थिव शरीर के आधे हिस्से पर अपना झंडा प्रदर्शित करके भाजपा ने पूरी तरह साफ कर दिया कि राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान के मामले में वह अब भी ‘ख़ुद मियां फजीहत दीगरे नसीहत' की अपनी नियति से पीछा नहीं छुड़ा पाई है.
आंदोलन का शाब्दिक अर्थ ही यही है कि वह स्थिरता, जड़ता को तोड़ता है. वह कर्णप्रिय हो, आवश्यक नहीं.
क्या भगवा झंडे के समर्थक संघ और संघ से जुड़े किसी भी व्यक्ति या दल की तिरंगे के प्रति ईमानदारी पर विश्वास किया जा सकता है?
क्या 2002 के पहले तिरंगा भारतीय राष्ट्र का राष्ट्रध्वज नहीं था या फिर आरएसएस खुद अपनी आज की कसौटी पर कहें तो देशभक्त नहीं था?