टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के रजिस्ट्रार अनिल सुतार ने 20 अगस्त को एक पत्र जारी करते हुए स्वयं को हेड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन घोषित किया था. अब उन्होंने कुलपति को नया ख़त भेजकर कहा है कि उस आदेश को वापस लिया जाए और एक अन्य कार्यवाहक रजिस्ट्रार नियुक्त किया जाए.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने वाम छात्र संगठन प्रोग्रेसिव स्टूडेंट फोरम (पीएसएफ) पर बैन लगाते हुए कहा है कि वह संस्थान के कामकाज में बाधा डाल रहा है और उसे बदनाम कर रहा है. छात्र संगठन ने हाल में ग्रेजुएशन के लिए आए नए विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल का मुद्दा उठाया था.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के छात्र संघ ने आरोप लगाया कि संस्थान ने छात्रों को अकादमिक बहस करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है और ऐसे आयोजन करने की कोशिश करने वाले छात्रों पर सवाल उठाया है.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) ने एक नोटिस जारी कर छात्रों को ‘राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने पर क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कार्रवाई की चेतावनी दी. वहीं, आईआईटी बॉम्बे के एक छात्र संगठन ने 22 जनवरी को परिसर में होने वाले कार्यक्रमों पर आपत्ति जताई है.
पिछले साल अगस्त में उत्तर प्रदेश मुज़फ़्फ़रनगर के एक निजी स्कूल की शिक्षक तृप्ता त्यागी ने कथित तौर पर होमवर्क नहीं करने पर एक मुस्लिम छात्र को उसके हिंदू सहपाठियों से कक्षा में बार-बार थप्पड़ लगवाए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि सरकार ने वह नहीं किया, जो उससे करने की अपेक्षा की गई थी.
डीयू के साथ आंबेडकर विश्वविद्यालय में भी छात्र संगठनों ने गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की घोषणा की थी. छात्रों का कहना है कि इसे रोकने के लिए पुलिस बुलवाई गई और बिजली काट दी गई. वहीं, महाराष्ट्र में टिस ने विद्यार्थियों को डॉक्यूमेंट्री दिखाने से मना किया है.
पिछले साल फरवरी महीने में मुंबई के आज़ाद मैदान में हुए एक एलजीबीटीक्यू कार्यक्रम में जेएनयू छात्र शरजील इमाम के समर्थन में कथित नारेबाज़ी करने के लिए टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के दो छात्रों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
साल 2018 में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में यौन शोषण का मामला सामने आया था, जिसे ब्रजेश ठाकुर के संगठन द्वारा चलाया जा रहा था. दिल्ली की एक अदालत ने बीते जनवरी में ठाकुर को पॉक्सो क़ानून और आईपीसी की धाराओं के तहत बलात्कार और सामूहिक बलात्कार का दोषी माना था.
साल 2018 में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में यौन शोषण का मामला सामने आया था. यह बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के संगठन की ओर से चलाया जाता था. मामले के सभी दोषियों को 28 जनवरी को सज़ा सुनाई जाएगी.
बीते छह जनवरी को सीबीआई ने बिहार में 17 आश्रय गृहों की जांच कर इनमें से 13 मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर दिए गए हैं. सीबीआई ने बिहार के 25 डीएम और अन्य सरकारी कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफ़ारिश की है. सीबीआई के अनुसार, विभिन्न आश्रय गृहों में बच्चों के यौन शोषण और प्रताड़ना को रोकने में सरकारी अधिकारी असफल रहे हैं.
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह यौन शोषण मामला सामने आने के बाद राज्य के 17 आश्रय गृहों में बच्चों के यौन शोषण और प्रताड़ना के मामले उजागर हुए थे. शीर्ष अदालत ने सीबीआई को इनकी जांच के आदेश दिए थे.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं. हालांकि छात्रसंघ भवन के सामने इकट्ठा होकर छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित नदवा कॉलेज में प्रदर्शन के दौरान पथराव. दिल्ली विश्वविद्यालय और हैदराबाद के मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी सोमवार को परीक्षाओं का बहिष्कार किया. बनारस में बीएचयू, कोलकाता में जाधवपुर विश्वविद्यालय और मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस में भी प्रदर्शन. देश के तीन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ने भी किया विरोध.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टिस) के हैदराबाद कैंपस में छात्रों का विरोध प्रदर्शन बीते हफ़्ते शुरू हुआ था. फीस में बढ़ोतरी और लड़कियों के हॉस्टल के आसपास सुरक्षा की कमी के विरोध में भूख हड़ताल पर हैं.
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी.