बीते रविवार को लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में लगे तिरंगे को खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने हटा दिया था. इस दौरान कोई भी सुरक्षाकर्मी उन्हें रोक नहीं पाया था. भारत ने ब्रिटेन पर भारतीय राजनयिक परिसर की सुरक्षा के प्रति ‘उदासीनता’ का आरोप लगाते हुए घटना को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है.
उत्तर प्रदेश के बहराइच, कुशीनगर और सहारनपुर ज़िलों का मामला. बहराइच में हुई घटना में तिरंगा हटाकर हरा झंडा लगाने का आरोप दो मुस्लिम युवकों पर लगा है. इसी तरह कुशीनगर में ग़ैर-राष्ट्रीय ध्वज लगाने के आरोपी मुस्लिम युवक को गिरफ़्तार करने के अलावा उनकी बुआ और चचरे भाई के ख़िलाफ़ भी केस दर्ज किया गया है. वहीं सहारनपुर में पांच छात्रों पर पाकिस्तान ज़िंदाबाद नारा लगाने का आरोप लगा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दो अगस्त को आज़ादी के 75वें वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में लोगों से अपने सोशल मीडिया अकाउंट की डिस्प्ले तस्वीर के रूप में तिरंगा लगाने का आह्वान किया था. आरएसएस और इसके प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अब तक अपने एकाउंट पर राष्ट्रीय ध्वज की तस्वीर नहीं लगाने पर कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया है.
इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी. स्वतंत्र भारत के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके तहत सरकार 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही है, जिसके मद्देनज़र लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए यह क़दम उठाया गया है.
आरोप के अनुसार, मुज़फ़्फ़रनगर के पुरकाज़ी सीट से राष्ट्रीय लोकदल विधायक अनिल कुमार ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज उल्टा फहरा दिया था. सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल होने के बाद विधायक ने घटना पर दुख जताते हुए कहा था कि उनसे ग़लती हो गई.
तिरंगे में लिपटे एक पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यपाल के पार्थिव शरीर के आधे हिस्से पर अपना झंडा प्रदर्शित करके भाजपा ने पूरी तरह साफ कर दिया कि राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान के मामले में वह अब भी ‘ख़ुद मियां फजीहत दीगरे नसीहत' की अपनी नियति से पीछा नहीं छुड़ा पाई है.
गोवा के साओ जैसिंटो द्वीप के लोग तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना और प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 का विरोध कर रहे हैं. निवासियों ने कहा है कि उन्हें ध्वारोहण से कोई आपत्ति नहीं है, वे खुद झंडा फहराएंगे, लेकिन वे नहीं चाहते कि केंद्र या राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि उनके अधिकार क्षेत्र में दखल दे.
क्या भगवा झंडे के समर्थक संघ और संघ से जुड़े किसी भी व्यक्ति या दल की तिरंगे के प्रति ईमानदारी पर विश्वास किया जा सकता है?
तिरंगा लेकर आप कांवर यात्रा में चल सकते हैं. गणेश विसर्जन में भी उसे लहरा सकते हैं. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में विशाल डंडों में बांधकर मोटरसाइकिल पर दौड़ा सकते हैं. तिरंगे से आप मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा करने वालों के शव ढंक सकते हैं, लेकिन उससे आप अपनी बेपर्दगी ढंक नहीं सकते!
आज जब दुनिया में नाना प्रकार के खोट उजागर होने के बाद भूमंडलीकरण की ख़राब नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है, हमारे यहां उन्हीं को गले लगाए रखकर सौ-सौ जूते खाने और तमाशा देखने पर ज़ोर है.
देश के झंडे को भी क्यों सांप्रदायिक आधार पर बांटा जा रहा है? क्या हम लड़ते-लड़ते इतने दूर आ गए हैं कि देश के झंडे का भी बंटवारा कर देंगे?