प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि अग्निशमन सेवा विभाग के तहत फायरमैन और ड्राइवर पदों पर भर्ती के लिए मौखिक परीक्षा बिना किसी देरी के तुरंत आयोजित की जाए. उनके अनुसार, वे पिछले साल फिजिकल टेस्ट में शामिल हुए थे, जिसके बाद वे इस साल 8 जनवरी को लिखित परीक्षा में शामिल हुए थे.
भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित त्रिपुरा में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद हिंसा की कई घटनाएं देखी गई थीं, जिनकी जांच करने के लिए एक सात सदस्यीय संसदीय दल त्रिपुरा के दौरे पर है. आरोप है कि संसदीय दल जब सिपाहीजाला ज़िले के हिंसा प्रभावित विशालगढ़ गए तो सत्ताधारी भाजपा समर्थित कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया.
त्रिपुरा के गोमती ज़िले का मामला. एक नाबालिग लड़की और युवक के बीच प्रेम संबंध था. दोनों के घर छोड़कर चले जाने के बाद लड़की के पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. बताया जाता है कि पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लिए जाने के बाद उनके माता-पिता को ख़बर मिली कि दोनों ने ज़हर खा लिया. चकमा सामाजिक परिषद ने मामले की न्यायिक जांच की मांग के साथ ज़िम्मेदार पुलिसवालों को कड़ी सज़ा देने की मांग की है.
पिछले साल बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले के बाद त्रिपुरा में आगज़नी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुई थीं, इसके ख़िलाफ़ चार छात्रों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में सांप्रदायिक हिंसा पर लोगों को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए नोटिस भेजने को लेकर त्रिपुरा पुलिस की खिंचाई की थी.
मामला बीते साल त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद की गई सोशल मीडिया पोस्ट करने वालों से जुड़ा है. कोर्ट के आदेश के बावजूद इन लोगों को नोटिस भेजने को लेकर अदालत ने कहा कि अगर पुलिस ने लोगों को परेशान करना बंद नहीं किया, तो वह राज्य के गृह सचिव और संबंधित पुलिस अधिकारियों को तलब करेंगे.
आरोप है कि त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के एक होटल में पार्टी करके रात में लौट रहे ट्रांसजेंडर समुदाय के चार लोगों को कुछ पुलिसकर्मियों और एक पत्रकार ने रास्ते में रोककर उन्हें एक महिला पुलिस स्टेशन ले गए थे, जहां उन्हें जबरन निर्वस्त्र कराया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हिंसा के बारे में लिखना कोई अपराध नहीं है. त्रिपुरा पुलिस ने पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर ख़ान के ख़िलाफ़ राज्य में पिछले साल हुई हिंसा से संबंधित एक ट्वीट के लिए यूएपीए और विभिन्न धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया था.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने त्रिपुरा पुलिस और प्रशासन पर हिंसा से निपटने में ‘ईमानदारी की कमी’ प्रदर्शित करने का आरोप लगाया है. टीम की रिपोर्ट में कहा गया कि यह दिखाने के लिए बड़ी कॉन्सपिरेसी थ्योरी तैयार की गई कि सांप्रदायिक हिंसा को उजागर करने वाली स्वतंत्र पत्रकारिता एक चुनी गई सरकार को ‘राज्य के दुश्मनों द्वारा कमज़ोर करने’ का एक प्रयास है.
सुप्रीम कोर्ट त्रिपुरा में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा और इसे लेकर राज्य पुलिस की कथित मिलीभगत की स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी. याचिका में कहा गया है कि घटनाओं की गंभीरता के बावजूद पुलिस द्वारा उपद्रवियों के ख़िलाफ़ कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया. उन लोगों में से किसी को गिरफ़्तार नहीं किया, जो मस्जिदों या दुकानों में तोड़फोड़ करने और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाले भाषण देने के लिए ज़िम्मेदार
तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई की युवा शाखा की सचिव सायानी घोष को पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी के दौरे से पहले हिरासत में लेने के बाद गिरफ़्तार किया गया. टीएमसी का कहना है कि राज्य में आगामी निकाय चुनावों से पहले सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी और कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि त्रिपुरा में मस्जिद को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ के बारे में सोशल मीडिया पर प्रसारित ख़बरें फ़र्ज़ी हैं और ऐसी किसी भी घटना में साधारण या गंभीर रूप से घायल होने, बलात्कार या किसी की मौत की कोई सूचना नहीं है जैसा कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया है.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.
बांग्लादेश में हाल में हिंदुओं के ख़िलाफ़ हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद द्वारा 26 अक्टूबर को निकाली गई रैली के दौरान उत्तर त्रिपुरा के पानीसागर उप-संभाग में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई और दो दुकानों में आग लगा दी गई थी.
विहिप ने बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों में हाल में हुई हिंसा के विरोध में रैली का आयोजन किया था. पुलिस ने बताया कि उत्तर त्रिपुरा के पानीसागर उप-संभाग के रोवा बाज़ार में कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के तीन घरों और कुछ दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई. इस संबंध में केस दर्ज कर लिया गया है और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं.
बीते दिनों बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों में हुई तोड़फोड़ के विरोध में हिंदुत्ववादी संगठन लगातार विरोधस्वरूप रैलियां निकाल रहे हैं. इस बीच त्रिपुरा राज्य जमीयत उलमा (हिंद) ने मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें बीते तीन दिनों में मस्जिदों और अल्पसंख्यक बस्तियों पर हमले का आरोप लगाया गया है.