फादर, उन्हें माफ़ कर देना…

फादर स्टेन स्वामी की हिरासत, ख़ारिज होती ज़मानत, बुनियादी ज़रूरतों के लिए अदालत में अर्ज़ियां लगाना और अंत में अपनों से दूर एक अनजान शहर में उनका गुज़र जाना यह एहसास दिलाता है कि उनके ख़िलाफ़ कोई आरोप तय किए बिना और उन पर कोई मुक़दमा चलाए बगैर उन्हें सज़ा-ए-मौत मुक़र्रर कर दी गई.

असहमति दबाने के लिए आतंकवाद निरोधी क़ानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए: जस्टिस चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक सम्मेलन में कहा कि भारत का उच्चतम न्यायालय बहुसंख्यकवाद निरोधी संस्था की भूमिका निभाता है और सामाजिक, आर्थिक रूप से अल्पसंख्यक लोगों के अधिकारों की रक्षा करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है.

यूएपीए के आरोपी को रिहा करते हुए कोर्ट ने कहा था- साक्ष्यों की बजाय भावना पर आधारित थे आरोप

मार्च 2010 में गुजरात एटीएस ने श्रीनगर के बशीर अहमद बाबा को आतंकवाद के आरोप में गिरफ़्तार किया था. बीते महीने उन्हें रिहा करते हुए सत्र अदालत ने कहा था कि अभियोजन कोई साक्ष्य नहीं दे सका. किसी भी शख़्स को समाज में डर या अराजकता फैलाने और समाज के प्रति चिंता के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

क्यों डराते हो ज़िंदां की दीवार से…

किसी भी आम नागरिक के लिए जेल एक ख़ौफ़नाक जगह है, पर देवांगना, नताशा और आसिफ़ ने बहुत मज़बूती और हौसले से जेल के अंदर एक साल काटा. उनके अनुभव आज़ादी के संघर्ष के सिपाहियों- नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जेल वृतांतों की याद दिलाते हैं.

दिल्ली दंगाः हाईकोर्ट ने छात्र कार्यकर्ता गुलफ़िशा फ़ातिमा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका ख़ारिज की

दिल्ली दंगों संबंधी मामले में आरोपी छात्र कार्यकर्ता गुलफ़िशा फ़ातिमा ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें हिरासत में रखना ग़ैर क़ानूनी है, जिस पर अदालत ने कहा कि वे न्यायिक हिरासत में है और इसे अवैध नहीं कहा जा सकता.

पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज, बाकी तीन सदस्यों की पहले ही हो चुकी ख़ारिज

यूपी पुलिस ने पिछले साल अक्टूबर में हाथरस जाने के रास्ते में केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था, जिसके बाद उन पर शांतिभंग और यूएपीए के तहत मामले दर्ज किए गए थे. आरोप है कि कप्पन और उनके साथी हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के मद्देनज़र सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे.

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन को पुनर्जीवित किया जाएगा: अखिल गोगोई

असम के शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई जेल से छूटने के बाद पहली बार अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया. गोगोई ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें बरी करने को ‘ऐतिहासिक’ क़रार देते हुए कहा कि उनका मामला सबूत है कि यूएपीए और एनआईए अधिनियम का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा हैं. उन्होंने एनआईए को भाजपा नीत केंद्र सरकार का ‘राजनीतिक हथियार’ भी क़रार दिया है.

गुजरात: यूएपीए के तहत नहीं साबित हुए आरोप, 11 साल बाद रिहा होकर घर पहुंचे श्रीनगर के बशीर

मार्च 2010 में गुजरात एटीएस ने 43 वर्षीय एक एनजीओ कर्मी बशीर अहमद बाबा को आणंद से गिरफ़्तार किया था. उन पर आतंकी नेटवर्क स्थापित करने और 2002 के दंगों से नाराज़ मुस्लिम युवाओं को हिजबुल मुजाहिदीन के लिए भर्ती करने के लिए राज्य में रेकी करने का आरोप लगाया था. आरोप साबित न होने पर बीते दिनों उन्हें रिहा कर दिया गया.

असम: एनआईए अदालत ने अखिल गोगोई को यूएपीए के तहत सभी आरोपों से बरी किया

असम के शिवसागर से विधायक अखिल गोगोई और उनके तीन साथियों को एनआईए अदालत ने चांदमारी मामले के संबंध में बरी कर दिया. इस मामले में उन पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप था. गोगोई ने इस फ़ैसले को भारत की क़ानूनी व्यवस्था की जीत बताया है.

असम: पैरोल पर रिहा अखिल गोगोई ने कहा, मुख्यमंत्री मुझे सलाखों के पीछे रखने की साजिश रच रहे

असम के शिवसागर से निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई बीते 25 जून की दोपहर को पैरोल मिलने के बाद देर रात गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से बाहर निकले, जहां उनका इलाज चल रहा है. उन्होंने गुवाहाटी में पत्नी और बेटे के साथ किराये के मकान में रात बिताई और शनिवार को अपनी मां से मुलाकात की. उन्हे सीएए विरोधी प्रदर्शनों के वक्त जोरहाट से दिसंबर 2019 में गिरफ़्तार किया गया था.

कश्मीरः किशोर न्याय बोर्ड ने यूएपीए के तहत आरोपी नाबालिग को ज़मानत दी, कहा- अपराध जघन्य नहीं

28 मई को बुम्हामा के एक युवक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. पुलिस का कहना है कि उनके जनाज़े में राष्ट्रविरोधी नारे लगाए गए थे, जिसके बाद पुलिस ने किशोर सहित आठ लोगों के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था.

उत्तर प्रदेश: यूएपीए के तहत जेल में बंद पत्रकार सिद्दीक कप्पन की मां का निधन

यूपी पुलिस ने पिछले अक्टूबर में हाथरस जाने के रास्ते में केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था, जिसके बाद उन पर शांतिभंग और यूएपीए के तहत मामले दर्ज किए गए थे. इसी हफ्ते मथुरा की स्थानीय अदालत ने इन सभी को शांतिभंग के आरोपों से मुक्त किया है.

छात्र कार्यकर्ताओं ने कहा- पछतावा नहीं, सीएए आंदोलन में शामिल होने के लिए हमेशा गर्व रहेगा

वीडियो: बीते 15 जून को दिल्ली ने दिल्ली दंगों के संबंध में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत पिछले साल मई में गिरफ़्तार नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ़ इक़बाल तन्हा को ज़मानत मिलने के बाद उन्हें​ रिहा नहीं किया गया था. दिल्ली की एक अन्य अदालत में तीनों छात्र कार्यकर्ताओं के अपील करने के बाद बीते 17 जून को उन्हें तिहाड़ ​जेल से रिहा किया गया.

यूएपीए: क्या सुप्रीम कोर्ट ने इंसाफ की तरफ बढ़े क़दमों में फिर ज़ंजीर डाल दी है

दिल्ली हाईकोर्ट के तीन छात्र कार्यकर्ताओं को यूएपीए के मामले में ज़मानत देने के निर्णय को अन्य न्यायालयों द्वारा नज़ीर के तौर पर इस्तेमाल न करने का आदेश देकर शीर्ष अदालत ने फिर बता दिया कि व्यक्ति की आज़ादी और राज्य की इच्छा में वह अब भी राज्य को तरजीह देती है.

बेंगलुरु हिंसाः कर्नाटक हाईकोर्ट ने यूएपीए के तहत आरोपी 115 लोगों को ज़मानत दी

यह हिंसा पिछले साल अगस्त में पूर्वी बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में पुलाकेशीनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस विधायक आर. अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी. नवीन की फेसबुक पोस्ट के बाद हुई थी. इन दंगों में चार लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि नवीन द्वारा पैगंबर मोहम्मद के बारे में सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिक और अपमानजनक पोस्ट करने के बाद भीड़ हिंसक हो गई थी.

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