लॉकडाउन में श्रमिकों को पूरी सैलरी देने के आदेश को गृह मंत्रालय ने वापस लिया

गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को आदेश जारी कर कहा था कि सभी नियोक्ताओं को लॉकडाउन के दौरान अपने श्रमिकों की सैलरी में कोई कटौती किए बिना पूरी सैलरी देनी होगी.

कोविड-19 के संकट काल में भारत का मध्यम वर्ग कहां है?

मध्यम वर्ग को पता है कि छह साल में उसकी कमाई घटी ही है, बिजनेस में गच्चा ही खाया है. उसके मकानों की कीमत गिर गई है, हर राज्य में सरकार नौकरी की प्रक्रिया की दुर्गति है, वह सब जानता है, लेकिन ये समस्याएं न तो नौजवानों की प्राथमिकता हैं और न ही उनके मध्यमवर्गीय माता-पिता की.

देशभक्ति और बेरोजगारी को आधार बनाकर आम लोगों को तीन साल के लिए सेना में भर्ती का प्रस्ताव

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो यह स्वैच्छिक भागीदारी वाली प्रक्रिया होगी और चयन मानदंडों को हल्का नहीं किया जाएगा.

लॉकडाउन के दौरान 67 फीसदी श्रमिक बेरोज़गार हो गए: सर्वेक्षण

अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा 12 राज्यों में किए गए सर्वेक्षण में कहा गया कि शहरी क्षेत्रों में 10 में से आठ श्रमिक (80 फीसदी) और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 में से लगभग छह श्रमिक (57 फीसदी) अपना रोज़गार खो चुके हैं. साथ ही ज़मीन पर राहत के तात्कालिक उपाय स्थिति की गंभीरता के अनुपात में नहीं दिखाई देते हैं.

कोरोना संकट के बीच देश में बेरोज़गारी बढ़ी, संगठित क्षेत्र में भी जा सकती हैं नौकरियां: रिपोर्ट

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल में मासिक बेरोज़गारी दर 23.52 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो मार्च में 8.74 प्रतिशत थी. रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन लंबा चलने पर बेरोज़गार लोगों की संख्या और बढ़ सकती है.

लॉकडाउन: कर्मचारियों को वेतन देने के आदेश के खिलाफ याचिका पर कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने संबंधी गृह मंत्रालय की अधिसूचना को नागरीका एक्सपोर्ट्स और फिक्स पैक्स प्राइवेट लिमिटेड सहित तीन निजी कंपनियों ने चुनौती दी है.

कोरोना वायरस: अमेरिका में महामंदी के बाद बेरोज़गारी दर उच्च स्तर पर

अमेरिकी श्रम विभाग का कहना है कि 18 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में देश के 44 लाख से अधिक लोगों ने बेरोज़गारी लाभ के लिए आवेदन किया ​है.

भारत में लॉकडाउन से देश के चार करोड़ प्रवासी कामगार प्रभावित हुए: विश्व बैंक

विश्व बैंक की ‘प्रवासी के नजरिये से कोरोना वायरस संकट’ नामक रिपोर्ट के अनुसार आंतरिक प्रवास की तादाद अंतरराष्ट्रीय प्रवास के मुकाबले करीब ढाई गुना है. विश्व बैंक ने कहा कि सरकारों को नकदी हस्तांतरण तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के जरिए इनकी मदद करनी चाहिए.

कोरोना से लड़ने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण क्यों ज़रूरी है?

स्पेन में प्रति 1,000 व्यक्तियों के लिए 3 अस्पताल बेड और 4.1 डॉक्टर हैं. भारत में यह आंकड़ा प्रति 1,000 व्यक्तियों के लिए 0.7 अस्पताल बेड और 0.8 डॉक्टर का है. बावजूद इसके स्पेन को कोरोना महामारी के चलते सभी निजी अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण करना पड़ा. भारत सरकार इस संकट का जवाब कैसे देगी, यह देखने वाली बात है.

घर लौट रहे मजदूर उपमहाद्वीप में वायरस फैला सकते हैं: विश्व बैंक

अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में अंतर्देशीय यात्री परिवहन साधनों पर रोक की घोषणा और इसे लागू करने के बीच एक दिन से भी कम समय लगा जिससे अव्यवस्था उत्पन्न हो गई.

वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की वृद्धि दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ये बेहद प्रारंभिक पूर्वानुमान है और 10 मार्च तक उपलब्ध आंकड़ों और सूचनाओं पर आधारित है.

कोरोना लॉकडाउन: वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास दर 1.6 फीसदी पर आ सकती है

वैश्विक बैंकिंग समूह गोल्डमैन सैश के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत सरकार ने अभी तक आर्थिक संकट को लेकर आक्रामक रवैया नहीं दिखाया है. प्रयासों को तेज करने की जरूरत है.

कोरोना से जूझ रहे स्वास्थ्यकर्मी योद्धा, सरकार इन्हें सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित पीड़ितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को केंद्र और राज्य सरकारें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराएं.

सरकारी लैब हो या प्राइवेट, कोरोना टेस्ट फ्री में हो: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें ये कहा गया था कि प्राइवेट लैब्स कोरोना जांच के लिए 4500 रुपये तक वसूल सकते हैं.

भारत में 40 करोड़ मजदूर गरीबी में फंस सकते हैं: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन

संगठन के मुताबिक भारत में लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है.

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