परवीन शाकिर की रचनाएं साहित्य में जिस स्त्री दृष्टि को लाईं, वह निस्संदेह मील का पत्थर है. पश्चिमी नारीवादी अवधारणा या उससे प्रभावित साहित्य की लोकप्रियता तो आम बात है, पर भारत-पाकिस्तान जैसे देशों की कुंठित सामाजिकता और पितृवादी संस्कृति में जब स्त्रियां अपनी अनुभूतियां दर्ज करती हैं, तो वह निज को राजनीतिक बना देने का काम करता है.
पुण्यतिथि विशेष: ‘मुकम्मल आज़ादी’ और ‘इंक़लाब जिंदाबाद’ का नारा बुलंद करने वाले हसरत मोहानी के बारे में डाॅ. आंबेडकर कहते थे कि वही एकमात्र ऐसे नेता हैं जो समानता का ढोंग करने के बजाय अपने हर आचरण में उसे बरतते हैं.
स्मृति शेष: बीते 10 फरवरी को पाकिस्तान के प्रतिष्ठित शायर, नाटककार, अनुवादक अमजद इस्लाम अमजद का देहांत हो गया. मुशायरे की भाषा में कहें तो वे ‘भीड़ खींचने वाले’ शायर थे. उनकी अभूतपूर्व शोहरत मोहब्बत की थीम को शानदार तरीके से बरतने के उनके हुनर पर आधारित थी.
वीडियो: शायर राहत इंदौरी का बीते 11 अगस्त को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वे कोरोना पॉजिटिव भी पाए गए थे. प्रख्यात शायर मुनव्वर राना ने राहत इंदौरी के साथ अपने पुराने दिनों को साझा किया.
डॉक्टरों का कहना है कि मशहूर शायर राहत इंदौरी के फेफड़े 70 फीसदी तक ख़राब हो गए थे. उन्हें हाइपरटेंशन और मधुमेह की भी समस्या थी.
आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई दिल्ली पुलिस की बर्बर कार्रवाई और जामिया के छात्रों के समर्थन में फ़ैज अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे' को सामूहिक रूप से गाए जाने पर फैकल्टी के एक सदस्य द्वारा आपत्ति दर्ज करवाई गई थी.
जो लोग ‘हम देखेंगे’ को हिंदू विरोधी कह रहे हैं, वो ईश्वर की पूजा करने वाले 'बुत-परस्त' नहीं, सियासत को पूजने वाले ‘बुत-परस्त’ हैं.
जनता के अधिकारों के लिए सत्ता से लोहा लेने वाले हबीब जालिब ने गांव-देहात को अपने पांव से बांध लिया था और उसी पांव के ज़ख़्म पर खड़े होकर सत्ता को आईना दिखाते रहे.
जो इश्क़ करते हैं, बेड़ियों को तोड़ना चाहते हैं, दुनिया को बदलना चाहते हैं, उन्हें आज भी फ़ैज़ की ज़रूरत है.