उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आोयजित समीक्षा अधिकारी (आरओ) तथा सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) की परीक्षाओं में 10 लाख से अधिक अभ्यर्थी उपस्थित हुए थे, जो अब रद्द कर दी गई है. वहीं, बीते दिनों ही 12वीं की बोर्ड परीक्षा के दो विषयों के प्रश्नपत्र इम्तिहान के दौरान वॉट्सऐप ग्रुप में साझा हुए थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि विधानसभा और विधान परिषद के सचिवालयों के लिए कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नहीं, बल्कि निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए बाहरी एजेंसियों द्वारा की गई थी. आरोप है कि बाहरी एजेंसियों के क़रीबी लोगों को चयन प्रक्रिया में ‘तरजीह’ दी गई.
आयोगों ने नौजवानों की ज़िंदगी बर्बाद कर दी है. शायद ही किसी राज्य में परीक्षा का कैलेंडर होगा.परीक्षा भी इस तरह से आयोजित होती है कि कोई न कोई विवाद हो जाता है. इनका काम नौकरी देना नहीं बल्कि नौकरी देने के नाम पर नौजवानों को तैयारी में व्यस्त रखना है.