जम्मू कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 15 सितंबर को जारी किए गए इन नए नियमों से जम्मू कश्मीर के छह लाख सरकारी कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि यूएपीए और पीएसए का इस्तेमाल असंतोष को दबाने के लिए किया जा रहा है.
जम्मू कश्मीर सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि मौजूदा प्रणाली में ऐसी व्यवस्था नहीं है, जो ऐसे कर्मचारियों को पासपोर्ट से वंचित करने में मदद करे जो या तो निलंबित हैं या गंभीर आरोपों के कारण विभागीय जांच का सामना कर रहे हैं.
पूर्व न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों, पूर्व वरिष्ठ लोक सेवकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि अक्टूबर 2020 में एक सतर्कता आयुक्त के रिटायर होने के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग सिर्फ़ अध्यक्ष और एक आयुक्त के सहारे चल रहा था. अध्यक्ष ने जून 2021 में पद छोड़ दिया और संस्था तब से केवल एक आयुक्त के साथ काम कर रही है, जिसे कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की ओर से केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों और सार्वजनिक उपक्रमों को जारी आदेश में कहा है कि यदि किसी सेवानिवृत्त अधिकारी ने एक से अधिक संगठनों में काम किया है, तो उन सभी संगठनों से सतर्कता संबंधी मंज़ूरी प्राप्त की जानी चाहिए, जहां अधिकारी ने पिछले 10 वर्षों में सेवा दी थी.