दुमंजिला पंचायत भवन के निर्माण में जब सरकारी राशि पूरी खर्च हो गई और छत पर बने कमरों तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनाने का पैसा नहीं बचा, तो लकड़ी की नसैनी टिका दी गई. बंगनामा स्तंभ की चौदहवीं क़िस्त.
पुस्तक समीक्षा: महात्मा गांधी कहते थे कि आदर्श ग्राम निर्माण उतना ही कठिन है, जितना सारे हिंदुस्तान को आदर्श बनाना, पर एक ही गांव को कोई एक आदमी आदर्श बना सके तो समझें उसने दुनिया के लिए एक रास्ता ढूंढ निकाला. वरिष्ठ पत्रकार नीलम गुप्ता की 'गांव के राष्ट्रशिल्पी' इसी दिशा में हुए प्रयासों को दर्ज करती है.
पुण्यतिथि विशेष: गांधी की रामराज्य की अवधारणा कोई धार्मिक अवधारणा नहीं, बल्कि महान नैतिक मूल्यों पर आधारित और प्राचीनता व आधुनिकता दोनों की रूढ़ियों से मुक्त वैकल्पिक सभ्यता का पर्याय थी. उनके निकट धर्म भी इन्हीं महान नैतिक मूल्यों को बरतने का दूसरा नाम था.
चुनावी बातें: चुनावों का मौसम आते ही बुज़ुर्ग कई ऐसे पुराने क़िस्से सुनाते हैं, जो लोकतंत्र के इस त्योहार पर पैने कटाक्ष से लगते हैं. बताते हैं कि एक बार भारतेंदु हरिश्चंद्र जब बस्ती पहुंचे, तो बोले- बस्ती को बस्ती कहूं तो काको कहूं उजाड़! हर्रैया क़स्बे में बालूशाही खाई तो पूछने से नहीं चूके कि उसमें कितना बालू है, वो कितनी शाही है.
हम भी भारत की 32वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने के दावे पर पूर्व आर्थिक सलाहकार नितिन देसाई और वरिष्ठ पत्रकार नितिन सेठी से चर्चा कर रही हैं.