अगर जनता के साथ अन्याय हो रहा तो अदालत अपनी आंखें नहीं मूंद सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया कि लखनऊ में एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के नाम, फोटो और उनके पते के साथ लगाए गए सभी होर्डिंग्स तुरंत हटाए जाएं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के होर्डिंग्स हटाने का दिया आदेश, कहा- अत्यधिक अनुचित

हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया कि आज दोपहर तीन बजे से पहले ये सारे होर्डिंग्स हटाए जाए और तीन बजे कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए.

सीएए विरोध: 22 लोगों को जमानत देने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

पिछले साल 19 दिसंबर को सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और पुलिस पर हमले के आरोप में मैंगलोर पुलिस ने 22 लोगों को आरोपी बनाया था. बीते 17 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट ने ठोस सबूत नहीं होने की बात कहते हुए सभी 22 लोगों को जमानत दे दी थी.

आर्थिक विकास के मॉडल से आर्थिक निराशा वाला कलहपूर्ण बहुसंख्यक देश बन रहा भारत: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि साम्प्रदायिक हिंसा महात्मा गांधी के भारत पर एक धब्बा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिर्फ कथनी से ही नहीं, बल्कि करनी से भी राष्ट्र को विश्वास दिलाना चाहिए.

योगी सरकार ने एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के नाम और पते के साथ लखनऊ में होर्डिंग्स लगवाए

लखनऊ में कई स्थानों पर लगाए गए इन होर्डिंग्स में प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में जुर्माना भरने को कहा गया है.

सीएए प्रदर्शन: सदफ जाफर, दारापुरी समेत 28 लोगों को 63 लाख रुपये के हर्जाने का नोटिस

उत्तर प्रदेश प्रशासन का दावा है कि 19 दिसंबर 2019 को लखनऊ के हजरतगंज में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था. हालांकि इस दिन कई कार्यकर्ता नजरबंद थे.

सीएए प्रदर्शनों में हुई मौतों पर बोले आदित्यनाथ, अगर कोई मरने ही आ रहा है तो ज़िंदा कैसे हो जाएगा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बयान विधानसभा में विपक्ष के उन आरोपों के जवाब में दिया, जिनमें कहा गया था कि सीएए विरोधी हिंसा में मारे गए सभी लोग पुलिस की गोली से ही मारे गए हैं. आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि जो मरे हैं, वे उपद्रवियों की गोली से ही मरे हैं.

योगी-राज में ‘आज़ादी’ अब ‘राजद्रोह’

वीडियो: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदर्शन के नाम पर आज़ादी का नारा लगाना राजद्रोह की तरह है. सरकार सख़्त कार्रवाई करेगी. इस मुद्दे द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

आज़ादी के नारे लगाना देशद्रोह, करेंगे सख़्त कार्रवाई: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में हुई रैली के दौरान कहा अब तो इन लोगों में इतनी भी हिम्मत नहीं रही कि स्वयं आंदोलन करने की स्थिति में हो इसलिए अपने घर की महिलाओं को चौराहे-चौराहे पर बिठाना शुरू कर दिया है.

‘अमित शाह के हिंदुस्तान में मुसलमान होना क्या होता है समझ में आने लगा है’

वीडियो: लखनऊ में 19 दिसंबर को नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन और हिंसा के बाद गिरफ़्तार हुए कार्यकर्ताओं में सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस प्रवक्ता सदफ़ जाफ़र भी शामिल थीं. दो हफ़्तों से अधिक पुलिस हिरासत में रही सदफ़ से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

कांग्रेस ने नागरिकता कानून को वापस लेने, एनपीआर प्रक्रिया रोकने के लिए प्रस्ताव पारित किया

कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में चार मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें नागरिकता कानून, एनआरसी के विरोध को दबाने की सरकार की कोशिश, देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, जम्मू कश्मीर में सरकार की पाबंदी के छह महीने पूरे होने और खाड़ी में ईरान और अमेरिका के बीच विवाद की वजह से बन रहे हालात शामिल हैं.

देश के हालात ठीक नहीं, युवा सड़कों पर हैंः सुनील गावस्कर

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि देशभर में विरोध प्रदर्शन से बने मौजूदा मुश्किल हालात से भारत उबर जाएगा, जैसे अतीत में वह संकट की कई स्थितियों से निपटने में सफल रहा है.

नागरिकता क़ानून: योगी ने यूपी पुलिस द्वारा लोगों से नुकसान की भरपाई की कार्रवाई को सही ठहराया

नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुई सभा के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ नहीं हो रहा है और आरोपी अब माफी मांग रहे हैं.

हिंसा अदालत को सोचने से रोक रही है, लेकिन हिंसा हो कैसे रही है?

हिंसा के सबसे ज्यादा, सबसे ताकतवर और कारगर हथियार किसके पास हैं? किसके पास एक संगठित शक्ति है जो हिंसा कर सकती है? उत्तर प्रदेश में किसने आम शहरियों के घर-घर घुसकर तबाही की? किसने कैमरे तोड़कर चेहरे ढंककर लोगों को मारा? गोलियां कहां से चलीं? अदालत से यह कौन पूछे और कैसे? जब उसके पास ये सवाल लेकर जाते हैं तो वह हिंसा से रूठ जाती है.

जेएनयू में टूटे शीशों की रात

जो लोग जेएनयू गेट पर लाठियां लेकर खड़े थे और भीतर जो लोग लाठियां लेकर शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की लिंचिंग पर उतारू थे, उनकी मंशा को समझना क्या इतना मुश्किल है?

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