जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक पत्र लिखकर जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है. शिक्षक संघ के अध्यक्ष डीके लोबियाल ने कहा कि जब तक निष्पक्ष जांच नहीं होगी और दोषी पकड़े नहीं जाएंगे तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
आरटीआई में हुआ ये खुलासा जेएनयू प्रशासन के उन दावों के विपरीत है, जिनमें कहा गया था कि छात्रों ने तीन जनवरी को बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था. पांच जनवरी को हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष ओइशी घोष और अन्य छात्रों के ख़िलाफ़ सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने के आरोप में केस दर्ज कराया था.
जेएनयू छात्रसंघ ने दिल्ली हाईकोर्ट से हॉस्टल नियमावली में बदलाव और सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन में देरी पर फाइन सहित हॉस्टल प्रशासन द्वारा नियमों में किए गए बदलावों पर रोक लगाने की अपील की है.
साक्षात्कार: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पांच जनवरी को नकाबपोश हमलावरों द्वारा की गई हिंसा में 30 से अधिक छात्र घायल हुए थे, साथ ही कई शिक्षक भी चोटिल हुए थे. इनमें से एक प्रोफेसर सुचारिता सेन थीं. जेएनयू के इस घटनाक्रम पर सुचारिता सेन से रीतू तोमर की बातचीत.
प्रोफेसर भादुड़ी ने वीसी को पत्र लिखकर कहा, 'मौजूदा माहौल को देखकर मुझे काफी पीड़ा होती है. लेकिन मुझे लगता है कि बिना विरोध दर्ज कराए इस पूरे घटनाक्रम का मूक दर्शक बने रहना मेरे लिए अनैतिक होगा. विश्वविद्यालय में विरोध और विमर्श का गला घोटा जा रहा है.'
शुक्रवार को सोशल मीडिया जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष की दो तस्वीरों को यह कहकर साझा किया गया कि अलग-अलग समय पर उनके हाथ में बंधी पट्टी एक बार दाहिनी तरफ और एक समय बायीं ओर बंधी है और उनकी चोट फ़र्ज़ी है. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया है.
शिक्षण संस्थानों का जब-जब राजनीतिकरण होगा, उसकी परिणति अक्सर हिंसा के रूप में ही होती है. जेएनयू को लेकर हुए विवाद में आज देश दो धड़े में विभाजित है और यह विभाजन धार्मिक या जातीय नहीं बल्कि वैचारिक है.
वीडियो: अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों से मिलने के बाद इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. जहां कुछ लोग दीपिका के इस कदम को सराह रहे हैं, वहीं कुछ उनकी आगामी फिल्म 'छपाक' का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं. इस बारे में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
वीडियो: बीते पांच जनवरी को देर शाम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद का नज़रिया.
बीते रविवार शाम करीब तीन साढ़े घंटे तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा हुई, जिसमें छात्रों समेत कई शिक्षक भी घायल हुए. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस बारे में जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी, जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर पुरुषोतम अग्रवाल, स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव और वरिष्ठ पत्रकार शीतल सिंह के साथ चर्चा कर रहे हैं.
जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश को हटाने की मांग तेज. पांच जनवरी को हुई हिंसा की दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच करेगी जांच. हिंसा के बाद कैंपस में डर का माहौल.
जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा कि कुलपति एम. जगदीश कुमार को इस्तीफा देना चाहिए. कैंपस में हुई हिंसा के लिए वह ज़िम्मेदार हैं. शिक्षा मंत्री को उन्हें पद से हटा देना चाहिए. आईशी का कहना है कि हिंसा के दौरान उन्हें ख़ासतौर पर निशाना बनाया गया.
नए फैसले के अनुसार, सिंगल रूम का किराया 200 रुपये जबकि डबल रूम का किराया 100 रुपये होगा. इसके साथ ही विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सहायता मुहैया कराएगा.
फीस वृद्धि, कर्फ्यू के वक्त और ड्रेस कोड जैसी पाबंदियों को वापस लिए जाने की मांग करने वाले छात्रों पर की गई बर्बर पुलिसिया कार्रवाई की निंदा करते हुए जेएनयू शिक्षक संघ ने कुलपति के इस्तीफे की मांग की.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों की मांग है कि मसौदा छात्रावास मैनुअल को वापस लिया जाए, जिसमें उनके अनुसार फीस वृद्धि, कर्फ्यू का वक्त और ड्रेस कोड जैसी पाबंदियों का प्रावधान है.