कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के बीच राष्ट्रीय राजधानी में उपजे 'ऑक्सीजन संकट' की चेतावनी के बाद मंगलवार देर रात और बुधवार सुबह कुछ बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन की नयी खेप मिली है. ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए मंगलवार को हाईकोर्ट ने केंद्र से ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश देते हुए कहा था कि आर्थिक हित मानव जीवन से ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं.
कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप की वजह से राजधानी दिल्ली समेत देश विभिन्न शहरों में ऑक्सीजन, वेटिंलेटर और अस्पतालों में बिस्तरों की कमी की ख़बरें आ रही हैं. दिल्ली हाईकोर्ट पीठ ने केंद्र सरकार से यह जानकारी देने को कहा कि कोविड-19 के मरीज़ों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए क्या-क्या किया जा सकता है?
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा एवं देशव्यापी समस्या होने के कारण केंद्र सरकार को औद्योगिक उपयोग की ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन के लिए उपयोग करने की व्यवस्था पर विचार करना चाहिए और यदि फ़िर भी यह ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं होती है तो इसका आयात करना चाहिए.
ट्विटर पर दिल्ली में कोविड-19 महामारी के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में बिस्तरों की कमी को लेकर कई लोगों ने पोस्ट किए हैं. हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अस्पतालों में बिस्तरों की कमी नहीं है और कोविड मरीज़ों के लिए अब भी 5,000 बेड उपलब्ध हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि बड़े पैमाने पर बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए प्रयास जारी हैं.
कोविड-19 संक्रमण के मामलों में हो रही वृद्धि के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने फिलहाल लॉकडाउन लागू करने की संभावना से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि झुग्गियों की अपेक्षा अपार्टमेंट्स में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं इसलिए वहां पार्टियों या आयोजनों को नियंत्रित करने के निर्देश दिए जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक जनहित याचिका में कहा गया था कि कोविड-19 संक्रमण के पोस्टर घर के बाहर लगाने और मरीज़ों के नाम रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन तथा वॉट्सऐप ग्रुप पर साझा करने से न सिर्फ़ उनके साथ भेदभाव हो रहा है, बल्कि बेवजह लोगों का ध्यान उन पर जा रहा है.
बीते 26 नवंबर को गुजरात के राजकोट शहर के एक कोविड-19 अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से पांच मरीज़ों की मौत हो गई थी. गुजराती के दिव्य भास्कर ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अस्पताल में आग लगने के संबंध में गिरफ़्तार तीन लोगों को वीआईपी सुविधाएं मुहैया कराई गईं.
बीते 26 नवंबर को गुजरात के राजकोट में कोविड-19 अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से पांच मरीजों की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हो गए थे. 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगी थी.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक जनहित याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण पोस्टर घर के बाहर लगाने और मरीज़ों के नाम को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन तथा वॉट्सऐप ग्रुप पर साझा करने से न सिर्फ़ उनके साथ भेदभाव हो रहा है, बल्कि बिना वजह लोगों का ध्यान उन पर जा रहा है.
इससे पहले अगस्त महीने में अहमदाबाद के एक निजी कोविड-19 अस्पताल के आईसीयू वार्ड में आग लगने के बाद आठ कोरोना मरीज़ों की मौत हो गई थी.
शहीद भगत सिंह सेवा दल से जुड़े एंबुलेंस ड्राइवर आरिफ़ ख़ान बीते मार्च महीने से कोरोना संक्रमित लोगों को अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे थे. काम ख़त्म कर वह घर नहीं जाते थे, बल्कि एबुंलेस के पार्किंग लॉट में ही सो जाया करते थे.
इंदौर में शवों के रखरखाव में लापरवाही बरतने का यह पहला मामला नहीं है. पिछले हफ़्ते यहां के सरकारी महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय एक लावारिस लाश के सड़कर तक़रीबन कंकाल में बदल जाने का मामला सामने आया था. इसी अस्पताल में पांच महीने के बच्चे के शव को छह दिन तक गत्ते के बॉक्स में बंद कर रखे जाने का भी खुलासा हुआ था.
कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा है कि निजी अस्पतालों के लिए यह अनिवार्य है कि वे संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए 50 प्रतिशत बिस्तर आवंटित करें. कानून का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
भारत में रविवार को कोरोना के 52,972 मामले सामने आने के बाद संक्रमण के कुल मामले 18 लाख के पार पहुंच गए है. यह आंकड़ा एक दिन पहले ही सत्रह लाख हुआ था. दुनिया भर में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 1.82 करोड़ से अधिक हो चुकी है.
देश में कोविड-19 के एक दिन में 54,735 मामले सामने आने के बाद रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले 17 लाख के पार पहुंच चुके हैं. बीते चौबीस घंटों में देश में 853 लोगों ने इस संक्रमण से जान गंवाई है.