हीरेन मुखर्जी ने कहा था कि जवाहरलाल नेहरू सफल राजनेता नहीं हो सके क्योंकि राजनीति में सफलता के लिए जो असभ्यता चाहिए, नेहरू उसके सर्वथा अयोग्य थे.
भगत सिंह की पवित्र भूमि, उनका स्वर्ग भारत आज उन्हीं की परिभाषा के मुताबिक नर्क बना दिया गया है. उसे नर्क बना देने वाली ताकतें ही भारत की मालिक बन बैठी हैं. भगत के धर्म को मानने वाले क़ैद में हैं, उन्हीं की तरह. और भगत सिंह की तरह ही उनसे उनकी हंसी छीनी नहीं जा सकी है.
नाइंसाफी के ख़िलाफ़ किसानों ने इतिहास में हमेशा प्रतिरोध किया है, बार-बार किया है. मौजूदा किसान आंदोलन भी उसी गौरवशाली परंपरा का अनुसरण कर रहा है.
गांधी हिंदू थे, गीता, उपनिषद, वेद आदि के लिए भी उनके मन में ऊंचा स्थान था, पर उनका साफ कहना था कि अगर ये पवित्र ग्रंथ अस्पृश्यता का समर्थन करते हों, तो वे उन्हें भी ठुकरा देंगे. गांधी का एक जीवन दर्शन था जिसकी कसौटी पर महान से महान व्यक्ति, ग्रंथ या विचार को कसा ही जाना था.
दिल्ली पुलिस ने लिखा है कि उमर ख़ालिद सेकुलरिज्म का चोला ओढ़कर चरमपंथ को बढ़ावा देता है. आपको भी यही लगता है तो कम से कम यह मांग तो कर ही सकते हैं कि दिल्ली पुलिस के अफसरों को फिल्म निर्देशक बन जाना चाहिए क्योंकि वे लोगों के अंदर छिपे अभिनेता को पहचान लेते हैं.
पिछले पांच-छह सालों में दिनकर का कीर्तन वैसे लोगों ने किया है, जिन्हें शायद वे अपनी चौखट न लांघने देते. उनकी ओजस्विता से इस भ्रम में नहीं पड़ जाना चाहिए कि वे हुंकारवादी राष्ट्रवाद के प्रवक्ता थे. वे राष्ट्रवादी थे, लेकिन ऐसा राष्ट्रवादी जो अपने राष्ट्र को नित नया हासिल करता था और कृतज्ञ होता था.
बात कैसे करें कि सब सुन सकें और वह जो कहा जा रहा है, वही सुनें? सुनने का अर्थ क्या है? बोलने में उम्मीद है कि जो कहा जा रहा है, उसे सुना जाएगा, ऐसा होता नहीं. गले के साथ कानों का पर्याप्त प्रशिक्षण हुआ नहीं. सुनना भी बोलने की तरह ही आपकी नैतिक मान्यताओं से जुड़ा है.
भाजपा और शिवसेना की ओर से कई बार संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी शब्द हटाने की मांग उठ चुकी है. बीते दिनों संघ के विचारक और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने इसे हटाने के लिए सदन में प्राइवेट मेंबर बिल लाने की बात कही है.
पुणे के मॉर्डन कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स के एक कार्यक्रम में महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी व्याख्यान होना था. कॉलेज का कहना है कि इस बारे में कई दक्षिणपंथी संगठनों से प्रदर्शनों की चेतावनी देते पत्र मिलने के बाद उन्होंने इसे रद्द कर दिया.
भारत जैसे समृद्ध देश में जहां सभी धर्मों के लोग सम्मान से रहते हैं और आपके द्वारा प्रेरित हमारा संविधान सबको बराबरी का हक़ देता हैं. यहां धर्म के आधार पर शरणार्थियों में विभेद हो रहा है और नागरिकता प्रदान करने में संकीर्ण दायरे से धार्मिक आधार को देखा जाने लगा है बापू! इस नए क़ानून के बाद आपके सहयात्रियों द्वारा गढ़ी गई संविधान की प्रस्तावना बेगानी सी लग रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील से सहमति जताते हुए कहा कि देश की जनता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को किसी औपचारिक सम्मान से परे उच्च सम्मान देती है. सुनवाई से इनकार करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि वह इस संबंध में केंद्र सरकार को प्रतिवेदन दे सकते हैं.
गांधी के विचार उनकी मृत्यु के बाद भी संघ की कट्टरता की विचारधारा के आड़े आते रहे, इसलिए अपने पहले कार्यकाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी के सारे मूल्यों को ताक में रखकर उनके चश्मे को स्वच्छता अभियान का प्रतीक बनाकर उन्हें स्वच्छता तक सीमित करने का अभियान शुरू कर दिया था.
मुल्क की सियासत अब ज़्यादा शिद्दत से पहचान की राजनीति के गिर्द नाच रही है. राम को इमाम-ए-हिंद कहने वाले इक़बाल की दुआ को मदरसे की दुआ कहकर सीमित किया जा रहा है, लेकिन देश के बच्चे शायद इक़बाल की दुआ के सबक़ के माने समझ रहे हैं.
विश्व हिंदू परिषद ने पीलीभीत के एक प्राथमिक विद्यालय के हेडमास्टर पर राष्ट्रगान की जगह इक़बाल की प्रार्थना गवाने का आरोप लगाया. उनसे शिकायत नहीं पर जिलाधीश से है. उन्होंने जिस प्रार्थना के लिए हेडमास्टर को दंडित किया, क्या उसके बारे में उन्हें कुछ मालूम नहीं? क्या अब हम ऐसे प्रशासकों की मेहरबानी पर हैं जो विश्व हिंदू परिषद का हुक्म बजाने के अलावा अपने दिल और दिमाग का इस्तेमाल भूल चुके हैं?
वीडियो: भगत सिंह की जयंती पर उनके विचारों पर चर्चा कर रहे हैं प्रोफेसर अपूर्वानंद.