सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने बताया कि गुजरात दंगों के समय स्थिति संभालने पहुंचे सेना के दल को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध के बावजूद प्रशासन द्वारा समय पर ज़रूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई गई थीं. अगर सेना को सही समय पर गाड़ियां मिल गई होतीं, तो नुकसान बेहद कम होता.
गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता संजीव भट्ट ने याचिका दायर आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट का रुख़ करने के लिए उनके पति को हिरासत में किसी काग़ज़ पर हस्ताक्षर करने की इजाज़त नहीं दी जा रही है.
सोहराबुद्दीन शेख मामले की जांच के बाद इसे फ़र्ज़ी बताने वाले गुजरात पुलिस के पूर्व इंस्पेक्टर वीएल सोलंकी ने द वायर को बताया कि सरकार हर वो तरीका इस्तेमाल कर चुकी है, जिससे मैं कोर्ट तक न पहुंच सकूं.
वर्ष 1996 में गुजरात के बनासकांठा में कथित तौर पर मादक पदार्थ रखने के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार करने का मामला. उस वक्त पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट बनासकांठा ज़िले के पुलिस अधीक्षक थे.
विशेष सीबीआई अदालत में डीजी वंजारा को आरोप मुक्त करने से जुड़ी अर्जी पर हो रही सुनवाई में उनके वक़ील ने कहा कि सीबीआई द्वारा इशरत की कार को लेकर दी गई थ्योरी ग़लत है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जज लोया की 'संदिग्ध' मौत पर स्वतंत्र जांच की याचिका ख़ारिज करने के बाद परिवार ने कहा अब किसी पर विश्वास नहीं.
मामले में आरोपी गुजरात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी का वंजारा का कहना है कि इस मामले में गुप्त रूप से मोदी से पूछताछ हुई थी, लेकिन इस बात को रिकॉर्ड पर नहीं रखा गया.
मामले में अब तक पेश हुए 53 गवाहों में से 35 अपने बयान से पलट चुके हैं.
पत्र में एसोसिएशन ने दावा किया है कि जस्टिस मोहिते डेरे का ट्रांसफर संदेहपूर्ण है क्योंकि वे इस मामले में सीबीआई के रवैये को लेकर लगातार जांच एजेंसी को फटकार चुकी हैं.
तीन हफ़्तों से मामले की सुनवाई कर रहीं जज रेवती मोहिते डेरे ने सीबीआई के कामकाज पर भी नाराज़गी व्यक्त की थी. अब मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट की एकल पीठ करेगी.
अदालत ने कहा कि अभियोजन का केस क्या है, यही अब तक स्पष्ट नहीं है. साथ ही सीबीआई बरी किए गए लोगों के ख़िलाफ़ साक्ष्य पेश करने में भी विफल रही है.
सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि इशरत जहां समेत तीन अन्य लोगों के अपहरण और हत्या के आरोप में पांडे के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं हैं.
सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में सीबीआई अब तक 15 लोगों को आरोप मुक्त कर चुकी हैं जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गुजरात एटीएस के पूर्व अधिकारी डीजी वंज़ारा भी शामिल हैं.
हाई-प्रोफाइल आरोपियों की रिहाई, ज़मानत और गवाहों पर दबाव होने जैसे कई सवाल उठाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय एम थिप्से ने इस मामले को न्यायतंत्र की असफलता कहा है.
मामले में अब तक 30 गवाह बयान से मुकरे. नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि गवाहों को सुरक्षा देना सीबीआई का दायित्व. मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती.