चुनाव आयोग के अनुसार, शुरुआती रूझानों में झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल का गठबंधन 41 सीटों पर आगे चल रहा है जबकि भाजपा को 28 सीटों पर बढ़त हासिल है. राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन को 41 सीटों की जरूरत होगी.
झारखंड के गुमिया ज़िले के सिसई में सुरक्षा बलों और ग्रामीणों की झड़प के दौरान गोलीबारी में एक ग्रामीण की मौत हो गई. दूसरे चरण के चुनाव में मुख्यमंत्री रघुबर दास समेत 260 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. जमशेदपुर पूर्वी सीट पर मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ उनकी ही सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सरयू राय चुनाव लड़ रहे हैं.
झारखंड में महागठबंधन और जन विरोध के बावजूद भाजपा बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही. राज्य गठन के बाद हुए लोकसभा चुनावों के वोट शेयर का आकलन किया जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि झारखंड लंबे समय से इस परिणाम की ओर बढ़ रहा था. अब सवाल ये है कि क्या वे लोकसभा चुनाव में मिली हार के अनुभव से सीखते हुए चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं.
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य की 14 सीटों में से भाजपा 11, आजसू एक, कांग्रेस एक और झारखंड मुक्ति मोर्चा एक सीट जीती है.
झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों के लिए महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा और राजद ने किसी भी अल्पसंख्यक चेहरे को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है.
झारखंड में ईसाई संगठन और चर्च राज्य सरकार के रवैये पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. जबकि कुछ घटनाओं को केंद्र में रखकर भाजपा तथा आरएसएस-विहिप भी मिशनरी संस्थाओं पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.
कुछेक अपवाद छोड़ दिए जाएं तो संविधान लागू होने के बाद से आज तक किसी भी राज्य के राज्यपाल ने पांचवीं अनुसूची के तहत मिले अपने अधिकारों और दायित्वों का निर्वहन आदिवासियों के पक्ष में करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है.
ग्राउंड रिपोर्ट: झारखंड के कई आदिवासी इलाकों में इन दिनों पत्थलगड़ी की मुहिम छिड़ी है. ग्रामसभाओं में आदिवासी गोलबंद हो रहे हैं और पत्थलगड़ी के माध्यम से स्वशासन की मांग कर रहे हैं.
कई बार पत्र-पत्रिकाओं के लेख आपको बता सकते हैं कि हमारे सपनों का झारखंड सपने से भी आगे जा चुका है पर इस सपने की सच्चाई देखनी हो तो गांव की पगडंडी पर आइये.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार से अलग राज्य बनने के बाद लगा था कि झारखंड आर्थिक समृ़द्धि की नई परिभाषाएं गढ़ेगा लेकिन 17 साल बाद भी राज्य से कथित भूख से मरने जैसी ख़बरें ही सुर्खियां बन रही हैं.
झारखंड में शासन के हज़ार दिन पूरे होने पर विज्ञापनों के ज़रिये रघुबर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है.