मीडिया बोल, एपिसोड 05: सांप्रदायिक हिंसा और मीडिया कवरेज

मीडिया बोल की पांचवीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, द हूट की संपादक सेवंती निनान और एनडीटीवी की वरिष्ठ संपादक निधि कुलपति के साथ बंगाल के बसीरहाट और बादुरिया की सांप्रदायिक हिंसा के मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.

बिहार में बिजली गिरने से 37 लोगों की मौत, अरुणाचल में भूस्खलन और बाढ़

असम और अरुणाचल प्रदेश में हालात नाज़ुक. अरुणाचल प्रदेश में तीन दिन से हो रही बारिश से प्रमुख नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर.

आईआईएमसी के 11 शिक्षकों में से आठ ने महानिदेशक के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा

शिक्षकों ने पत्र लिखकर आरोप लगाया कि केजी सुरेश की अध्यक्षता में आईआईएमसी प्रशासन काफी मनमाना, अपारदर्शी और कामचलाऊ हो गया है.

पंजाब: 84 के दंगा पीड़ितों का मुकदमा लड़ने के लिए नेता विपक्ष के पद से इस्तीफा देंगे एचएस फुलका

दिल्ली बार काउंसिल ने आप विधायक और सुप्रीम कोर्ट के वक़ील फुलका के लाभ के पद पर होने की बात कहते हुए उन्हें कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और अन्य के ख़िलाफ़ कई मामलों में पीड़ितों की ओर से अदालत में पेश होने की इजाज़त नहीं दी थी.

गुरुदत्त एक अनसुलझा क्रॉसवर्ड है, जिसमें कोई न कोई शब्द पूरा होने से रह ही जाता है

जन्मदिन विशेष: गुरुदत्त फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा सूरज थे, जो बहुत कम वक़्त के लिए अपनी रौशनी लुटाकर बुझ गया पर सिल्वर स्क्रीन को कुछ यूं छू कर गया कि सब सुनहरा हो गया.

व्यवस्था ‘नत्था’ से किसानी छुड़ाकर मज़दूरी कराना चाहती है

‘पीपली लाइव’ किसान और मीडिया के चित्रण के जरिये भूमंडलीकरण की प्रक्रिया और उसके दुष्परिणामों की गहरी पड़ताल करता है. सिनेमा का व्यंग्यात्मक रुख राज्य और समाज के रवैये की भी पोल खोलता है.

‘आज लोहिया होते तो भाजपा के ख़िलाफ़ वैसा ही मोर्चा बनाते जैसा कांग्रेस के विरुद्ध बनाया था’

राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने से लेकर विपक्ष की एकजुटता और आगे की चुनावी रणनीतियों पर जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद केसी त्यागी से एमके वेणु की बातचीत.

मदर टेरेसा की नीली बॉर्डर वाली साड़ी अब इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी

साड़ी के डिज़ाइन के गलत और अनुचित इस्तेमाल को देखते हुए उठाया गया कदम. यह पहली बार है जब किसी वेशभूषा को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के तहत संरक्षित किया गया है.

‘राष्ट्रवाद पर गोलवरकर के विचारों को सही तरीके से समझा नहीं गया’

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित इंडियन काउंसिल फॉर फिलॉसफिकल रिसर्च का मानना है कि गोलवरकर के विचारों को सही परिप्रेक्ष्य में समझे जाने की ज़रूरत है.