सूचना आयुक्त की नियुक्ति में पारदर्शिता हो, सिर्फ रिटायर्ड नौकरशाह न भरे जाएं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि केंद्र एवं राज्य के सूचना आयोगों में खाली पदों पर छह महीने के भीतर भर्तियां की जानी चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो और केंद्रीय सूचना आयुक्त का दर्जा केंद्रीय चुनाव आयुक्त के बराबर होना चाहिए.

चीफ जस्टिस, जस्टिस सीकरी के बाद जस्टिस रमना ने नागेश्वर राव मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया

जस्टिस एनवी रमना ने ये कहते हुए सुनवाई करने से मना कर दिया कि वे नागेश्वर राव के बेटी की शादी में गए थे. राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, सूचना आयुक्त के पद पर सिर्फ नौकरशाहों की ही नियुक्ति क्यों हुई

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाई गई कमेटी ने 14 नामों को शॉर्टलिस्ट किया था जिसमें से 13 नौकरशाह थे. जिस पर जस्टिस सीकरी ने कहा कि हम नियुक्तियों को दोष नहीं दे रहे हैं. लेकिन गैर-नौकरशाह नाम भी थे, पर उनमें से किसी को भी नियुक्त नहीं किया गया.

चीफ जस्टिस के बाद अब जस्टिस सीकरी ने भी नागेश्वर राव मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया

एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे से जस्टिस एके सीकरी ने कहा, ‘कृपया मेरी स्थिति को समझें. मैं ये मामला नहीं सुन सकता हूं.’

क्यों मोदी सरकार सूचना आयुक्त पद के लिए नौकरशाहों को तरजीह दे रही है

केंद्रीय सूचना आयोग में हाल ही में नियुक्त चार सूचना आयुक्त पूर्व नौकरशाह हैं. हालांकि आरटीआई क़ानून की धारा 12 (5) बताती है कि सूचना आयुक्त विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, संचार मीडिया, प्रशासन या शासन के क्षेत्र से नियुक्त किए जाने चाहिए.

सीआईसी के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए पांच में से चार उम्मीदवारों ने नहीं किया था आवेदन

सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए दस्तावेज़ों से यह खुलासा हुआ है कि इस पद के लिए आवेदन करने वाले दो वरिष्ठ सूचना आयुक्तों को भी शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया था. हालांकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि आवेदन करने वालों में से ही सर्च कमेटी द्वारा शॉर्टलिस्ट किया जाएगा.

मोदी सरकार ने पूर्व कानून सचिव सुरेश चंद्रा को आवेदन किए बगैर ही बनाया सूचना आयुक्त

आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि आवेदन करने वाले उम्मीदवारों में से ही सर्च कमेटी सूचना आयुक्त के लिए योग्य लोगों को शॉर्टलिस्ट करेगी. अगर सरकार को अपने मन से ही नियुक्ति करनी है तो आवेदन क्यों मंगाए गए.

सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव पर सुनवाई से अलग हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि वह नए सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए 24 जनवरी 2019 को उच्च स्तरीय समिति की बैठक में भाग ले रहे हैं, इसलिए वे इस मामले में सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं हो सकते हैं.

नागेश्वर राव को सीबीआई की कमान सौंपने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

याचिका में कहा गया है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति उच्च स्तरीय चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर नहीं की गई थी, जैसा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के तहत अनिवार्य है.

मोदी सरकार ने की चार नए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति, चारों लोग रिटायर्ड बाबू हैं

आयोग के वरिष्ठ सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव को मुख्य सूचना आयुक्त बना दिया गया है. इन चार सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के बाद भी अभी भी केंद्रीय सूचना आयोग में कुल चार पद खाली हैं.

मोदी सरकार ने संसद को किया गुमराह, कहा- चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर चिंता जाहिर नहीं की

चुनाव आयोग ने बीते 26 मई 2017 को कानून मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की थी. इसके बाद कानून मंत्रालय ने आयोग की आपत्तियों को शामिल करते हुए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को तीन पत्र भेजा था.

सूचना का अधिकार कानून के दुरुपयोग की कोई जानकारी नहीं है: केंद्र सरकार

केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दुरुपयोग की कोई जानकारी भारत सरकार के संज्ञान में नहीं है. दुरुपयोग से बचने के लिए आरटीआई कानून में पहले से ही व्यवस्था दी गई है.

आरटीआई में संशोधन से समाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसलिए लोगों से सलाह नहीं ली गई: केंद्र

केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में आरटीआई संशोधन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि प्रस्तावित संशोधन में कोई सामाजिक या आर्थिक प्रभाव शामिल नहीं है इसलिए सरकार से बाहर सलाह प्रक्रिया का पालन करने की ज़रूरत नहीं पड़ी.

आरटीआई संशोधन के विरोध में उतरे कार्यकर्ता, पूर्व सूचना आयुक्त ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति और सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में संशोधन नहीं करने की मांग की है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और आठ राज्यों से पूछा, सूचना आयुक्त के पदों को भरने के लिए क्या किया

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र और राज्य के सूचना आयोगों में सूचना आयुक्त के पदों का ख़ाली रहना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. आरटीआई एक्ट पारित करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना था.