दक्षिण अफ्रीका ने एक छोटे क्लीनिकल ट्रायल के बाद अपना टीकाकरण अभियान रोक दिया, जिसमें पता चला कि यह देश में फैले नए कोरोना वायरस वैरिएंट के ख़िलाफ़ न्यूनतम सुरक्षा प्रदान करता है.
कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ने टीका लेने वालों को वैक्सीन के जोखिम और फायदों से अवगत कराने के लिए एक फैक्टशीट जारी की है. इससे पहले कोवैक्सीन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने भी इसी तरह की फैक्टशीट जारी की थी.
कोराना वायरस के ख़िलाफ़ 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरुआत के बाद भारत बायोटेक ने इस संबंध में एक फैक्ट शीट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि किन्हें ये वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. कंपनी के इस क़दम पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है.
मध्य प्रदेश में भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे चार संगठनों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि भारत बॉयोटेक के ‘कोवैक्सीन’ टीके के क्लीनिकल परीक्षण में भाग ले रहे लोगों की सुरक्षा और उनके हकों को नजरअंदाज करने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों और संस्थाओं के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई और मुआवज़े की मांग भी की है.
भोपाल में 45 वर्षीय दीपक मरावी को यहां के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में बीते 12 दिसंबर को भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई गई स्वदेशी कोवैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी. बीते 21 दिसंबर को तबीयत बिगड़ने के बाद उनकी मौत हो गई. मृतक के परिवार का आरोप है कि वैक्सीन से उनकी जान गई है.
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन के भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल को मंज़ूरी देने के बाद से इसे लेकर कुछ सवाल उठ रहे हैं. लेकिन सरकार और उसके समर्थक जवाब न देने की अपनी पुरानी परंपरा के मुताबिक़ सवाल पूछने वालों पर राजनीति करने की तोहमत लगा रहे हैं.
कोविड-19 की वैक्सीन में इस्लाम में 'हराम' माने जाने वाले तत्वों के मिले होने के कारण इसे मुस्लिम समुदाय को न दिए जाने संबंधी दावे पर जमात-ए-इस्लामी हिंद का कहना है कि हलाल तत्वों वाली वैक्सीन की अनुपलब्धता होने पर इंसानी ज़िंदगी बचाने के लिए आपात स्थिति में हराम तत्व से बनी वैक्सीन दी जा सकती है.
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कोविड-19 के ख़िलाफ़ संभावित टीके कोवैक्सिन के तीसरे चरण के परीक्षण में पहला स्वयंसेवी बनने की पेशकश की थी. उन्हें 20 नवंबर को इसकी खुराक अम्बाला कैंट के सिविल अस्पताल में दी गई थी.
एम्स की एथिक्स कमेटी ने स्वदेशी तौर पर विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ के मानव परीक्षण की अनुमति दी है. इसके लिए 20 जुलाई से रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाएगा.
शुक्रवार को संसद में वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश की अध्यक्षता वाले पैनल की बैठक में वैज्ञानिकों ने बताया कि कोविड-19 की वैक्सीन विकसित करने में भारत की अहम भूमिका रहेगी, पर अगले साल से पहले इसके बनने की संभावना बहुत कम है.
आईसीएमआर द्वारा 15 अगस्त तक कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराने की समयसीमा पर देश की सबसे बड़ी विज्ञान अकादमी ने कहा है कि संक्रमण से लड़ने के लिए मानव शरीर में एंटीबॉडी बनने, उसके असर, डाटा रिपोर्टिंग आदि के लिए एक लंबा समय चाहिए होता है. अगर इसमें किसी तरह की कोताही बरती गई तो बड़ा नुकसान हो सकता है.
भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि देश में 140 वैक्सीन में से 11 मानव परीक्षण के लिए तैयार हैं लेकिन 2021 से पहले इनके बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की गुंजाइश कम ही है. पीआईबी ने इस सूचना को जारी करते हुए 2021 से पहले वैक्सीन उपलब्ध न होने की जानकारी को इस बयान से डिलीट कर दिया.
आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि कोरोना वायरस का टीका तेजी से बनाने का उद्देश्य अनावश्यक लालफीताशाही कम करना है. हालांकि आईसीएमआर द्वारा 15 अगस्त तक वैक्सीन बनाने के दावों पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए हैं. यहां तक कि टीका विकसित कर रही कंपनी भी अक्टूबर से पहले इसका ट्रायल पूरा करने से इनकार कर रही है.
आईसीएमआर ने कोविड-19 की स्वदेशी वैक्सीन के लॉन्च के लिए 15 अगस्त की समयसीमा निर्धारित की है, जिसे लेकर डॉक्टर्स और वैज्ञानिक संशय में हैं. वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का भी मानना है कि ट्रायल पूरे होने में अक्टूबर तक का समय लग सकता है.
‘कोवैक्सिन’ नामक टीके को भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर विकसित किया है.