कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों के सामने खड़ी हुईं समस्याओं को दूर करने के लिए श्रम मंत्रालय नीति आयोग की अगुवाई में एक नीति तैयार कर रही है. मसौदा नीति में कहा गया है कि प्रवासी मज़दूरों का राजनीतिक समावेश किया जाना चाहिए, ताकि राजनीतिक नेतृत्व को उनके लिए जवाबदेह ठहराया जा सके.
केंद्र सरकार श्रम संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे रहा है. दस केंद्रीय मज़दूर संगठनों की संयुक्त मंच द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सभी चार संहिताओं को रोक दिया जाना चाहिए और फिर इन श्रम संहिताओं पर केंद्रीय मज़दूर संगठनों के साथ सच्ची भावना से द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बातचीत होनी चाहिए.
2021 में जाते हुए क्या उस सब से उबरना मुमकिन होगा, जिसमें हमने साल 2020 बिताया है?
ये मज़दूर झारखंड के पाकुड़ वन प्रभाग की सीमा पर काम करते हैं. उनका कहना है कि उन्हें बीते नौ महीनों से मज़दूरी नहीं दी गई है जबकि वे इस मामले को कई बार प्रशासन के संज्ञान में ला चुके हैं. इस संबंध में झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका कर मज़दूरी दिलाने की मांग की गई है.
मामला बिजनौर का है, जहां एक दिहाड़ी मज़दूर अफ़ज़ल को प्रदेश में लागू हुए नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है. पुलिस ने अफ़ज़ल पर अपहरण का आरोप भी लगाया है.
गुजरात के अहमदाबाद शहर का मामला. पुलिस ने बताया कि दोनों श्रमिकों को रसायन टैंक की सफाई से पहले सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं कराए गए थे.
गुजरात के अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके के एक औद्योगिक क्षेत्र में स्थित रासायनिक फैक्टरी में बुधवार को हुआ विस्फोट इतना जबरदस्त था कि बगल में स्थित कपड़े के गोदाम की इमारत भी ढह गई. इधर, महाराष्ट्र में रायगढ़ ज़िले की एक रासायनिक फैक्टरी में हुए विस्फोट में दो लोगों की मौत की सूचना है.
ग्राउंड रिपोर्ट: 70 के दशक में मधेपुरा-सहरसा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैजनाथपुर में काफ़ी उम्मीदों के साथ पेपर मिल बनी थी, पर कभी काम शुरू नहीं हो सका. मिल में रोज़गार पाने की आस में उम्र गुज़ार चुके लोगों की अगली पीढ़ी विभिन्न राज्यों में मज़दूरी कर रही है और मिल खुलने का वादा केवल चुनावी मौसम का मुद्दा बनकर रह गया है.
यह घटना उत्तर पश्चिम दिल्ली के आज़ादपुर इलाके में हुई. पुलिस ने बताया कि मज़दूर सुरक्षा उपकरण नहीं पहने अंदर गए थे. फैक्टरी मालिक और ठेकेदार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है.
वीडियो: कोरोना वायरस के मद्देनज़र लगाए गए लॉकडाउन के बाद अनलॉक फेज़ शुरू हो गया है, लेकिन कई दैनिक वेतनभोगी अभी भी लॉकडाउन की स्थिति में जी रहे हैं. लॉकडॉउन के दौरान हुए वित्तीय नुकसान से नहीं उबर पा रहे हैं.
किसान के प्रतिरोध में सिर्फ किसान रहें, मजदूर प्रतिरोध में सिर्फ मजदूर, दलितों के विरोध में सिर्फ दलित, यह भी अत्याचार को बनाए रखने का एक तरीका है. यह विरोध का संप्रदायवाद है. सत्ता इसलिए कहती है कि किसान का विरोध तब अशुद्ध है जब उसमें छात्र और व्यापारी शामिल हों.
द वायर द्वारा भारतीय रेल के 18 ज़ोन में दायर आरटीआई आवेदनों के तहत पता चला है कि श्रमिक ट्रेनों से यात्रा करने वाले कम से कम 80 प्रवासी मज़दूरों की मौत हुई है. केंद्र सरकार के रिकॉर्ड में ये जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद उसने संसद में इसे सार्वजनिक करने से मना कर दिया.
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद पीएल पूनिया ने कहा कि कोविड-19 महामारी में मज़दूरों को रोज़गार ख़त्म हो जाने की वजह से घोर संकट का सामना करना पड़ रहा है. कुछ राज्य सरकारों ने उनकी मदद करने के बजाय उद्योगपतियों के हित में श्रम क़ानूनों में बदलाव किया है.
स्वामी अग्निवेश गांधी की परंपरा के हिंदू थे, जो मुसलमान, सिख, ईसाई या आदिवासी को अपने रंग में ढालना नहीं चाहता और उनके लिए अपना खून बहाने को तत्पर खड़ा मिलता है. वे मुसलमानों और ईसाइयों के सच्चे मित्र थे और इसीलिए खरे हिंदू थे.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक़ जुलाई में लगभग 48 लाख और अगस्त में 33 लाख वेतनभोगी नौकरियां गई हैं. वहीं मासिक आंकड़ों के अनुसार देश की बेरोज़गारी दर अगस्त में बढ़कर 8.35 प्रतिशत हो गई, जो उससे पिछले महीने 7.40 प्रतिशत थी.