रफाल मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा द हिंदू की रिपोर्ट को चोरी के दस्तावेज़ के हवाले से छापने के आरोप और अख़बार पर कार्रवाई की बात कहने की एडिटर्स गिल्ड समेत विभिन्न प्रेस संगठनों ने आलोचना की है.
सीक्रेट आउट होने पर ही घोटाला आउट होता है. घोटाला आउट होने पर फाइल को सीक्रेट बताने का फार्मूला पहली बार आउट हुआ है. प्रधानमंत्री को हर बात में ख़ुद को चौकीदार नहीं कहना चाहिए. ख़ुद को चौकीदार और प्रधान सेवक कहते-कहते भूल गए हैं कि वे भारत के प्रधानमंत्री हैं, इसलिए जागते रहो, जागते रहो बोलकर कुछ भी बोल जाते हैं.
रफाल दस्तावेज़ चोरी पर कांग्रेस अध्यक्ष बोले- दो करोड़ रोजगार गायब हो गया. किसानों के बीमा का पैसा गायब हो गया. 15 लाख रुपया गायब हो गया. अब रफाल की फाइलें गायब हो गईं.
द हिंदू के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम ने कहा कि रफाल सौदे से जुड़ी जानकारियां दबा कर या छिपा कर रखी गई थीं जिसके कारण ही उनसे जुड़े दस्तावेज़ जनहित में प्रकाशित किए गए. उन्होंने कहा कि आप इसे चोरी हो गए दस्तावेज़ कह सकते हैं लेकिन हम इसको लेकर चिंतित नहीं हैं.
रफाल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण के द हिंदू अख़बार की ख़बर का हवाला देने पर अटार्नी जनरल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह लेख चोरी किए गए गोपनीय दस्तावेज़ों पर आधारित है, जो गोपनीयता क़ानून का उल्लंघन है.
नरेंद्र मोदी के आरोपों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि रफाल विमानों की आपूर्ति में देरी के लिए सिर्फ आप जिम्मेदार हैं. आपकी वजह से विंग कमांडर अभिनंदन जैसे बहादुर पायलटों को पुराने विमान उड़ाकर अपना जीवन जोखिम में डालना पड़ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस बात को भी तय करेगी की कि इस मामले की सुनवाई खुली अदालत में होनी है या नहीं. आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका को भी इसी में शामिल किया गया है.
बीते 14 दिसंबर के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील से संबंधित दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को ठुकरा दी थी.
दासो एविएशन से रफाल लेते समय एक ख़रीददार के बतौर भारत काफ़ी मज़बूत स्थिति में था, लेकिन फिर भी कई मुद्दों पर रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 का उल्लंघन करते हुए रियायतें दी गईं.
मोदी सरकार द्वारा किए गए सौदे के तहत गारंटी संबंधी प्रावधानों पर चिंता व्यक्त करते हुए कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि क़रार के भंग होने की स्थिति में भारत को पहले पंचाट या मध्यस्थता के ज़रिये सीधे तौर पर विमान के फ्रांसीसी आपूर्तिकर्ताओं के साथ मामले को सुलझाना पड़ेगा.
बुधवार को संसद में रफाल पर अपनी रिपोर्ट पेश कर कैग ने दावा किया कि या रफाल सौदा यूपीए की डील के मुकाबले 2.86 प्रतिशत सस्ता है. हालांकि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल कैग रिपोर्ट की आलोचना कर रहे हैं.
रफाल को लेकर मोदी सरकार का दावा है कि नई डील यूपीए सरकार से बेहतर है और इसकी वजह से भारत को विमान जल्दी मिल जाएंगे. हालांकि रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकार के इन दावों पर सहमति नहीं जताई थी.
भारतीय रक्षा पूंजी खरीद की बातचीत में किसी ‘शेरपा’(दूत) की मदद की व्यवस्था छोड़िए, कोई कल्पना भी नहीं की गई है. न ही अंतरसरकारी समझौतों के मामलों में उनकी कोई भूमिका ही सुनिश्चित की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2015 में रफाल सौदे से महज़ 15 दिन पहले अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षामंत्री और उनके सलाहकारों से मिले थे. कांग्रेस ने सरकार पर गोपनीयता क़ानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा, 'रक्षा मंत्री और विदेश सचिव नहीं जानते थे लेकिन अंबानी को पता था कि सौदा होने वाला है.’
क्या आपने रक्षा ख़रीद की ऐसी कोई डील सुनी है जिसकी शर्तों में से किसी एजेंसी या एजेंट से कमीशन लेने या अनावश्यक प्रभाव डालने पर सज़ा के प्रावधान को हटा दिया जाए? मोदी सरकार की कथित रूप से सबसे पारदर्शी डील में ऐसा ही किया गया है.