बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है.
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी का सबसे अधिक फायदा गरीब और गांवों में रहने वालों को हुआ है. इसने कुछ लोगों को चोट पहुंचाई है लेकिन राज्य की 90 प्रतिशत जनसंख्या को लाभ पहुंचाया है.
अधिकारियों ने बताया कि शराब तस्करी में शामिल ज़्यादातर बच्चे अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदाय से हैं.
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद पिछले दो साल में 1,22,392 लोग जेल में बंद हैं.
बिहार की गया लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हरि मांझी के बेटे राहुल मांझी और उनके दोस्तों को शराब पीने की वजह से बीते 23 अप्रैल को गिरफ़्तार किया गया था.
शराबबंदी क़ानून के तहत अब तक कुल 1 लाख 21 हज़ार 586 लोगों की ग़िरफ्तारी हुई है, जिनमें से अधिकांश बेहद ग़रीब तबके से आते हैं.
बिहार विधान परिषद में मद्य निषेध और उत्पाद मंत्री ने बताया कि इस संबंध में अब तक एक लाख 21 हज़ार 586 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जिनमें से एक लाख 21 हज़ार 542 व्यक्ति जेल भेजे गए.
राष्ट्रीय जनता दल के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने बिहार में सत्ता में आने पर शराबबंदी क़ानून के तहत जेल में बंद 1.3 लाख लोगों को छोड़ने की बात कही.
बिहार में शराब पीने के जुर्म में तकरीबन एक लाख लोग गिरफ़्तार किए गए होंगे. राज्य की अदालतों और जेलों में क्या आलम होगा, आप अंदाज़ा कर सकते हैं. एक लाख लोग किसी एक जुर्म में जेल में बंद हों यह सामान्य नहीं हैं.
आपके अभियान की भाषा केवल परिवार के मुखियाओं को संबोधित कर रही है. नई पीढ़ी से संवाद का अभाव इसमें दिख रहा है.
शराबबंदी से टीबी के जांच में इस्तेमाल होने वाले एथिल एल्कोहल की किल्लत हो गई है.
मीडिया में आई रिपोर्ट के आधार पर बिहार पुलिस मुख्यालय ने डीजी पुलिस को मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
शराबबंदी नीतीश कुमार के एक-डेढ़ दशकों की राजनीति की बड़ी उपलब्धि नहीं, बल्कि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के अवसान का सूचक है.