ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के सुपौल ज़िले के निर्मली विधानसभा क्षेत्र में कोसी नदी के सिकरहट्टा-मंझारी तटबंध पर बसे पिपराही गांव से गुज़र रही धारा में कम पानी होता था, पर बीते कई सालों से बारह महीने इतना पानी रहता है कि बिना नाव के पार नहीं किया जा सकता है. इस साल मई से सितंबर के बीच यहां पांच बार बाढ़ आ चुकी है.
वीडियो: निर्भया कांड जैसे वीभत्स हादसे के बाद इसका दोहराव न होने की दुआ सभी ने की थी, लेकिन अब हाथरस कांड हमारे सामने है. क्या ये महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा का अंत है? इस बारे में दामिनी यादव के विचार.
जब भी स्त्री अधिकारों की बात होगी, तो अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जज रूथ बेदर गिंसबर्ग का नाम ज़रूर आएगा. रूथ ने न केवल अपने काम से लाखों औरतों को प्रेरित किया, बल्कि अपने फ़ैसलों के ज़रिये उनके लिए संभावनाओं के नए द्वार भी खोले, जो लैंगिक भेदभाव के चलते बंद थे.
ग्राउंड रिपोर्ट: पश्चिम चंपारण ज़िले के लक्ष्मीपुर रमपुरवा गांव के सीमाई पांच टोले के पांच सौ से अधिक ग्रामीण गंडक नदी की बाढ़ और कटान से हुई व्यापक तबाही के बाद फिर से ज़िंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में लगे हैं. अस्तित्व के संकट जूझ रहे इन टोलों में चुनावी कोलाहल की गूंज नहीं पहुंची है.
लोकसभा में सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि वर्ष 2019-20 में पूरे देश के 114.295 लाख हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई, जिसमें बिहार में बाढ़ से प्रभावित कुल फसल 2.61 लाख हेक्टेयर थी.
मामला मध्य प्रदेश के उज्जैन का है. मृतक लोगों में से अधिकांश मज़दूर थे. उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि संभवत: डिनेचर्ड स्प्रिट पीने से इनकी मृत्यु हुई है. प्राथमिक जांच में दो-तीन संदिग्ध व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं और उनके विरूद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है.
भारतीय समाज में आप भले ही जाति को मौजूद न जानें, लेकिन जाति सबको जानती है.
जिन हालातों में हाथरस की बेटी की मौत हुई और उसके बाद जिस तरह बर्ताव उसके शव के साथ किया गया, उसको देखते हुए क्या उसको न्याय मिल सकता है?
प्रेमचंद महात्मा गांधी की आंदोलन पद्धति के मुरीद थे. सशस्त्र आतंक के ज़रिये क्रांति या मुक्ति के नारे प्रेमचंद का खून गर्म नहीं कर पाते क्योंकि वे हिंसा के इस गुण या अवगुण को पहचानते थे कि वह कभी भी शुभ परिणाम नहीं दे सकती.
वीडियो: हाथरस में दलित युवती से कथित गैंगरेप और उसकी मौत के मामले को कुछ टीवी चैनलों ने दो-तीन दिन तक प्रमुखता से उठाया. अब सारे चैनल सत्ताधारियों की भाषा बोलने लगे हैं. घटना को लेकर विपक्ष की सक्रियता को वे किसी कथित षड्यंत्र का हिस्सा बता रहे हैं. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकारों- शीतला पी. सिंह, बिराज स्वैन, अशोक दास के साथ उर्मिलेश की बातचीत.
जनता के हर विरोध को अपराध ठहराया जा रहा है. वह दिन दूर नहीं है जब सरकार भारतीयों को यह बताएगी कि उनका बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ बोलना, किसानों का सरकार के ख़िलाफ़ खड़े होना, सब कुछ अंतरराष्ट्रीय साज़िश है. भारत में जन्म लेना भी एक षड्यंत्र घोषित किया जा सकता है.
उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की दलित युवती के गैंगरेप और मौत के मामले में यूपी पुलिस ने 21 एफ़आईआर दर्ज की है, जिसमें से छह हाथरस ज़िले में और बाकि बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, इलाहाबाद, अयोध्या और लखनऊ में दर्ज की गई हैं. इस संबंध में विभिन्न शहरों से कई लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव और एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स के एक साझा अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि यूपी में यौन हिंसा पीड़ित महिलाओं को शिकायत दर्ज करवाने के दौरान लगातार पुलिस के हाथों अपमान झेलना पड़ा और एफआईआर भी पहले प्रयास में दर्ज नहीं हुई.
संघ के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए योगी आदित्यनाथ आदर्श व्यक्ति हैं.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस के चंदपा थाने में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करते हुए दावा किया है कि 19 वर्षीय दलित युवती के साथ हुई हिंसा और कथित गैंगरेप मामले को लेकर उन्हें जाति आधारित दंगे भड़काने वाले एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का पता चला है.