पिछले साल 25 मई को अमेरिका के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत उनके गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चॉविन द्वारा तक़रीबन नौ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. इस दौरान फ्लॉयड बार-बार कहते रहे थे कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है, लेकिन पुलिसकर्मी नहीं माना. फ्लॉयड की निर्मम मौत से देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
77 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी और 44 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता सदफ़ जाफ़र उन 57 लोगों में शामिल हैं, जो 19 दिसंबर, 2019 के सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में 1.55 करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के आरोपी हैं.
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 20 दिसंबर 2019 को हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 21 साल के सुलेमान की मौत हो गई थी. एसआईटी ने पुलिसकर्मियों को दोषमुक्त करते हुए सुलेमान को आरोपी ठहराया है और कहा है कि वे प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में शामिल थे.
पुलिस की बर्बरता से हम सभी को फ़र्क़ पड़ना चाहिए, भले ही निजी तौर पर हमारे साथ ऐसा न हुआ हो. ये हमारी व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन चुका है, जिसे बदलना चाहिए और पूरी ताक़त से मिलकर ज़ाहिर की गई जनभावना ही ऐसा कर सकती है.
जब विरोध होता है तो व्यवस्था की ओर से उपदेश दिया जाता है कि संवाद की स्थितियां बनानी चाहिए. यह बोझ भी प्रदर्शनकारियों पर ही डाल दिया जाता है कि वे संवाद कायम करें. क्या शोषण तर्क और संवाद के सहारे चलता है? विरोध से अराजकता फैलने का आरोप लगाते समय लोग भूल जाते हैं कि जो विरोध करने को बाध्य हुए हैं, उनके जीवन में अराजकता के अलावा शायद ही कुछ है.
वीडियो: बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया था कि लखनऊ में एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के नाम, फोटो और उनके पते के साथ लगाए गए सभी होर्डिंग्स तुरंत हटाए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक नहीं लगाया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया कि लखनऊ में एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के नाम, फोटो और उनके पते के साथ लगाए गए सभी होर्डिंग्स तुरंत हटाए जाएं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के होर्डिंग्स हटाने का दिया आदेश, कहा- अत्यधिक अनुचित
हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया कि आज दोपहर तीन बजे से पहले ये सारे होर्डिंग्स हटाए जाए और तीन बजे कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए.
लखनऊ में कई स्थानों पर लगाए गए इन होर्डिंग्स में प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में जुर्माना भरने को कहा गया है.
महाराष्ट्र के नागपुर में संघ मुख्यालय के निकट रेशीमबाग मैदान में भीम आर्मी कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए आजाद ने 'मनुवाद' को खत्म करने के लिए संघ पर प्रतिबंध की मांग की.
उत्तर प्रदेश प्रशासन का दावा है कि 19 दिसंबर 2019 को लखनऊ के हजरतगंज में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था. हालांकि इस दिन कई कार्यकर्ता नजरबंद थे.
19 दिसंबर, 2019 को देश के अन्य हिस्सों की तरह कर्नाटक में सीएए और एनआरसी के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए थे. हालांकि, बेंगलुरु पुलिस आयुक्त ने एक दिन पहले सीआरपीसी की धारा 144 का उपयोग कर शहर में सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध लगा दिया था.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पर गाजीपुर स्थित सदर के एसडीएम प्रभास कुमार ने कहा कि इस समूह को किसी भी जुलूस की अनुमति नहीं थी और उनके पास से जो पर्चे मिले उसमें सीएए-एनआरसी के विरुद्ध भी कुछ बातें थीं. उनकी गिरफ़्तारी केवल अव्यवस्था फैलाने की आशंकाओं पर की गई है.