भारत में केवल वही रह सकते हैं जो भारत माता की जय कहेंगे: धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक समारोह के दौरान कहा कि जो लोग एनआरसी का विरोध कर रहे हैं, क्या वे भारत को धर्मशाला बनाना चाहते हैं.

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New Delhi: Petroleum & Natural Gas Minister Dharmendra Pradhan speaks during a cabinet briefing, in New Delhi, Wednesday, Sept 12, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI9_12_2018_000092B)
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान. (फाइल फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक समारोह के दौरान कहा कि जो लोग एनआरसी का विरोध कर रहे हैं, क्या वे भारत को धर्मशाला बनाना चाहते हैं.

New Delhi: Petroleum & Natural Gas Minister Dharmendra Pradhan speaks during a cabinet briefing, in New Delhi, Wednesday, Sept 12, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI9_12_2018_000092B)
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (फोटोः पीटीआई)
नई दिल्लीः देश में नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध के बीच केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि जो भारत माता की जय बोलने के लिए तैयार हैं, सिर्फ वे ही भारत में रह सकते हैं.
उन्होंने एनआरसी का विरोध कर रहे लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या वे देश को धर्मशाला बनाना चाहते हैं.

 इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक समारोह के दौरान कहा, ‘आज देश के सामने चुनौती क्या है? एक तरफ देश में नागरिकता है, गिनती की जाएगी की नहीं की जाएगी? क्या उधम सिंह का बलिदान बेकार जाएगा? क्या भगत सिंह का बलिदान बेकार जाएगा? क्या नेताजी सुभाषचंद्र बोस का बलिदान बेकार जाएगा? क्या इस देश की करोड़ों असंख्य जनसंख्या जिसने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी इसलिए कि आजादी के 70 साल बाद देश इस विषय पर विचार करें कि नागरिकता के बारे में हम गिने या नहीं गिने? क्या इस देश को हम धर्मशाला बनाएंगे? क्या इस देश में जो भी आए वो रहेगा? इस विषय पर चुनौतियां हमे स्वीकार करनी पड़ेगी. इस विचार को स्पष्ट करना पड़ेगा. भारत में भारत माता की जय कहना ही पड़ेगा और ऐसा कहने वाले लोग ही यहां रह पाएंगे.’
प्रधान ने रोजगार उपलब्ध कराने की चुनौतियों के बारे में कहा कि एबीवीपी जैसे संगठनों को उद्योग जगत में बढ़ रही स्वायत्ता के बीच बेरोजगारी के मुद्दे का समाधान ढूंढने की दिशा में काम करना होगा.
उन्होंने कहा, ’21वीं सदी में इस देश की यात्रा में निस्संदेह एबीवीपी एक पूर्ण बिंदू है. मूल्य आधारित सिक्षा और उद्यमशीलता इस यात्रा के केंद्र में होगी. मैं 1983 से एबीवीपी से जुड़ा हुआ हूं और मेरी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक एबीवीपी का राष्ट्रीय सचिव बनना है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)