भाजपा के लगातार धर्म के नाम पर वोट मांगने पर चुनाव आयोग की चुप्पी क्या कहती है

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उपधारा 3 और 3(ए) कहती हैं कि धर्म के आधार पर और धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल करते हुए वोट के लिए अपील करना भ्रष्ट आचरण है. लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान संबंधित क़ानून का बार-बार उल्लंघन होते हुए देखा जा रहा है.

(फोटो: @BJP4Karnataka और द वायर इलस्ट्रेशन)

नई दिल्ली: कर्नाटक की भाजपा इकाई के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स से बीते शनिवार (4मई) को विभिन्न सोशल मीडिया मंचों – जैसे कि एक्स, इंस्टाग्राम और फेसबुक – पर एक 17 सेकंड्स की एनिमेटेड वीडियो क्लिप शेयर की गई है, जिसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के हक़ की अनदेखी करते हुए सारा फंड मुसलमानों को देते हुए दिखाया गया है.

वीडियो में दिखाया गया है कि एक घोंसले में तीन अंडे हैं – एक अनुसूचित जाति (एससी) का है, दूसरा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का है और तीसरा ओबीसी का है. राहुल गांधी उस  घोंसले में लाकर एक बड़ा अंडा और रख देते हैं, जिसे मुस्लिम दिखाया गया है. जब सारे अंडों में से बच्चे बाहर आते हैं तो राहुल गांधी ‘मुस्लिम अंडे’ को सारा फंड पिला देते हैं, जिसके बाद वह अंडा और ज्यादा बड़ा हो जाता है और बाकी अंडों से निकले हुए बच्चों को धक्का मारकर बाहर फेंक देता है.

यह वीडियो कर्नाटक भाजपा के सिर्फ एक्स एकाउंट पर ही 92 लाख बार से अधिक देखा जा चुका है, वहीं इंस्टाग्राम पर इसके 6 लाख से अधिक व्यूज हैं.

यह वीडियो भाजपा के उस झूठे आरोप को बढ़ावा देता है कि ‘कांग्रेस का लक्ष्य अन्य शोषित वर्गों पर मुस्लिम समुदाय को प्राथमिकता देना है.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई भाजपा नेता अपने चुनावी भाषणों में कांग्रेस पर लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं. इससे भी आगे बढ़कर पीएम मोदी ने अपनी चुनावी भाषण में कई बार कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया है कि ‘अगर वह सत्ता में आती है तो हिंदुओं से उनकी संपत्ति छीनकर मुसलमानों में बांट देगी.’ हालांकि, द वायर ने कांग्रेस के घोषणापत्र के अध्ययन में ऐसा कोई दावा नहीं पाया.

बहरहाल, कांग्रेस ने इस वीडियो के ख़िलाफ़ बेंगलुरु में रविवार (5 मई) को एक एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय और कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को आरोपी बनाया गया था. साथ ही चुनाव आयोग से भी मामले का संज्ञान लेने का अनुरोध किया था.

इसके बाद कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की थी कि वह उक्त पोस्ट को हटाने के लिए एक्स को निर्देश जारी करे. उन्होंने मामले को सीआईडी के साइबर अपराध शाखा के पुलिस अधीक्षक को भी भेजा था.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इस सिफारिश पर कार्रवाई करते हुए कर्नाटक पुलिस ने एक्स को वीडियो हटाने के लिए एक नोटिस भी भेजा है. हालांकि, इस संबंध में आयोग ने भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का कोई संकेत नहीं दिया है.

कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दी गई शिकायत में कांग्रेस ने कहा था कि भाजपा का इरादा इस वीडियो क्लिप के जरिये समुदायों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और जानबूझकर दंगा भड़काने का था.

भाजपा का दाग़ी इतिहास

हालांकि, यह पहली मर्तबा नहीं है जब भाजपा और इसके नेताओं द्वारा इस तरीके के आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट किए गए हों या बयान दिए गए हों, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं.

मुस्लिम समुदाय को लेकर आपत्तिजनक बयान और कांग्रेस के बारे में फर्ज़ी ख़बरें फैलाना भाजपा के वर्तमान चुनावी अभियान का अहम हिस्सा रहे हैं. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उपधारा 3 और 3(ए) कहती हैं कि ‘धर्म के आधार पर और धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल करते हुए वोट के लिए अपील करना भ्रष्ट आचरण है.’

लेकिन इस चुनाव के दौरान संबंधित कानून का बार-बार उल्लंघन होते हुए देखा जा रहा है.

17 अप्रैल को भाजपा के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक ट्वीट किया गया, जिसमें भगवान राम तथा अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर की तस्वीर छपी थी और कैप्शन में लिखा हुआ था ‘आपके एक वोट की ताकत.’

ऐसा ही एक पोस्ट भाजपा की बिहार इकाई ने 19 अप्रैल (पहले चरण के मतदान वाले दिन) को किया, जिसमें राम मंदिर की तस्वीर के साथ कैप्शन था – ‘वोट देने जा रहे हैं, तो ये जरूर याद रखियेगा, रामलला का मंदिर किसने बनवाया!’

वहीं, 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर भ्रम फैलाते हुए कहा था, ‘कांग्रेस (हिंदुओं की) सारी संपत्ति इकठ्ठा करके उनको (मुसलमानों) बांट देगी जिनके ज्यादा बच्चे हैं, घुसपैठियों को बांट देंगे.’ उन्होंने आगे जनता से पूछा, ‘क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा?’

यह भाषण मोदी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल समेत  भाजपा के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अब भी मौजूद है. सनद रहे कि अभी कई चरणों के चुनाव बाकी हैं.

इस बीच, बीते 1 मई को भाजपा के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से एक एनिमेटेड वीडियो शेयर किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि ‘कांग्रेस ‘ग़ैर-मुसलमानों’ से उनकी संपत्ति छीनकर अपने पसंदीदा समुदाय घुसपैठियों,आक्रमणकारियों (मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द) को दे देगी.’ साथ ही, कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा गया था कि ‘कांग्रेस का घोषणापत्र मुस्लिम लीग की विचारधारा है.’

हालांकि, बाद में यह वीडियो इंस्टाग्राम से हटा दिया गया. बहरहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि इसे भाजपा ने खुद हटाया या फिर मेटा ने अपनी गाइडलाइंस के उल्लंघन के चलते हटाया.

सोशल मीडिया मंचों ने उल्लंघन से फेरी नज़र

बता दें कि मेटा ने भारत में आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए कुछ तैयारियां की थीं. उनमें से एक था – ‘मेटा के किसी भी मंच (प्लेटफॉर्म) पर किसी धर्म या समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की गलत सूचना को फैलने से रोका जाएगा, ताकि वह मतदान पर प्रभाव न डाल सके.’

लेकिन, मेटा के ये दावे खोखले नज़र आ रहे हैं. भाजपा और उसके नेता धड़ल्ले से मेटा मंचों पर एक समुदाय के ख़िलाफ़ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं और भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं.

ऐसे में मेटा की मॉडरेशन पॉलिसी इतनी कारगर साबित नहीं हुई है कि भड़काऊ पोस्ट को वायरल होने से पहले ही हटा दे या उस एकाउंट को बंद कर दे. ऐसे लगभग सभी एकाउंट अभी भी सक्रिय हैं.

मसलन, सोमवार (6 मई) को तेलंगाना के निज़ामाबाद से सांसद अरविंद धर्मपुरी ने एक एनिमेटेड वीडियो ट्वीट किया, जिसमें दिखाया जा रहा है कि ‘एक नाव (जो कि दलित, आदिवासी तथा पिछड़े समुदाय के लिए आरक्षण के प्रावधान को दर्शा रही है) में एससी, एसटी और ओबीसी जाति के लोग सवार हैं. राहुल गांधी उसमें एक हरे कपड़े और टोपी पहने हुए मुसलमान को बैठा देते हैं. उस शख्स के पीछे मुस्लिम समुदाय कई और लोग नाव में सवार हो जाते हैं. नाव के आगे बढ़ने पर वह शख्स हिंदू जातियों के लोगों को नाव से बाहर पानी में फेंक पूरी नाव पर कब्ज़ा कर लेता है. जिसके बाद पीएम मोदी एक अन्य नाव ले कर आते हैं, जिस पर तेलुगु भाषा में जय श्री राम लिखा होता है, और पानी में डूब रहे उन लोगों को बचाकर अपनी नाव में बैठा लेते हैं.’ इस वीडियो पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

इस तरह के कई वीडियो और पोस्ट विभिन्न सोशल मीडिया मंचों- एक्स, यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम- पर मौजूद हैं. इन मंचों की मॉडरेशन पॉलिसी अभी तक निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में नाकाम रही है.

चुनाव आयोग की चुनिंदा कार्रवाई

वहीं, चुनाव आयोग लोकतंत्र के इस महापर्व में उल्लास तो दूर की बात है, जनता को उम्मीद भी नहीं दे पा रहा है.

दूसरी ओर, अमित शाह की एक एडिटेड वीडियो शेयर करने के आरोप में बीते शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने एक कांग्रेस समर्थक अर्जुन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया है. अर्जुन रेड्डी एक्स पर ‘स्पिरिट ऑफ़ कांग्रेस’ नामक एक कांग्रेस समर्थित एकाउंट चलाते थे.

उन्होंने अपने एकाउंट से उक्त वीडियो शेयर कर दिया था जिसमें प्रतीत हो रहा था कि गृहमंत्री अमित शाह जातिगत आरक्षण को खत्म करने की बात कर रहे हैं. दरअसल, अमित शाह तेलंगाना में मुसलमानों को दिए जा रहे आरक्षण को खत्म करने का वादा कर रहे थे लेकिन वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर के ऐसा दिखा दिया गया कि वह हर तरह के आरक्षण को खत्म करने की बात कर रहे हैं.

बाद में, अर्जुन रेड्डी को जमानत पर रिहा कर दिया गया. इस वीडियो को तेलंगाना कांग्रेस इकाई ने अपने आधिकारिक हैंडल से भी पोस्ट कर दिया था, हालांकि बाद में शिकायत दर्ज होने के बाद वीडियो को हटा दिया गया था.

वहीं, इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बीते एक मई को तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को भी तलब किया.

एक अन्य मामले में, अमित शाह की ही फेक वीडियो शेयर करने के आरोप में झारखंड कांग्रेस के आधिकारिक एक्स एकाउंट को एक शिकायत के आधार पर बंद करा दिया गया.

यहां सवाल उठता है कि एक फर्जी वीडियो फैलाने के आरोप में विपक्षी दलों पर तो कार्रवाई की जाती है, फिर प्रधानमंत्री मोदी समेत भाजपा के कई नेता जो फर्ज़ी बयान और आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई में कोताही क्यों?

(श्रुति शर्मा मीडिया की छात्रा है और द वायर में इंटर्नशिप कर रही हैं.)

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