‘युद्ध-क्षेत्र’ बन चुके पूर्वोत्तर दिल्ली का आंखों देखा हाल

जाफराबाद में सीएए विरोध स्थल शांत था लेकिन हिंदुत्व पक्ष में शोर और जश्न का माहौल था. वहीं, मौजपुर में हिंसा की सबसे बुरी खबरें सामने आई जहां दिन में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक शख्स पुलिस के सामने गोली चलाते हुए देखा गया था.

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मौजपुर में जली हुई कार. (फोटो: द वायर)

जाफराबाद में सीएए विरोध स्थल शांत था लेकिन हिंदुत्व पक्ष में शोर और जश्न का माहौल था. वहीं, मौजपुर में हिंसा की सबसे बुरी खबरें सामने आई जहां दिन में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक शख्स पुलिस के सामने गोली चलाते हुए देखा गया था.

मौजपुर में जली हुई कार. (फोटो: द वायर)
मौजपुर में जली हुई कार. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: सोमवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से आगजनी, गोलीबारी और पथराव की खबर सामने आई जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल और चार नागरिकों की मौत हो गई थी. वीडियो में देखा गया कि भीड़ द्वारा पथराव के दौरान दिल्ली पुलिस खड़ी रही. द वायर के पत्रकारों के घटनास्थल पर पहुंचने पर प्रत्यक्षदर्शियों ने हिंसा के बाद ‘युद्ध-क्षेत्र’ बन चुके इलाकों का हाल बयान करना शुरू कर दिया.

जाफराबाद:

जाफराबाद से मौजपुर होकर गोकलपुरी तक जाने वाली पूरी सड़क को पुलिस ने हर तरफ से बंद कर दिया है, जिसमें स्पष्ट रूप से एक दूसरे के बगल में हिंदू और मुस्लिम ब्लॉक बनाए गए हैं.

करीब छह सप्ताह पहले नागरिकता (संशोधन) अधिनियम विरोधी और मुख्य रूप से मुस्लिम प्रदर्शनकारी जफराबाद में प्रदर्शन शुरू करते हैं, जिसके तुरंत बाद वहां पुलिस एक घेरा बनाती है. लगभग छह सप्ताह तक, प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन स्थल के एक छोर पर पर प्रदर्शन जारी रखा और किसी भी बड़ी हिंसा की कोई रिपोर्ट नहीं सामने आई. सोमवार को उसके आस-पास के इलाके में ईंट-पत्थर के टुकड़ पड़े हुए थे और बड़ी संख्या में लोगों की टूटी हुई चप्पलें पड़ी हुई मिलीं. बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे झूठ से परे अब यह हिंदुत्व समूहों का गढ़ बन गया है, जिन्होंने मौजपुर-बाबरपुर स्टेशन के नीचे सैकड़ों नौजवानों को इकट्ठा किया है और चौक पर कब्जा कर लिया है.

जाफराबाद में डरे-सहमे हुए प्रदर्शनकारी अभी भी शांतिपूर्वक बैठे हुए हैं, जहां पर वे बिना किसी हिंसा के पिछले 40 से अधिक दिनों से बैठे हैं. सोमवार की हिंसा में एक पुलिस अधिकारी सहित पांच लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा सुबह के दौरान शुरू हुई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस दौरान दक्षिणपंथी समूह के लोगों के साथ पुलिसकर्मियों के एक समूह ने चांद बाग में सीएए विरोधी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को पिटाई की जिसके बाद पूरे पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसा भड़क गई.

एक प्रत्यक्षदर्शी आदिब ने बताया, ‘हम सब कुछ बर्बाद होते हुए देख रहे हैं. हमारे व्यवसाय बर्बाद हो रहे हैं. हम एक महीने से विरोध कर रहे हैं और अगर हम गलत हैं तो आओ हमसे बात करो! हमने क्या गलत किया है? अगर आपको समस्या है कि हम क्या कर रहे हैं तो वे क्यों नहीं आए, हमसे बात की और हमें समझाया? वे क्यों कह रहे हैं कि हम पागल हैं और हम उपद्रवी हैं. अगर सरकार के पास इतने बुद्धिमान लोग हैं तो वे हमें क्यों नहीं समझा पा रहे हैं? इसके बजाय वे बजरंग दल से आरएसएस से समूह भेज रहे हैं और वे आ रहे हैं और हम पर पत्थर फेंक रहे हैं और गोली चला रहे हैं.’

आसिफ ने बताया, ‘इसके लिए भाजपा नेता कपिल मिश्रा जिम्मेदार हैं. उन्होंने यहां ऐसा दंगा करवाया है जिससे उन्होंने सरकार की संपत्ति के साथ-साथ जनता की संपत्ति दोनों को नुकसान पहुंचा है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने संपत्ति के नुकसान के लिए व्यक्तियों से पैसा लिया है. क्या अरविंद केजरीवाल कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करेंगे और उनसे हुए नुकसान की भरपाई करेंगे?’

द वायर से बात करते हुए मुस्लिम भावुक तो थे लेकिन वे कोई सांप्रदायिक टिप्पणी करने से बचते रहे. आसिफ ने कहा, ‘एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और वे भी हमारे थे. वह एक पिता और एक बेटा था और उसकी मौत से हमारे दिल को चोट पहुंची. हिंदू भी हमारे भाई हैं. अगर किसी ने भी उन पर हाथ उठाया, तो उन्हें पहले हमारे ऊपर कदम रखना होगा. हम उनके लिए जिम्मेदार होंगे. हमारे हिंदू भाई यहां से गुजर रहे हैं और हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें पूरी सुरक्षा और सुरक्षित मार्ग दिया जाए.’

आदिब ने कहा, ‘वे कह रहे हैं कि मुसलमानों ने यह सब किया है. एक मजार को जला दिया गया है. मैं आपसे पूछता हूं कि कोई मुसलमान अपना घर क्यों जलाएगा? हमने एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है. हम जो मांग रहे हैं, वह हमारा अधिकार है. हम दंगे नहीं चाहते थे और हम उन्हें नहीं चाहते, लेकिन हम न्याय के लिए खड़े हैं. लेकिन आप लाठियां और डंडा ला सकते हैं, आप गुंडों और आरएसएस को बुला सकते हैं, आप खुद आ सकते हैं और आप अपने पिता को भी ला सकते हैं, लेकिन हम यहां खड़े रहेंगे.’

मौजपुर-बाबरपुर:

पुलिस ने मुस्लिम विरोध क्षेत्र में रस्सियों का हल्का घेरा बनाया था. प्रदर्शनकारी अंदर और बाहर कुछ आवाजाही के साथ चुपचाप बैठे रहे, लेकिन कोई नारेबाजी नहीं की जा रही थी. रास्ता साफ था. घेरे के आसपास कोई आदमी नहीं था, वहां केवल मौजूद लोग ही गुजर रहे थे और पुलिस खामोशी से खड़ी थी.

हमारी आंखों के सामने से एक शख्स साइकिल पर गुजरा जिसके साथ एक मुस्लिम शख्स था. मुस्लिम शख्स ने कहा, ‘वह डरा हुआ था. हम उसके साथ जा रहे थे ताकि उसे कोई परेशानी ना हो.’

जैसे-जैसे हम उस क्षेत्र के करीब आए जहां हिंदुत्व समूहों ने लोगों को जुटाया था वहां का माहौल बदला हुआ था. हम जोर से चिल्लाने और नारेबाजी की आवाज सुन सकते थे. सड़कों पर लोग हमें संदेह के साथ देख रहे थे. सीधे किसी तरह के टकराव से बचने के लिए हमने एक अंदरूनी रास्ता लिया. एक साथी पत्रकार ने हमें बताया कि उन्होंने तीन बार वहां प्रवेश करने की कोशिश की थी लेकिन बड़े कैमरे के कारण उन्हें बाहर निकाल दिया गया था. यह देखते हुए कि मीडिया विरोधी भावना अधिक थी हमने डर से कोई वीडियो या फोटोग्राफिक फुटेज नहीं लिया.

बता दें कि, मौजपुर में हिंसा की सबसे बुरी खबरें सामने आई जहां दिन में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक शख्स पुलिस के सामने गोली चलाते हुए देखा गया था.

जब हम हिंदुत्व समूह के नेतृत्व वाले क्षेत्र में आए तो वहां जश्न का माहौल था. लोगों का एक बड़ा समूह ‘गोली मारों सालों’ को जैसे नारे लगा रहा था, जबकि लोगों के समूह ने बिस्कुट बांटे. एक शख्स उपमा की प्लेटों से भरी एक बड़ी-सी ट्रे लेकर जा रहा था, जिसे वह वहां खड़े पुलिसवालों को दे रहा था.

इस तरफ बड़ी संख्या में लोग मोटे बांस की छड़ें, हॉकी स्टिक, क्रिकेट बैट, आमतौर पर निर्माण स्थलों में पाए जाने वाले स्टील की छड़ें, पर्दे की छड़ों जैसे हथियार व अन्य लेकर जा रहे थे. एक उद्यमी व्यक्ति लोहे का हथियार लेकर अकेले चल रहे था. कई लोगों के माथे पर चमकीले नारंगी रंग का टीका था और वे केसरिया झंडे लहरा रहे थे.

वहां सीएए-एआरसी को लेकर कोई चर्चा नहीं थी और यह कहना गलत नहीं होगा कि भीड़ सीएए समर्थकों की थी जिनका मुख्य उद्देश्य हिंदुत्व भावनाओं का समर्थन था. वहां एक दीवार पर सीएए के विरोध में कई बातें लिखी गई थीं जबकि उसके दूसरे तरफ गहरे रंग में इस्लाम को गाली दी गई थी.

भीड़ हमें बहुत ही संदेह भरी नजरों से देख रही थी. गोली मारो सालों को नारा लगाने वाली एक महिला को हाथ में डंडा लिए एक शख्स ने रोका. इसके बाद महिला ने हमें डराने की कोशिश की और जब हम वहां से निकलने लगे तब उसके हमें घूरते हुए जय श्री राम का नारा लगाया.

जाफराबाद में सीएए विरोध स्थल शांत था लेकिन हिंदुत्व पक्ष में शोर और जश्न का माहौल था. वहां लाइटिंग सहित एक डांस पार्टी हो रही थी और एक वक्ता ने कारवियों द्वारा प्रसिद्ध किए गए और सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाले घृणा संगीत जय श्री राम का गाना गाया. इसके साथ ही हिंदुओं का हिंदुस्तान जैसे नारे भी बार-बार इस्तेमाल किए गए.

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