कोरोना संक्रमित होने के शक में महिला के अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस और डॉक्टरों पर पथराव

हरियाणा के अंबाला छावनी के चांदपुरा गांव का मामला. ग्रामीणों का शक था कि महिला की मौत कोविड-19 से हुई है और अंतिम संस्कार करने से इलाके में भी संक्रमण फैल सकता है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

हरियाणा के अंबाला छावनी के चांदपुरा गांव का मामला. ग्रामीणों का शक था कि महिला की मौत कोविड-19 से हुई है और अंतिम संस्कार करने से इलाके में भी संक्रमण फैल सकता है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

अंबाला: हरियाणा के अंबाला स्थित एक गांव में सोमवार को एक बुजुर्ग महिला के दाह संस्कार में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प होने का मामला सामने आया है. बाद में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसके बाद महिला का अंतिम संस्कार हो पाया.

ग्रामीणों को शक था कि बुजुर्ग महिला की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से हुई है. इस वजह से वे गांव में महिला के अंतिम संस्कार का विरोध कर रहे थे.

पुलिस ने बताया कि अंबाला छावनी से लगे चांदपुरा गांव के स्थानीय श्मशान भूमि में सोमवार शाम को बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार किया जा रहा था.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करते हुए ग्रामीणों ने पुलिस और डॉक्टरों की टीम पर पत्थर बरसाए. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हवाई फायर करना पड़ा.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों का शक था कि महिला की मौत कोविड-19 से हुई है और अंतिम संस्कार करने से इलाके में भी संक्रमण फैल सकता है.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने आश्वस्त किया कि संक्रमण का कोई खतरा नहीं है और अंतिम संस्कार विरोध नहीं करने को कहा.

महिला की मौत अंबाला छावनी स्थित सिविल अस्पताल में हुई थी और उसे सांस लेने में समस्या होने की शिकायत के बाद भर्ती कराया गया था.

एनडीटीवी से बातचीत में सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया, ‘महिला को अस्थमा था. सोमवार दोपहर उन्हें सांस लेने में दिक्कत शुरू होने लगी और इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. हमने कोरोना वायरस से संक्रमित होने की जांच करने के लिए उनका सैंपल ले लिया है.’

उन्होंने बताया कि इस संबंध में हमने सुरक्षा के सभी एहतियात बरते थे, ग्रामीण बिना वजह अंतिम संस्कार का विरोध कर रहे थे.

पुलिस ने बताया कि जब महिला के रिश्तेदार शव को दाह संस्कार के लिए श्मशान भूमि ले गए तो ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. जानकारी मिलने पर पहुंची पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन नहीं मानने पर हल्का बल प्रयोग करना पड़ा.

अंबाला छावनी के डीएसपी राम कुमार ने बताया, ‘सुरक्षा के सभी एहतियात बरतने की बात बताकर हमने ग्रामीणों को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं थे. वे डॉक्टरों और पुलिस पर पत्थर फेंकने लगे. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हमें बल प्रयोग करना पड़ा.’

पुलिस ने अपनी उपस्थिति में अंतिम संस्कार कराया. अंबाला के पुलिस अधीक्षक अभिषेक जोरावल ने कहा कि करीब एक दर्जन ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया है और आगे की जांच की जा रही है.

एनडीटीवी के अनुसार, हरियाणा में कोरोना वायरस संक्रमण के 289 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से तीन लोगों की मौत हो चुकी है. अंबाला में 12 मामलों की पुष्टि हुई है.

मालूम हो कि ऐसी कई घटनाएं देश के अलग अलग हिस्सों से सामने आ चुकी हैं. हाल ही में तमिलनाडु के चेन्नई में कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले आंध्र प्रदेश के एक डॉक्टर के अंतिम संस्कार का इलाके के निवासियों ने विरोध किया, जिस कारण अधिकारियों को उनका किसी दूसरी जगह पर अंतिम संस्कार करना पड़ा.

मेघालय में कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले पहले व्यक्ति 69 वर्षीय एक डॉक्टर और प्रदेश के सबसे बड़े निजी अस्पताल के संस्थापक को उनके गुजरने के तक़रीबन 36 घंटे बाद बृहस्पतिवार को दफनाया जा सका था.

उनकी मौत 15 अप्रैल का हुई थी.

अंतिम संस्कार में देरी इसलिए हुई क्योंकि उनका परिवार उन्हें मेघालय के नोंगपोह (रि-भोई) जिला स्थित अपने घर के पास ही दफनाना चाहता था, लेकिन आसपास के लोगों ने संक्रमण के डर से इसका विरोध किया था.

इस स्थिति में डॉ. जॉन एल. सेलिओ रेनथियांग का शव लगभग 36 घंटों तक उसी अस्पताल (बेथानी अस्पताल) में पड़ा रहा, जिसकी दो दशक पहले उन्होंने नींव रखी थी.

बीते 1 अप्रैल को मुंबई के मलाड उपनगर में कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले मुस्लिम व्यक्ति को कब्रिस्तान ने दफनाने से मना कर दिया था, जिसके बाद उनके शव को जलाया गया था.

12 अप्रैल को रांची में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां एक साठ वर्षीय बुजुर्ग की कोरोना संक्रमण से मौत के बाद उन्हें कब्रिस्तान में दफनाने के खिलाफ स्थानीयों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया, जिसके चलते मौत के 14 घंटे बाद प्रशासन की कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें दो गज जमीन नसीब हुई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)