राजस्थानः युवक का आरोप, दलित होने के चलते बाल काटने से इनकार किया गया, जातिसूचक गालियां दी गईं

घटना टोंक ज़िले के डांगरथल गांव की है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि दलित होने की वजह से दुकानदार ने उसके बाल काटने से इनकार किया और जातिसूचक गालियां देते हुए अपनी दुकान से निकाल दिया. इसके बाद गांव के अन्य दुकानदारों ने भी उनके बाल काटने से इनकार कर दिया. इस बारे में तीन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है.

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घटना टोंक ज़िले के डांगरथल गांव की है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि दलित होने की वजह से दुकानदार ने उसके बाल काटने से इनकार किया और जातिसूचक गालियां देते हुए अपनी दुकान से निकाल दिया. इसके बाद गांव के अन्य दुकानदारों ने भी उनके बाल काटने से इनकार कर दिया. इस बारे में तीन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है.

Tonk

राजस्थान के टोंक जिले में एक दलित युवक के बाल काटने से इनकार करने और जातिसूचक गालियां देने के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना टोंक जिले के निवाई के डांगरथल गांव की है. एफआईआर के मुताबिक, यह घटना मंगलवार को उस समय हुई, जब कालू हरिजन नाम का युवक गांव के ही नंदकिशोर सैन की दुकान पर बाल कटाने गया था.

हरिजन बताते हैं, ‘पहले तो सैन ने बाल काटने के मुझसे पांच सौ रुपये मांगे. मैं फिर तैयार भी हो गया लेकिन उसके बाद उसने बाल काटने से मना कर दिया और अपनी दुकान से यह कहकर बाहर निकाल दिया कि मैं निचली जाति का हूं और वह मेरे बाल नहीं काटेगा. उसने मुझे जातिसूचक गालियां दीं.’

हरिजन मजदूरी करते हैं. उनका कहना है कि जब वह गांव की अन्य दुकानों में गए, तो वहां भी उनके बाल काटने से मना कर दिया गया.

हरिजन ने कहा, ‘सैन ने मुझसे कहा कि वह डांगरथल में सभी नाई की दुकानों का अध्यक्ष है और कोई भी मेरे बाल नहीं काटेगा. उसके मुझे जातिसूचक गालियां देने के बाद मैं कई दुकानों पर गया लेकिन कोई भी मेरे बाल काटने को तैयार नहीं हुआ.’

सैन और उनके दो बेटों के खिलाफ आईपीसी की की धारा 34 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक) अधिनियनम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

मामले की जांच कर रहे निवाई के सर्किल अधिकारी अंजुम कायल ने कहा, ‘हम मामले की जांच कर रहे हैं. यह जांचा जा रहा है कि क्या जाति की वजह से शिकायतकर्ता के साथ दुर्व्यवहार किया गया या फिर सोशल डिस्टेंसिंग मानकों को बनाए रखने को लेकर यह विवाद हुआ.’

इस बीच दलित अधिकार कार्यकर्ताओं की मांग है कि आरोपी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए. ह्यूमन राइट्स रिसोर्स सेंटर के राज्य समन्वयक ताराचंद वर्मा ने कहा, ‘दलित होने की वजह से पीड़ित के साथ बुरा व्यवहार किया गया. राज्य को जातिगत भेदभाव के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए अलग से बजट पेश करना चाहिए. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी एक दलित व्यक्ति के साथ सिर्फ इसलिए बुरा व्यवहार किया गया और उसके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया गया क्योंकि वह बाल कटवाने गया था.’

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