चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान: विश्व बैंक

विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफ़ी ख़राब है. कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को थामने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है.

(फोटो: रॉयटर्स)

विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफ़ी ख़राब है. कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को थामने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

वॉशिंगटन: कोरोना वायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लंबे लॉकडाउन के चलते चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. विश्व बैंक ने बृहस्पतिवार को यह अनुमान जाहिर किया.

विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफी खराब है. उसने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कंपनियों व लोगों को आर्थिक झटके लगे हैं. इसके साथ ही महामारी के प्रसार को थामने के लिए देश भर में लगाए गए लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है.

विश्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ सालाना बैठक से पहले जारी हालिया दक्षिण एशिया आर्थिक केंद्र बिंदु रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है.

रिपोर्ट में विश्वबैंक ने दक्षिण एशिया क्षेत्र में 2020 में 7.7 प्रतिशत की आर्थिक गिरावट आने की आशंका जाहिर की है. इस क्षेत्र में पिछले पांच साल के दौरान सालाना छह प्रतिशत के आसपास की वृद्धि देखी गई है.

ताजी रिपोर्ट में कहा गया, ‘मार्च 2020 में शुरू हुए चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है.’

हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2021 में आर्थिक वृद्धि दर वापसी कर सकती है और 4.5 प्रतिशत रह सकती है.

विश्व बैंक ने कहा कि आबादी में वृद्धि के हिसाब से देखें तो प्रति व्यक्ति आय 2019 के अनुमान से छह प्रतिशत नीचे रह सकती है. इससे संकेत मिलता है कि 2021 में आर्थिक वृद्धि दर भले ही सकारात्मक हो जाए, लेकिन उससे चालू वित्त वर्ष में हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी.

दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हेंस टिमर ने एक कॉन्फ्रेंस कॉल में संवाददाताओं से कहा, ‘हमने अब तक जो भी देखा है, भारत में स्थिति उससे बदतर है. यह भारत के लिए एक अप्रत्याशित स्थिति है.’

उल्लेखनीय है कि इस साल की दूसरी तिमाही यानी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है. पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.2 फीसदी रही थी.

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया था कि पहली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि दर (सकल मूल्य वर्धन या जीवीए) 39.3 फीसदी की गिरावट, निर्माण क्षेत्र में 50.3 फीसदी की गिरावट, उद्योग में 38.1 फीसदी की गिरावट, खनन क्षेत्र में 23.3 प्रतिशत की गिरावट और सेवा क्षेत्र में 20.6 प्रतिशत की गिरावट आई है.

इस अवधि में सिर्फ कृषि, वानिकी और मत्स्य उद्योग में विकास दर्ज की गई थी. तीनों क्षेत्र 3.4 प्रतिशत वृद्धि दर के गवाह रहे.

बहरहाल, विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस और इसकी रोकथाम के उपायों ने भारत में आपूर्ति व मांग की स्थिति को गंभीर रूप से बाधित किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से देशव्यापी पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी.

इस लॉकडाउन के कारण करीब 70 प्रतिशत आर्थिक गतिविधियां, निवेश, निर्यात और खपत ठप हो गई थी. इस दौरान केवल आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं जैसे कृषि, खनन, उपयोगिता सेवाओं, कुछ वित्तीय और आईटी सेवाओं तथा सार्वजनिक सेवाओं को संचालित करने की अनुमति थी.

विश्व बैंक ने कहा कि गरीब परिवारों और कंपनियों को सहारा देने के बाद भी गरीबी दर में कमी की गति यदि रुकी नहीं भी है तो सुस्त जरूर हुई है.

टिमर ने कहा, ‘हमने सर्वे में देखा है कि कई लोगों की नौकरी चली गई है. गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में वृद्धि हो रही है. ये सभी ऐसी कमजोरियां हैं, जिनसे भारत को जूझना है.’

उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था महामारी के पहले से ही धीमी हो रही थी.

एक सवाल के जवाब में टिमर ने कहा कि भारत सरकार ने सीमित संसाधनों और सीमित वित्तीय साधन के साथ जो किया है, वह बहुत प्रभावशाली है.

एक अन्य प्रश्न के जवाब में टिमर ने कहा कि कोविड-19 के परिणामस्वरूप विश्व बैंक का अनुमान है कि एक वर्ष में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

वित्त वर्ष 2017 के बाद, जिस दौरान अर्थव्यवस्था 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी, उसके बाद के हर वर्ष में विकास दर घटकर 7.0 प्रतिशत, 6.1 प्रतिशत और 4.2 प्रतिशत रही है.

बीते अप्रैल माह में विश्व बैंक ने कहा था कोरोना वायरस से भारतीय अर्थव्यवस्था को जबरदस्त झटका लगा है. इससे देश की आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी.

विश्व बैंक ने ‘दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर ताजा अनुमान: कोविड-19 का प्रभाव’ रिपोर्ट में कहा था कि 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर पांच फीसदी रह जाएगी.

इसके अलावा तुलनात्मक आधार पर 2020-21 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी और यह घटकर 2.8 फीसदी रह जाएगी.

रिपोर्ट में कहा गया था कि कोविड-19 का झटका ऐसे समय में लगा है जब वित्तीय क्षेत्र पर दबाव की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से सुस्ती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq